पृष्ठम्:सरस्वतीकण्ठाभरणं‌(व्याकरणम्)-भागः-३.pdf/307

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१िम, कलात्य भू'प (4-8-113) क्लैरे (1-3-288) " **զInfi { է-1-114 } कप'चनश्व {4-2-0;(}) कविमति (4-1-1 5) (15) फराकृत्म्न (4-1-191) यस्येश्य ( 4-3-2{)); ক্ষাক্ষশাস্ত্য। (8-2-5) काकदन (8-4 63) काण्डादक्षेत्रे (3-4-41) कामप्रस्थ (4-8-81) कारवः (8-8-3) काल: (3-2-88} कालाः परिमाणिना (8 9-12ा) স্বাস্তাব ঘাস্ত্ৰ (4-3-187) কালানবিধি (3-1-258) कलाईवभ्या (3•1-213) ***զ. (4-3-1Ս2) कालेम्यो भववत् (4-9-88) काशपारा (4-2-12 ) काशार्श्वय (4-2 138) कशि्चेदि (4-3-46) काश्यपकौशिकाभ्यां (4-8-229) %T፱፻፵ሽት (8-2 8) केि क्षेपे (8-2.100) কুম্ভক্ষুন্টুম্ভহ্ম (3-2-10}} ঈক্রবারিানি (8-1-30) किसरतगरों (4 4-I1(}) कु: पापेषदर्धयो. (3-2-1-48) কুম্পসল্লখন (xt-1-69) ऊष्ट्तीर्ष (4 9-12?) কুমাযা (4 3-7) FfFTIR (3-2-83) 3 के जवामन (3 8-89) पूछम. 237 26 62 G 6 150 l 8) 52 25 20 22S 93 58 Sይ88 ar. { ॐमारः (*-2-96) ! Cf 4-2-17) शुमारादनूढ़ायाँ (:-4-88) मुदकुमुट {4-2-186) कुमुदनद्ध (t-2 14:3) कुमुदमीज (4-४ 119) कुम्भनिधान (!-8 10b) पुरुनादिभ्यो (4-1-174} युरुयुगन्धराभ्याम (4-3-07} ধ্রুয়ািহয়াৰ নায় {{-1*1, 44) ধ্ৰুংস্তষ্কাধী ( I di-8) कुलटाया या (4-1*116) कुलासयान (8 k-180) कुलाइढकम् ({•1-180) पुलालकुम्भकार (4-3-250) कुलुष्यकोपभाद् (4 4-49) | कुदाम्बविप्र (4-1-106) | कुमुभ्यां (1-1-85) | कूलात सँधैरयु {4-8-62) | कूर्माश्यादयक्ष (3 4 6:0) कृकणपणदू(4-3-19) कृमिः प्रतियान (8-1-282) इतलब्ध (4-8 130) 密öT要可《3-298) श्ते अन्ध (4-3-246) कृ;&पस्या (B-2-93) कृलेयपु कर्तरि (3-1-803) कृष्यैरधिकार्थे (3-2 45) कृष्स्वेोधप्रयोगे (3-1-293 कृद्योगा {3-2 188) कुँशा धारेिष्ट 4-2-115} कृष्णरंगाभ्या (4 1=' कुप्त्यर्थकर्तरि (3-1-236) FUK (4-2-65) FIFFIFFF (3-4-43) पृप्रम f 8. 19 209 1. 20 209 225 1G 21፤4 162 137 16. 258 272 145 3.25 126 228 45 237 70 있57 69 5 60 47 205 154 43 196 20