पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८२३

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व्यसनिन् ३ अतिक्रमण : भङ्गकरण ४ नाश अधःपात निर्वलता । २ आपत्ति । सङ्कट अभाव ६ अस्त होने की पापाचार | दुष्टाचार | बुरी धावत | म लीनता किसी कार्य में १० सजा | पराजय विपत्ति क्रिया । ७ दुरीक्षत | जुर्म अपराध ११ अयोग्यता १२ निरर्थक उद्योग । १३ पवन / हवा । -अतिभारः (50) बड़ी भारी चिपति -अन्वित, प्रात, पीडित, ( वि० ) आपदाग्रस्त सङ्कटापन मुसीबतजदा। व्यसनिन् (वि० ) १ किसी बुरीबत में फँसा हुआ। दुष्ट २ प्रभागा । बदकिस्मत ३ अत्यन्त अनुरक्त व्यसु ( वि० ) निर्जीव सृत - व्यस्त (व० कु० ) १ प्रचित | निश्चिष्ठ | २ विकीर्ण । बिखरा हुआ। ३ निकाला हुआ । ४ वियोजित। अलहदा किया हुआ एक एक कर विचार किया हुआ अलग अलग। ६ अमिश्रित । सादा। ● विभिन्न ८ स्थानान्तरित किया हुआ है अवड़ाया हुआ। विकल १० गड़बड़ अस्तव्यस्त | 11 उलटा पुलटा। ऊपर नीचे १२ विपरीत। व्यस्तारः ( पु० ) हाथो की कनपुट्टियों से मद का चूना व्याकरणं ( न० ) वाकू पृथकरण प्रक्रिया | २ व्याकरण शाख जो वेद के छः अंगों में से एक है। व्याकारः ( पु० ) परिवर्तन रूप का पलटना | २ कुरूपता । व्याकीर्ण ( व० कृ० ) १ बिखरा हुआ। टिका हुआ | २ अस्तव्यस्त किया हुआ। व्याकृतिः ( स्त्री० ) छल व्याकृत ( ३० कृ० ) कपट | धोखा | फरेव | पृथक किया हुआ २ व्याख्या किया हुआ। ३ बदशकू बनाया हुआ। व्याज. व्याकृतिः ( स्त्री० ) १ पृथकारया | २ व्याख्या | टीका ३ शक की बदल ४ व्याकरण | व्याकोश | ( वि० ) 5 बढ़ाया हुचा । फुलाया व्याकोष | हुआ। खिला हुआ। २ वृद्धि को प्राप्त | व्यापः (पु० ) १ उचल कूद | २ अड़चन रुका- यट ३ विलम्ब ४ विकलता। व्याख्या ( श्री० ) १ वर्णन | निरूपण | २ टिप्पणी टीका | 1 व्याख्यात ( व० कृ० ) निरूपित कियर हुआ। व्याख्या (पु० ) टीकाकार व्याख्यानं ( न० ) निरूपण ३ व्याख्या टीका। वणित टीका 1 टिप्पणीकार | २ भाषण । तकरीर व्याघनं ( न० ) 1 मन्थन | व्याघातः ( पु० ) १ ताइन । २ आाधात साह | संघर्ष । प्रहार | ३ अचन | रुकावट | ४ खण्डन । प्रतिवाद । २ अलद्वार विशेष जिसमें एक ही उपाय के द्वारा दो विरुद्ध कार्यों के होने का वर्णन किया जाता है। व्याकुल ( वि० ) १ विकल परेशान भयभीत । 1 डरा हुआ। ३ परिपूर्ण ४ मशगूल कार्य में | व्याजः (पु० ) १ कपट छल फरेव। २ कौशल। संलग्न या फँसा हुआ। 1 व्याकुलित (व० कृ० ) विकल परेशान घवड़ाया हुआ। व्यानः ( पु० ) 1 चीता | बाघ । २ ( समासान्त शब्दों के अन्त में आने पर इसका अर्थ होता है- सर्वोत्तम मुख्य प्रधान । यथा नरव्याघ्र " । ३ बालरेंड करंज आस्यः (पु०) बिलार | -नखः (पु० ) -मखं ( श्री० ) १ चीते के नाखून २ बगहा नामक प्रसिद्ध गम्बद्रष्य | ३ खरोंच नसचत ४ थूहर ५ एक प्रकार का कंद - नायकः, ( पु० ) गीदड़ शृगाल व्याघ्री (स्त्री० ) चीछे की मादा चालाकी ३ बहाना | मिस्र ४ तरकीब युक्ति। -उतिः (स्त्री० ) १ कपटभरी यात । २ अलङ्कार विशेष । इसमें किसी स्पष्ट बात को दुहाने के लिये कोई बहाना किया जाता है। -निन्दा, (स्त्री० ) वह निन्दा जो छल या कपट से की जाय -सुप्त, ( वि० ) सोने का बहाना किये हुए ~~स्तुतिः, (स्त्री० ) वह