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लिखित एक शिला लेख प्रात होता है । इस लेख का डा० भाऊराजी ने परीक्षण
करके इनके गाँव का नाम पाटण' बताया है ।
श्री भास्कराचार्यजी के कथनानुसार सह्य पर्वत के आश्रित या इसके समीप
में 'विज्जडविड' नाम का गाँव था, जो कि इस समय में अन्य नाम से प्रसिद्ध
हो गया है ।
१७ )
पिता व गुरु
इस महा विद्वान् के पिता व गुरु शाण्डिल्य गोत्रोत्पन्न महेश्वराचा जी थे ।
ऐसा इनके कहने से ज्ञात होता है । जैसे--
आसीन्महेश्वर इति प्रथितः पृथिव्या-
माचार्यवर्यपदवीं
विदुषां
लब्धावबोधकलिकां तत एव चक्रे
९. बी० ग० उप सं० १२ लो०
२. भा० ज्यो० ३४३ पृ० ।
तज्जेन बीजगणितं लघुभास्करेण ॥
वंशवृक्ष
शिलालेख के आधार पर पूर्वापर पुरुषों की नामावली २-
त्रिविक्रम
।
भास्करभट्ट
गोविन्द
।
प्रभाकर
i
मनोरथ
1
महेश्वर
1
भास्कर
1
लक्ष्मीधर
1.
चङ्गदेव
प्रपन्नः ।