पृष्ठम्:Advaita Siddhi with Guru Chandrika vyakhya.djvu/११७२

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सं. पु. 365 इत्थंभूतलक्षणे - पा. सू. 2-3-21 252 इदं वा अग्रे नैव किंचन-तै. ब्रा. 2-2-9 इदं सर्वमसृत – तै. उ 2-8-1 1 2 205 202 1 186 2 309 322 1 इदं सर्वे यदयमात्मा - बृ. 2-4-6 इन्द्रजालमिव मायामयम् - मै. 4-2 इन्द्रो वृत्राय - तै. ब्रा. 1-7-6 इमां शङ्कां - - भाम. 2-1-13 314 इयं गौः क्रय्या –? 2 204 1 1 374 इह जन्मनि केषांचित् - मी. श्लो. 239 (ई) 2 269 ईशानो भूतभव्यस्य - कठ. 2-4-12 3 19 1 ईश्वराभेदाजीवस्यापि - शां. भा. (अर्थानुवाद) 3-2-5 179 ईश्वरस्य परिणामवत्वे - ( पदार्थखण्डन ) 136 ईश्वरोपाधिसत्त्वप्रधानमाया - तत्वदी. 2 200 ईक्षतेर्नाशब्दम् – ब्र. सू. 1-1-5 1 (उ) 1 196 उक्तस्थले शरीराजन्यत्वे – मणि. ई. वा. 19 पु. 1 326 उच्चैर्ऋचा क्रियते – आपस्तम्बपरिभाषा 1-7 2 288 उतामृतत्वस्येशान: - पुरुषसूक्त 2 249 उत्तरवेद्यामनिश्चीयते-तै. आ. 1-26 451 उत्तरवेद्यामझिं निदधाति -? 2 213 उत्पादकाप्रतिद्वन्द्वित्वात् – ( पदार्थ खण्डनटीका) 2 275 उदरमन्तरं कुरुते – तै. उ. 2-7 1 489 उद्गीतमेतत्परमं तु ब्रह्म - श्वे. 1-7 - 1 314 उद्भिदा यजेत - १ 2 353 उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानम् - गीता 4-34 -