पृष्ठम्:सरस्वतीकण्ठाभरणं‌(व्याकरणम्)-भागः-३.pdf/311

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TH. तस्य धम्यै (4 4-102) नस्य विकार (4-4-1) तस्य व्याख्याने (4-3-1?8) तस्य समूहः (*4-2-60) तस्यापत्यP G4 1-22) तस्येदं (4-3-261) तस्थैश् (8-1-30) तादश्यें (8 1-238) तादथेर्ने प्रकृ-या {8-2-49) तालादणू(4-4-8) तिक्कितव (4-1-155) तिक्कितवेब्ज (4-1-196) तित्तिीरवरतन्तु (4-8-228) तिलथवाभ्या (4-4-19} तिलान्निष्फलात्(4-2•86) तेिछद्गुवद्दद्गु (3-2-22) तिध्यपुनर्वस्वो (3-1-168) तीरान्तादन्(4-8-24) तीधै घोप (4-8-69) तुमधीच भाव ५3-1-239) 28 तेनैकादिकू (4-3-242) 263 तेषा मिथो (8-8-115) 2-4 तेषामद्वन्द्ध (3-3-ll4) 195 142 258 -42 264 69 7 25. 26S 199 5. 29) तैतिलजाजल ५4-1-15?) { त्यदादेभ्यः (4-8 4.l) | त्यदादिभ्यो वा (4-1-161) সgসন্ত্রনা: (4-4-1/2) श्वेिश्यास्त्रिविणें {4•1-9ä | निष्ठबनुछुपु (4-1-10) ॥ त्रेश्च {3-4-7} त्रेस्त्रयश्च (8-1-196) | যাৰ: Հ (3-1-15) दक्षिणापश्चात् (4-3-11) | दगुकोसल (4-1-159) दण्ड़न्हस्तन्(*4-1-f'b दधिसमैधूनि (3-8-20) दध्नष्टक् (4 2 22) ४1; } दल्भकुलट (4-1-52) 224 42 तुमुनेोऽप्रयुज्यमानस्य (3-1-240} 44 तुल्यनामभ्य (4-1-1?0) तुल्यपैिरतुले (8-1-805) नृदवर्मतीभ्या (-3•2} 5) तृष्णनडुजन {{-8-181) तृतीया तस्कृतन {}-2-40) तथा दीने (3-2 163) तृतीथाल्पीयस (3-1-४?5) तृतीयासप्तभ्योः (8-1-200) বৃনযুত্থানান 3. i-69) तुना जेतुं (4., 6) तेन नि ते ५ 4-2 0 ) सेन श्री अतः (4-3-2523) તેન गगे t: 1-2% 4) * v* {InTて、4-2-1) 12 82 44ه 36 दशैकादश (4-4-91) दाणश्ध सा (3-1-108) दूम्नः सरयादेः (8-4-24) दिकूपूर्वेपदादू(4-3-26) दिङ्गसंख्ये (8-2-18) दिगादेप्रज्ञ (4-3-89) दिग्वर्ग पूग (1-3-148) दिइनामानि ('-3-15) दित्यादित्यादैश्य {4-1-2) दिनमध्यं (4-8-]]) दिधस्तदर्थेस्य (8-1-250) 32 दीयते नियुक्त (4-4-125) 2 33 43 斑然沿 दुर्नन्दाकृच्छू {3-2-149) दुष्कुलाद् (4-1• 132) द्देश्य. {{-••2}) दुरान्तकार्थ (:4-1•:5? २ फार्धेभ्यः |{3•l-85*} 257 105 104 69 220 10 265 15 40 14 36 215 10 15. 89) S. 149 28 117 Sl G 3.31 240 86 1 39 33 46 23. 216 13 ፵ቁ