INDEX OF SŪTRA-S २८१ Sutra Chap. Page Section and No. $ ' वयमद्येन्द्रस्य प्रेष्ठा: ' 2.6.16 171 ' वयमुत्वा पथस्पते' 3. 7. 6 206 वयसाममनोज्ञा वाचः 3. 9. 8 217 वर्षात न धावेत् 3. 8. 31 214 वामदेव्यमक्ष इति 2.6.3 167 ८ वायोष्ट्वा वीर्येण ' 2.6.5 29 , वार्षिकमित्येतदाचक्षते वासे वासे 'सुमङ्गलीरियं वधूः विगुल्फ बहि: ' विज्ञायते – चक्षुषी वा एते' विज्ञायते तस्य द्वौ वितस्तिमवाक् विद्यान्ते गुरुमर्थेन
- विराजो दोहोऽसि
विवाहाग्निमग्रतोऽजस्रं विवाहाग्निमुपसमाधाय विश्वेभ्यो देवेभ्यः विष्टरः पाद्यमध्यम् .. 3. 5. 17 200 1.8.7 46 4.1.17 225 1. 10. 15 58 3.4.9 194 4.1.11 224 3.8.25 213 1.24.17 133 1. 8.5 46 1. 8. 9 47 1.2. 5 12 I. 24. 7 129 वीणागाथिनौ संशास्ति 'वृक्का उद्धृत्य पाण्योः 1. 14. 5 80 4.3. 19 233 वृक्कापचार इत्येके 4.3.22 234 वृद्धौ फलभूयस्त्वम् 4.7.3 249 I 'वेणुरसि वानस्पत्योऽसि 3.8.20 211 व्याधितस्यातुरस्य व्याममात्रं तिर्यक् व्याहृतिभिर्वा व्रीहियवमतीभिरद्भिः 1. 23. 21 125 4.1. 10 224 1.4.5 27 1. 11. 3 65 2.9.6 180 श