पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/१६

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पुटम् पङ्कि: 265 14 267 7 8 23 7 24 269 4 6 270 14 22 271 5 18 19 20 21 268 272 15 279 13 2 14 22 275 7 276 5 22 9 20 280 6 282 18 21 283 3 284 20 22 288 9 अशुद्धम् कल्प सामान्य लक्षणया अत अतुत्र्य न 'देव नाम न होमा विद्य त्रावि स्वारसिके पूर्वरू अर्थवादक स्य यु बहिर्ध लब्ध लब्ध लिङ्गं इत्यस्य मद्रं धर्मा र्मियत तस्य सत वृत्तिः, यो क्तिशे विषयया बा दक्षि क्षित ज्ञात वत्वम् । श इति; xvi कल्पि सामान्यस्य लक्षणाया अतोऽतुल्य 'न देव नामनहोमा शुद्धम् विध्य त्रवि स्वारसिकी पूर्वत्वरू अर्थवाद स्यायु बर्हिर्ध बद्ध बद्ध अङ्गं इत्यत्रत्यस्य मन्द्रं धर्माः म्रियत कस्य तत वृत्तियो क्लं शे विषयाबा रद्वै दीक्ष क्षिता ज्ञान वत्वश इति, चेन्न;