शबूक, शम्बूक: 1 शंबूकः ) ( पु० ) १ घोंघा २ ३ हाथी की शम्बूकः । संह का अगला भाग ४ एक शुद्ध नपत्री का नाम जिसके अनधिकार कर्म करने पर श्रीराम- चन्द्र जी ने उसे जान से मार डाला था। ( पु० ) १ प्रसन्न पुरुष २ इन्द्रका व शशंभः शम्भः शंभली शम्भली (८२३ ) शंभु शम्भु ( स्त्री० ) कुटनी। दूनी } { चि० ) आह्लादकारी | आनन्ददायी । शम्भुः तनयः, - शंभुः ) ( पु० ) १ शिव | २ ब्रह्मा । ३ मान्यपुरुष | नन्दनः-सुनः (०) कार्तिकेय या गणेश: -प्रिया. ( स्त्री० ) : दुर्गा २ आमलकी । -वल्लभं, (न० ) सफेद कमल 1 शम्या ( स्त्री० ) १ काठ की छुट्टी या खंभा २ इंडी ३ जुआ की खूँटी ४ करवाल । मंजीरा | र यज्ञीयपात्र विशेष | i शय (वि० ) [ श्री० -शया, शयी ] लेटने वाला। |- सोने वाला । शखंड शयराड शयः ( पु० ) निद्रा नींद २ सेज खाट । शय्या ३ हाथ | ४ लॉप विशेष अजगर । २ गाली । अकोसा शाप | } ( त्रि० ) निहाहु । सेाने बाला । शयथ (चि० ) निद्रालु। सोया हुआ। शयथः ( पु०) मृत्यु । २ सर्प विशेष अजगर सपे ३ शूकर ४ महली विशेष . + शयनं ( न० ) १ निद्रा नींद | २ सेज शय्या | - । ३ स्त्रीसँग । स्त्रीमैथुन ।अगरः - आगारः, ( पु० ) श्रगारं, आगारं, ( न० ) - गृहं, (न० शयनगृह | सोने का कमरा।-एकादशी, ( स्त्री० ) आपाद शुक्ला एकादशी, जब भगवान् विष्णु शयन करना आरम्भ करते हैं:- -सबी (श्री० ) एक सेज पर साथ सोने वाली सहेबी - स्थानं, ( न० ) शयन : २३। प्रायः शयनीयं ( न० ) सेज | शा ध्यानकः ( पु० ) १ गिरगट २ अजगर सर्प या (वि० ) दिवालु । श्राद्धमी । २ हुआ ३ शयालुः ( पु० अजगर सर्प शृगाल
शयित ( २० ० ) १ सोया हुआ सुप्त २ लेटा हुधा । शयु: ( पु० ) बड़ा सर्प अगर शय्या ( स्त्री० ) १ सेज पलंग २ बंधन | -अध्यतः,- पालः, (पु०) राजा के रायनागार - का प्रबन्धक 1- उप (पु०) सेज को बगल गत, (वि० ) १ सेज पर लेटा हुआ बीनार 1-- गृहं ( न० ) शयनागार | घरं ( न० ) जल पानी शरः ( ० ) १ बाण तीर २ एक प्रकार का नर कुल या सरपत | ३ मलाई । अनिष्ट पाँच की संख्या 1 घाव ५ - - अयः (पु० ) उत्तम बाण - अभ्यासः, (पु० ) तीरंदाज्ञी | - -असनं. थास्यं, (न० ) तीरंदाल | कमान | -यः (पु० ) तीर की वर्षा । तीर वर- साना। आरोपः घ्यावापः, ( पु० ) धनुष । कमान आश्रयः, ( पु० ) तुधीर तरकस -ईपिका, ( स्त्रो० ) तीर वाण ( पु० ) ग्राम का पेड़-घः (पु० ) बाय- वर्षा :-काण्डः, (पु० ) १ नरकुल | २ बाण की लकड़ो - घातः, ( पु० ) तीरंदाजी जं ( न० ) ताज़ा या टटका मक्खन --जन्मन्, ( पु० ) कार्तिकेय :-- धि: ( उ० ) तूणीर | तरकस पुंख:, (पु० ) - पुंखा, (खी० ) तीर का वह भाग जहाँ पर लगे होते हैं।-फलं, ( न० ) तीर की पैनी नोंक जहाँ नुकीला लोहा लगा होता है। -भङ्ग, ( ५० ) एक ऋषि, जो दण्डक वन में श्री रामचन्द्र जी से मिले थे। ~भूः, (५०) कार्तिकेय-मः, (पु०) धनु घर वनं, (वं ) ( न० ) सरपत का बन -वाणिः, ( पु० ) १ तीर का सिरा २ धनु- घर। तीरंदाज्ञ३ तीर बनाने वाला ४ पैदल