पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/८११

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शुक |-- बीटि (श्री० ) बाँस की बड़ी ।--- वादः, - चादकः, (पु० ) नफीरी वाला बीजं, (न० ) बलि का बीज चेकं ( म० ) यह अंकुश जिसमें चाँस की मूठ हो । चेनं (न० ) काली मिर्च | वेतंड: चेतण्ड: वेदंडः वेदण्डः ( ८०४ ( पु० ) हाथी । वेतनं ( ० ) १ भाड़ा। तनख्वाह । मासिक २ आजीविका अदानं, अनपाकर्मन, ( म०) - अनपक्रिया (सी० ) १ वेतन म चुकाना । २ वेतन न चुकाने पर वेतन वसूल करने के लिये किया गया उद्योग विशेष! -जीविन्, ( पु० ) वृत्तिहा। वृत्तिवाला। वेतसः (पु० ) १ येत नरकुल २ जंभीरी। बिजौरा | वेतसी (स्त्री० ) बेत । जलबेत| वेतस्वत् (वि० ) [स्त्री०-वेतस्पती] यह स्थान जहाँ वेतों का बाहुल्य हो । वेतालः ( पु० ) भूत योनि विशेष २ द्वारपाल । पौरुमा। दरवान | वेत्तृ ( पु० ) १ ज्ञासा | जानने वाला २ विद्वान | पति । वेत्र: ( पु० ) 1 घेत । जनचेत २ द्वारपाल के हाथ की छड़ी~आसनं, (न०) वेत का बना हुआ आसन १-~~घरः,—धारकः ( पु० ) १दार- पाल २ असाधारी चोबदार | वेत्रकीय (वि० ) बेंत का। वेत्रवती ( श्री० ) १ श्री द्वारपाल २ घेतवा नदी वेदिका विष्णु का नामान्तर ।- (०) वेदाङ्ग छ. है:-- यथा १ शिक्षा २ छंद | ३ व्याकरण ४ निरुक्त | १ ज्योतिष | ६ कल्प अधिगम, (पु०) वेदाध्ययन-अध्ययनं, (न० ) वेदाध्ययन | --अध्यापकः ( पु० ) वेदों का पढ़ाने वाला (अन्तः, ( पु० ) १ उपनिषद और आश्वयक आदि वेद के अन्तिम भाग जिनमें, यात्मा, परमात्मा और जगत् थादि का विषय वर्णित है। २ छः दर्शनों में से प्रधान वेदान्स दर्शन |-अन्तिन, (पु० ) वेदान्स दर्शन का धनुयायी या मानने वाला आदि ( न० ) -आदिवः-श्रादिवीजं, (न० ) प्रणाम | ओं।--उक्त, ( वि० ) वेदविहित । -कौलेयकः, ( पु० ) शिव जी । -गर्भः ( पु० ) १ ब्रह्मा । २ चेदविद आह्मण-शः, ( पु० ) आह्मण जिसने वेद का अध्ययन किया हो।-त्रयं, ( न० ) - त्रयी, (श्री० ) तीन वेदों का समुच्चय - निन्दकः, ( पु० ) नास्तिक (~-निन्दा, (सी० ) वेद की बुराई 1- पारगः, ( पु० ) वेदविद्या में निष्णात ब्राह्मण/- मातृ, (स्त्री०) गायत्रीमंत्र | -वचनं, वाक्यं, (न० ) वैदिक मंत्र या -वदनं, ( न० ) व्याकरण । -वासः, ( पु० ) आक्षण | वाह्य ( वि० ) जिसका उल्लेख वेद में न हो। वेदविरुद्ध विहित, ( वि० ) वेदानुकुल व्यासः, (पु० ) वेद- पास जी जिन्होंने वेदों के विभाग किये - संन्यासः, (पु० ) वैदिक कर्मकाण्ड का त्याग | वेदना (श्री० ) ) पीड़ा | ३ घन दौलत । सम्पत्ति । वेदनं, (५० ) १ ज्ञान अवगति । २ अनुभव | ४ विवाह । का नाम । चेत्रिन्] ( पु० ) द्वारपाल दरवान २ चोबदार। वेथू ( भा० श्रा० ) [वैधम्ते] याचना करना। माँगना । वेदः ( पु० ) ज्ञान । २ विशेषतः आध्यात्मिक विषय का सच्चा और वास्तविक ज्ञामी | ३ क्, यशु, साम और अर्थववेद ४ कुशों का मूढा | ४ ) वेदारः (पु० ) गिरगट वेदिः ( पु० ) परिवत । विद्वान् । घेदिः ) ( श्री० ) १ यशकार्य के लिये साफ करके वेदी तैयार की हुई भूमि ३ अँगूठी जिसमें नाम की मोहर हो । ३ सरस्वती का नाम ४ भूखण्ड देश-आ, ( श्री०) द्रौपदी का नामान्तर । वेदिका (वि० ) १ वह स्थान या ऊँचा चबूतरा जो यज्ञ के लिये ठीक किया गया हो । २ बैठकी।