सं. पु. 2 302 पृथिव्येतावती - ? 3 66 पृथिवी वायुराकाशम् -मोक्ष. 349-31 2 231 पृष्ठैः स्तुवते -? 1 472 पौर्णमास्यां पौर्णमास्या-? 1 329 पौर्वापर्ये पूर्व दौर्बल्यम् - जै. सू. 6-5-54 2 52 प्रकाशस्य सतस्तदीयतामात्रनिबन्धन - बौद्धा. 62 पुर 3 88 प्रकृतेः क्रियमाणानि- गीता. 3-27 221 2 320 22 234 1 266 1 321 प्रजापतिरात्मनो वपाम् – तै. सं. 2-1-1 प्रजापतिर्वरुणाय – तै. सं. 2-3--12 1 324 1 266 प्रजामेका रक्षत्यूज्यमेका – पदमञ्जरी. 4-1-93 1 259 प्रत्यक्षमनुमानं च - मनु. 12-105 18 श्लो. 2 204 1 - प्रत्यग्याथात्म्यधीरेव बृ. वा. प्रत्यक्षवदत्रापि – काशिका. प्रत्यक्षे चानुमाने च – ? प्रत्यासन्ना परिणतिरियम् –सं. शा. 280 6-7-53 488 प्रत्यस्तमितभेदं यत् - वि. 2 248 प्रत्यक्षादावुत्पन्ने ज्ञाने – ? 2 2 176 212 प्रत्ययलोपे प्रत्ययलक्षणम् वै. वार्तिकम्. 1-1-62 प्रणिधाननिबन्ध-गौ. सू. 3-2-44 प्रतियोगिताश्च विशिष्य–दधिति 42 पुट 2 373 1 358 प्रतियोगिनि दृष्टे च - श्लो. 238 पुट. - 2 232 प्रथमत्वात्प्रधानत्वात्-शा. द. 1-1-9 2 311 407 1 1 130 2 291 प्रपञ्चो यदि विद्येत-गौ. का. 1-17 3 132 प्रमाणविपर्यय यो. सू. 1-6 प्रमाणत्वाप्रमाणत्व - ? 2 226 प्रदिदर्शयिषुर्वसनस्य यथा— त्रोटक. 125 श्लो. प्रद्युम्नेन तु सा माया - हरिवंश 2-106-18 प्रपञ्चोपशमम् – नृ. उ. ता. खण्ड 1
पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११८८
दिखावट