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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८४८

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शिखडिन्, शिखण्डिन् शिखंडिन ( वि० ) ) शिखण्डिन् वि० ) ) (532) १ शिखायाला | कलैगीदार शिखंडिनं ) ( पु० ) १ मयूर | मोर | २ सुर्गा | ३ शिखण्डिन् । तीर | ४ मयूरपुच्छ | ३ पीली जुही । ६ विष्णु का नामान्तर । ७ द्रुपदराज के एक पुत्र का नाम । शिखंडिनी ) ! स्त्री० ) १ मयूरी | २ पोली जुही। शिखण्डिनी ३ राजा द्रुपद की एक कन्या का नाम । शिखर ( न० ) ) १ चोटी या सबसे ऊँचा भाग शिखर ( पु० ) ) ( पर्वत का ) शृङ्ग २ वृक्ष की फुनगी | ३ चुटिया | शिखा ४ तलवार की धार या बाढ़।५ बगल ६ रोमाज ७ कुन्द की कली। ८ चुन्नी की तरह का एक रत्न | सिरा । अग्रभाग 1- वासिनी (स्त्री० ) दुर्गा देवी ! का नाम । शिखरिणी ( श्री० ) १ उत्तम स्त्री | २ शिखरन | सिखिन्न ।३ रोमावली ४ सत्रह अक्षरों का एक वर्ण वृत्त जिसके छठे और ग्यारहवें वर्ष पर यति हो । शिखरिन् (वि० ) 1 चोटीवाला | शिखावाला । २ नुकीला | शृङ्गवाला ( पु० ) १ पहाड़ | २ पर्वतदुर्ग ३ वृक्ष ४ शिखरी नामक पक्षी | २ अपामार्ग प्रज्जाकारा । शिजजिका शिख चुका का पेड़ -वलः ( पु० ) (पु० ) डीयट | ट्रोवट - (० ) सूह-दर-सूद वह व्याज जो प्रतिदिन बढ़े शिखालुः (पु० ) मयूर की कलँगो : शिखा ( वि० ) १ चोटीदार | २ लदार (go ) १ दीपक अि शिञ् ि( वि० ) नोकदार २ चोटीदार | शिवा वाला | २ अभिमानी || पु० ) १ मयूर | मोर | १] [अझ ३ मुर्गा | तीर वृक्ष : ६ दीपक | ७ लाँड़ | घोड़ा पहाड़ पर्व | शिखा (स्त्री० ) १ ( सिर पर ) चोटी चुटिया || २ कलेंगी | ३ बेहो । केशों या परों का गुच्छा । : ४ धार | बाद । ५ वत्र को किनार गोट या अंचल | ६ अँगारा | ७ शिखर शृङ्ग ८ लौ | किरन | ६ मोर की कलेंगी १० कलियारी विष ! लांगली | ११ मूर्वा । मरोड़फली। १२ जटामासी बालवड़ १३ बच १५ तुलसी । १६ डाली। टहनी । मुख्य प्रधान १८ कामज्वर | दीपवृष । दीवट | धरः, ( पु० ) मयूर । वह दीयट | पतीलसोत- मोर | - मणिः, ( पु० ) मणि जो सिर पर पहना जाय। -सूलं, ( न ) १ वह कंद जिसके ऊपर पत्तियों का गुच्छा हो । गाजर | गोभी २ शलजम / चरः, (०) मयूर वृक्षः १० ब्राह्मण 18 संन्यासी साधु । १२ केतु उपग्रह १३ तीन की संस्था १४ चित्रक का वृक्ष कराउं. प्रोवं. (न० ) तूतिया | - ध्वजः ( पु० ) १ कार्तिकेय । २ धूम | --विवंचं, (न० ) मयूर की पूंछ | -यूपः, ( पु० ) बारहसिंगा 1-वर्धकः, ( पु० ) कुम्हड़ा । तरबुज । -वाहनः, (पु० ) कार्तिकेय 1-शिखा. ( श्री० ) १ अँगारा । शोला | २ मयूर को कलँगी या शिखा | शिम: ( पु० ) १ सहिजन का पेड़ | शोभाञ्जन | २ शाक | साग | शिख ( धा० प० ) [ शिम्बति ] चलना । शिघ् (धा०प० ) संघना : शिवाणं ( न० ) १ नाक से निकलने वाला मैल |

दामन या शिधाणः ( पु० ) १ फेना | फेन । २ कफ । रहट । २ लोहे का मैल | ३ काँच का बरतन । शिघाणकं (न०) ) शाकं (न० ) ( नाक का मैल रहट | ( go ) ६४ शिफा | शिवायकः ( पु० ) (कफ | श्लेष्मा । शाख । १७ : शिङ्खाणकः (पु०) ) तरुः (पु० ) ' शिज ( (घा० आ०) [शिजते, – शिक. - शिजयति शिख ) शिजयते, शिंजित ] चजना | खद- खड़ाना | रुनभुनाना । (विशेषत: श्राभूषणों का) शिजः पु० ) भूषण का शब्द | शिंजंजिका } (स्त्री० ) कमर में बाँधने की जंज़ीर में शिखखिका सं> श० कौर - १०६