पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८३४

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शतनु शन्तनु शंतनुः } चन्द्रवंशीय एक राजा का नान शन्तनुः शप् ( घा० ४० ) [ शपति-शपते, शभ्यति . शप्यते, शत ] शाप देना थकोसना २: १ 1 · शपथ खाना। कसम खाना ३ दोषी ठहराना डाँटना। उपटना विकारना ।

शप: ( पु० ) ३ शाप असा २ । कसम | शपथः (पु० ) असा बददुधा २ अभिशप्त वस्तु अभिशाप का पात्र ६ कसम किरिया | ४ किरिया में बाँधने की क्रिया शप्त ( व० ऋ० ) १ शापित | शाप दिया हुआ | २ शपथ खाये हुए | ३ गरियाया हुआ। ३ शर्फ (न० ) शफः ( 50 ) शफरः (g० ) [ श्री०- नफरी ] छोटी मछली जिसके शरीर में चमक होती है ।-अधिकः, ( पु० ) इलिशा या हिलसा जाति की मधुली । जंगली । २ शिव जी । २ शाख विशेष अथवा प्रसिद्ध भाष्यकार | | शवरः ( पु० ) 1 पहाड़ी शवरः ) ३ हाथ | ४ जल | मीमांसा शास्त्र के एक Srkris (सम्भाषणम्)-लोभः, (पु०) जंगली लोध 1 शबलः शवलः १ शबरी ( श्री० ) शधर जानीय स्त्री २ किरात शवरी ) जातीय की, जिसका श्रीरामचन्द्र जी ने उद्वार किया था। शवला शवला शवली शवली र २ पेड़ की जड़ शक्ल ) ( वि० ) १ चितकबरा रंगविरंगा । २ शवल । विभिन्न कई भागों में विभक्त । शत्रुल } ( न० ) जल 1 पानी । } ( 5० ) चितकारा रंग । (स्त्री) 1 चितकबरीया रंगविरंगी गौ। २ कामधेनु । शब्द (भा० उ०) [शब्दयदि-गन्दयते, शन्दित] शब्द करना। शोर करना २ योजना | बुलाना | पुकारना ३ नाम लेनर नाम से कर पुकारना । शब्द: पु० ) कलर | ३ की २ संज्ञा ६ उपाधि | मौविक याने पक्षियों का ७ मा अधिटानं, (न० ) कान करणे |-अनुशासनं, ( स० ) व्याकरण - अरः (०) अलकार जिसमें केवल शब्दों या नहों के विश्वास से भाषा में जालिय उत्पन्न होता है आाख्येय (वि० ) ज़ोर से या चिन्द्राकर कहा जाने वाला आख्येयं ( न०) जपानी संदेशा था पैग़ामडम्बर (१०) बड़े शब्दों का ऐसा प्रयोग जिसमें भाव की न्यूनता हो -कोशः ( पु० ) डिक्शनरी खुद ग्रन्थ विशेष जिसमें मंचर कम से या समूहम से शब्दों के अर्थ या पर्यायवाची शब्दों का संग्रह किया गया हो।ग्रहः (पु० ) कान/-धातुर्य, (२०) शब्दप्रयोग सम्बन्धी चतुरता । वाग्मिता |-- विनं, (न० ) धनुशास नामक अलङ्कार-पतिः, ( पु० ) नाममात्र का स्वामी या मालिक /-पातिन, (वि०) शब्द- वेधी (निशाना) लगाने वाला।-प्रमाणं, (न०) वह प्रमाण या सासरी जो किसी के कथन पर निर्भर हो । महान् ( न० ) १ वेद | २ ब्रह्म जीव का ज्ञान आध्यात्मिक ज्ञान 1-मेदिन, ( वि० ) शब्द को सुन कर निशाना बेचने वाला ( पु० ) अर्जुन खुदा श्वाण विशेष -योनि:, (श्री०) शब्द की उत्पत्ति। --विद्या, (स्त्री०) शासनं, --शास्त्र ( न० ) व्याकरण शाका विरोध, ( go ) वाचिक विरोध | - वेधिन् ( वि० ) देखो भेदिन, ( पु०) अर्जुन २ बाया विशेष | -~-शक्तिः, ( श्री० ) शब्द की वह शक्ति जिसके द्वारा उस शब्द से कोई विशेष भाव प्रदर्शित होता है |-- शुद्धिः, ( स्त्री० ) शब्द का शुद्ध प्रयोग | ---शपः ( पु० ) वह शब्द जो दो या अधिक अर्थों में व्यवहुत किया जाय।-संग्रह: ( 50 ) शब्दकोश -सौष्ठवं, (न० ) किसी लेख या शैली आदि में प्रयुक्त किये हुए शब्दों की सुन्दरता था कोमलता (सौकर्य, ( म० ) शब्दम्यवहार की सरबता