पृष्ठम्:स्फुटचन्द्राप्तिः.djvu/५२

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Valk]ya 1. 3. 5. 7. 9. Wo. 155 . 156. 157. 158. 1 59. 1660. 161. 162. 163. 164 . 165 . 166 . 167. 168 . 169. 170. 171. 172. 173. 174. 175. 176 . धनी गुणी मनुजः परिषत्स्वधिकेहा दिव्य: क्षीराम्बनिधि: धीरः कर्णस्तु योद्धा तनयो ज्ञानिनां नम्यः! गोकर्णमित्रं पिनाकी प्रभवो गुणरत्नाढया: प्रकृत्याऽऽनन्द उत्पाद्य: अनसूया निरपाया जिष्ण*र्वरिष्ठः दिश्यादिन्द्रो भाग्यम् नगो न गोचरत्’ गानशीलो जनोऽयम पुराणो भानुरीडय: बालोऽभून्नीलनेत्रः जटी शूली शाङ्करः प्रवद्धोऽयं जाठर:6 सन्निधौ स्यात कपाली7 दीनेष्वीडा विफला बाल्येऽवज्ञो जनो वै सौम्यधीः स्वयं प्रभुः बालास्तु वाग्मिनोऽमी” RS 8 9 9 10 10 10 11 11 0 1 2 3 3 5

Bhaga 19 16 0 12 25 20 2 14 26 20 28 11 24 21 5 K ala 53 46 26 51 55 34 17 24 28 30 35 45 35 19 19 34 49 46 21 18 29 13 42 12 58 18 30 21 33 18 42 13 17 33 A. नेयो ज्ञानिना नम्यः (corrupt) 2. D. नूनं सत्येन श्रेय(:)स्या(त्) D. विष्णु 4. D. गोचरः B. पुराण 6. D. प्रवृद्धः कुञ्जरेन्द्र D. सन्नद्धोऽयं कपिलः 8. B. खाण्डवघ्नो B, दाशाह्मिनोनै (corrupt) ; D. स्वामीनोऽमी