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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७८२

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विपन हुआ नष्ट किया हुआ । किस्मत पीड़ित विपन्नः ( पु० ) साँप | सर्प विपरिणामन ( न० ) ) विपरिणामः ( पु० ) ३ ( ७७४ ) अभागा बद विराटनं ( न० ) १ ४ अशक्त काम १ परिवर्तन १ २ रूप परि- वर्तन । रूपान्तर । [1] विपरिवर्तनं ( २० ) लोटन। लोटने की क्रिया । विपरीत (वि० ) १ उलटा | विरुद्ध | खिलाफ १२ अशुद्ध नियम विरुद्ध २ कृग अत्य प्रतिकूल २ अप्रिय अशुभ ६ चिड़चिड़ा विपरीतः ( पु० ) रतिक्रिया का आासन विशेष विपरीता ( स्त्री० ) १ असनी खी २ दुश्चरित्रा श्री। विपकः ( पु० ) पत्तास वृद विपर्ययः ( पु० )स्ता विपरीतता । उलदा पन २ परिवर्तन (भेव था पेशाक का ) ३ i अभाव । अनस्तित्व | ४ हानि | सम्पूर्णतः नाश | ६ अदल बदल | विनिमय । ७ भूल । चूक गुलती। अमापति | विपत्ति | दुर्भाग्य द्वेष | वैमनस् शत्रुता । i विपर्यस्त ( ० ० ) १ परिवर्तित | बदला हुआ |

उलटा । २ भ्रमात्मक विपर्याय: (पु० ) उलटा । विपरीत | विसः (पु० ) परिवर्तन प्रतिकूलता | विरुद्धता ३ अदल बदल बल उलट पलट ४ भूल चूक | विपलं ( न० ) समय का एक अत्यन्त छोटा जो एक पल का साठवाँ भाग होता है। विपलायनं ( न० ) भिन्न भिन्न दिशाओं में चारों ओर भाग जाना । उहापन १२ बदलौ विभाग : veना विपश्चित् (वि० ) परिडत बुद्धिमान | सूक्ष्मदर्शी विपश्चित् ( पु० ) पडितजन | बुद्धिमान जन | विपाकः ( पु० ) परिपक्त होना | पचन | पकता २ पूर्ण दशा को पहुँचना । तैयारी पर आमा । चरम उत्कर्ष ३ फल परिणाम कर्म का फल | २ कठिनाई | साँत । ६ स्वाद | जायका ।। 4 विरा फाहना २ मुलांछेद पर सुगठन विपाठः । पु०) लंचा तर विशेष दिपांडु विपाड्डु | वियांडुर दिपाण्डुर विणंडुरा ? विषाण्डुरा ) ( स्त्री० ) महामेदा] | चीग्ना समूलोत्पादन ३ } { त्रि० ) पीसा ! पीत | ? ! ( वि० ) पीलापन। विपादिका ( श्री० ) 1. कुष्टरोग का एक भेद । अपर महेलिका पहेली। विराश ) ( स्वी० ) पंजाब की व्यास नदी का विपाशी प्राचीन नाम बड़ा बुद्धिमान् । विपिनं (न० ) वन जंगल धरण्य विस्तृत विपुल ( वि० ) १ वड़ा । विस्तारित । चौड़ा घड़ाधक बहुत ३ अगाध गहरा ४ रोमानित छाय. ( वि० ) सधन । छायादार जघrt ( वि० ) बड़े चूतड़ों श्रीमति (वि० ) बहुत वृद्धि वाला। रसः, ( पु० ) गन्ना । ऊख ! त्रिपुलः ( पु० ) १ मेरुपर्वत । २ हिमालय पर्वत । ३ प्रतिष्ठितञ्जन | विपुत्ता ( श्री० ) पृथिवी यदुन्धर ! वियः ( पु० ) मंज। सुक्षतृण ! विप्रः (०) क्षण २ परिडत बुद्धिमान जन । अश्वत्थत-प्रियः ( पु० ) पलाश ~ स्वं, (न० ) ब्राह्मण की सम्पत्ति । त्रिकर्षः ( पु० ) फासला दूरी विप्रकार: / पु०) तिरस्कार धनादर २ अपकार । अमिष्ट ३ दुटता | शठता ४ प्रतिकूलता | २ प्रतिहिंसन बदला। विप्रकीर्ण ( ब० कृ० ) 1 मितर वितर छितरा हुआ। विखरा हुधा २ ढीला | बिखरे हुए ( बाद ) ३ फैला हुआ निकला हुआ ४ चौड़ा ! आँदा।