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पृष्ठम्:स्वराज्य सिद्धि.djvu/३

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सरलान्वय पद्य काशिका भाषा टीकाकार की प्रस्तावना । परम पावन ब्रह्मांड शिरोभूषणरूप इस भारत भूमि क प्रभाव छुपा हुश्रा नहीं है, क्योंकि इसी भारत भूमिमें ही कम् उपासना ज्ञान के प्रतिपादक और वेदों के प्रवर्तक महा विद्वान् प्रकट हुए हैं। इसी भारत भूमिमें ही सविदानन्द परिपूर्ण माया शबल ब्रह्म के श्रीराम, श्रीकृष्ण आदिक अवतार हुए हैं। इस कलियुग की प्रवृत्ति में भी अलौकिकप्रज्ञ विद्वान् तथा राजे महाराजे इस भारत भूमिमें प्रकट हुए हैं। उन विद्वानों में से एक विद्वान् गंगाधरेंद्र सरस्वती हैं। इनकी विद्वताका प्रभाव किस विद्वान् को परिचित नहीं होगा ? श्रीगंगाधरेंद्र सरस्वती श्रीवेदांत केसरी शंकराचार्यमार्गानुगामी थे । इनके पूज्य गुरुओं का नाम रामचंद्र सरस्वती था और परम गुरु का नाम सर्वज्ञ सरस्वती था । ये सर्व परिव्राजक महा विद्वान् थे । इस गंगाधरेंद्र सरस्वती के शिष्य प्रानंदबोधेद्र सरस्वती थे । प्रानंदबोधेद्र सरस्वती ने श्रीयोगवसिष्ठ पर तात्पर्य प्रकाश नाम की संस्कृत टीका लिखी