पृष्ठम्:सुभाषितरत्नभाण्डागारम्.djvu/४

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विंषयानुक्रमकोशः ३
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प|व्तवृण॒नम् •••|1४०| १-'५ | तुरगा • }1 ४३| ५०-५७ |1 ताम्बूलम् १४४!१०४
सरांवृणंनूम् . }१४०| १ खङ्ग •. |१ ४3| ५८-'५९ || शस्त्रधारणम् १४'५|1०५
वनश्रीवर्गृनम् १४०| १-७ | सेन॒यम् |१४ *| ६०-६२ | छत्रधारणम् १४५|1 ० ६
मृगयाव॒णन॒म् १ ४१| १-७ | द्रुर्ग ||१ ४३| ६३-६८ |1 चामरम् १४५ाँ|१० ७
सृगयाांनग्रंक्तू १ ४१{| १ दृत् |१४ ४ ६९-७३ i सिहाग्मनम् १४५|१ ० ७
ऋग्य[श्रूमवणनम् |१ ४१| १-१४ | भाण्डागारी 1 ४ ४'|{ ७ ४ मालाधारणम् |१ ४५|१० ८
राजेनंातेि • !1 ४२| १-४२३l लेखक |१४४| ७५ चन्दनलेप 1४'५|१ ० ८
रज[ • |१४२| १-१५ | प्रतीहारी • ||1४४| ७६ मृग्या १४५|१०९
सभासद •• |१४२| १६--१७ | सूपकार • • !1`४'४i| \७ ७ कटकप्रयाणम् १४५ाँ१ १०
 िपुरोहित •..|१४२| १८ चारा १४४| ७< उपवनानि १४५|१११-११२
धमाथ्यक्ष • |१ ४२ाँ 1९ अन्त पुरवर्ग १४`४i ७९ तरव १४५|११३-११४
.|१४२| २० स्त्रिय १ ४ ४| ८०-८१ ! नीति १४५|११५-४२३
मश्श्री १४२| २१-३२ ] महिषी 1४४| ०-2 सामान्यनीतेि .|१५३|१--१०५८
सेनापतिं 1 ४३{ ३३-३ ४ | *मृल्या - |१४४| ८३-1 ०२
गज! • t१ ४३' ३५-४९ I स्रानम् • 1१४४'१०३
४.
समस्याख्यानम् १८१| १-७७ | मात्राच्युतकादय १९५| १-1५ महोक्ष . |२ ० ७| 1५
प्रहेलिका 1 ८ ४|ं| 1-३९ मात्राच्युतकम् [१९५| १-२ धेनु २ ०७| १६
अपद्दुतय १८६| १-१५ बिन्दुट्युतकम् |१९५| ३-४ रसभ २० ७| १७
कूटानि • |१८६| १-९६ | विसर्गच्युतकम् |१९५| ५-६ अञ्ज • • !२ ० ७! 1 ८
क्रियागुप्तादय' १९३| १-५३ | अक्षरच्युतकम् • |१९,५| ७-८ मेष २० ७| १९
क्रियागुतम् 1९३| १--१७ स्थानच्युतकम् • १९५| ९-१० मयूर २०७| २०
कर्तृगुप्तम् ' • |१९,४|| १८-२५ | व्यञ्जनच्युतक्म् !|१९६| ११-१२ |1 चातक - |२०७|ं| २1
कर्मगुप्तम् •. |१९ ४| २६--२८ च्युतदत्ताक्षरम् |१९६| १३-१५ २० ८! 22,
करणगुक्तम् - !१९४| २९-३० | अन्तरालापा • |१९,६| १--४४ २०८{ २३-२४
सप्रदानगुप्तम् • |१९४|| ३१-३२ ! बहिरालापा •. |{१९८| 1-१२० . |२०८| २५-२६
अपादानगुप्तम् |१९४! ३३-३४ | प्रश्नोत्तराणि • [२०५| 1-१० २० ८|{ २७
सबन्धगुप्तम् |१९ ४| ३५-३७ • [|२०५'| १-१ ८ 2 ० ८| २८
पारावत
बव्क
इकुकुट
गौरखरकृकला
चित्रम् सर्प
अधिकरणगुप्तम् |१९ ४| ३८-३९ | भाषाञ्चै॒ित्रम् • j२० ६| 1-३ पुलिन्द २० ८| २९
१९'*.| ४ ०-- ४३ जातिवणैनम् २० ७| १- ४ 1 पथिक २०८| ३०--३३
कर्तृक्रियागुप्तम् |१९५!| ४४ सिंह. २०७| १- ४ ३र् • - [२० ८|| ३४
कर्तृकर्मक्रियार्गुप्तम् |१९५| ४५-४६ | तैरष्क्षु २० ७| ५ बiल* •• !२० ८j ३५--३६
सधिगुप्तम् १९५| ४७ करेिण •. i२९ ७| ६ कुमार - |२ ० ८! ३७
समासगुप्तम् १९५| ४ ८-४९ मृग - 2 ० ७|| \७ नर्तको -• २९* ८! ३८
लिङ्गगुप्तम् १९५! ५०-५१ २श्र्ठ 2 ० ^७j ८ लेखनकत्राँ २०८| ३९, -४०
सुब्वचनगुप्तम् -|१९५| ५२ हय २०७| ९-१३-|1 कलमकण्डनी-
तिङ्कवचनगुप्तम् |'१९५' ५३ कपि २० ७ाँ १४ गीतय . l२० ८! ४८
९. अन्योच्तिप्रकरणम्
सूर्यान्योत्तय • |२०९| १-१८ |[ मेरु |२१५| ५ रोहण •••|२१५| १३-१५
चन्द्रान्योच्तय. • !|२०९.| १-४९ विन्ध्य •• |२१| ६ प्र॒र्वैत॒दूरी) . |२१५| १६
मेघान्योत्तय* २१ १| १-८४ मलय • |{२१५',| ७-८ गिरिनिर्झर ) |२१५| १७
वाय्वन्योत्तय २१४|| १-1३ मन्दर8 → |3५ ९ समुद्रान्योच्तय .. |२१५| १-<२
पर्वतान्योत्तय .. |२१५ १-१७ र्मेनाक •- |3१| १९-1१ क्षीरसागर •- |२१ ७|| ४०-४१
हिमाचल ...[२१५' २-४ लोकालोक. .•.'२१५' १२ अगरुस्य. ०••'२1 ७ ४२-४६