पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७४९

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वमन् | वर्ध (पु० ) १ काट । तराश | विभाजन | २ वृद्धि सम्पत्ति वृद्धि | ( पु० ) बढ़ई, तक्षक | वर्धन (वि० ) १ बढ़ाने वाला उन्नति करने वाला। वर्धनं ( न० ) वृद्धि बढ़ती २ उचयन । ३ सजीवता ४ शिक्षण पोषण २ काट | नाम । | वर्तिः ) ( स्त्री० ) १ गद्दी । वह बत्ती जो वैद्य धाव वर्ती ) देता है। लपेय | २ अंजन | मलहम | ३ लैंप या दीपक की बत्ती | ४ किसी कपड़े के छोरों के सूत जो बुने न गये हों। २ जादू का दीपक | ६ बर्तन के चारों ओर को बाहिर निकला हुआ किनारा ७ जर्राही श्रीरधारी रेखा। वर्तिकः ( पु० ) तीतर बढेर वर्धनः ( पु० ) १ समृद्धिदाता | २ वह दाँत जो दाँत के ऊपर उगता है | ३ शिव जी । विभाजन वर्धनी (स्त्री० ) १ बुहारी । झाडू | २ विशिष्ट रूप सम्पन्न जलघट | वर्तक (स्त्री० ) १ चितेरे की कुंची । २ दीपक की बत्ती ३ रंग रोगन । ४ तीतर| बटेर । वर्तिन (वि० ) [ स्त्री० - वर्तिनी ] १ स्थित रहने वाला | २ वर्तनशील | ३ घूमने वाला | वर्तिरः वर्तीरः } ( पु० } एक प्रकार का तीतर । वर्त ( वि० ) १ घूमने वाला | २ गोल । चकरदार । वर्तुल ( वि० ) गोलाकार । गोल । वर्तुलः ( पु० ) १ मटर | २ गोला। गेंद । वर्तुलं ( न० ) चक्कर | वृत्त । परिधि । वर्त्मन् ( न० ) १ राह | रास्ता | सड़क पगडंडी | २ ( आलं ० ) चलन | रस्म । पद्धति । ३ स्थान । कार्य करने की समाई । ४ पलक ५ किनारा कोर। -पातः, (पु० ) रास्ता भटक जाना- वन्धः, –वन्धकः, ( पु० ) पलकों का रोग विशेष | ( ७४२ ) वतमान वर्तमानः (पु० ) व्याकरण में क्रिया के सीन कालों में से एक जिसके द्वारा सूचित किया जाता है कि, किया अभी चली चलती है और समाप्त नहीं वर्तकः (पु० ) पोखर| गड़ैया | २ भवर ३ कौवे का घोंसला ४ द्वारपाल । १ एक नदी का वत्मानः } (स्त्री० : रास्ता | सड़क वर्ध ( धा० उभय० ) [ वर्धयति, वर्धयते ] १ काटना । विभाजित करना । कतरना । २ भरना | परिपूर्ण करना । अर्ध ( न० ) १ सीसा । २ ईंगुर| सेंदूर वर्धकः वर्धकः वर्धकिन् वर्धमान ( वि० ) वढ़ने वाला बढ़ता हुआ । वर्धमानः (पु० } } या पात्र । ढक्क त्रिक ) ) १ विशेष रूप की बनी तश्तरी ) चित्र | ३ घर जिसका दरवाज़ा दक्षिण दिशा की ओर न हो । वर्धमानः (पु० ) १ रेड़ी का पौधा । २ पहेली। बुझौवल ३ विष्णु का नाम । ४ बंगाल के एक जिले का नाम । ( चर्दवान जिला ) | वर्धमाना (स्त्री० ) बंगाल के एक जिले का नाम । वर्धमानकः ( पु० ) तश्तरी । मिट्टी का प्याला सकोरा । विभाजन । २ वर्धापनं ( न०) १ काटना । तराशना नाड़ा काटने की क्रिया या इसका संस्कार विशेष । नालच्छेदन संस्कार | ३ वर्षगाँठ का उत्सव | ४ कोई भी उत्सव | वर्धित ( व० कृ० ) १ बड़ा हुआ। वृद्धि को प्राप्त २ बढ़ा हुआ । वधं ( न०) १ चमड़े का तस्मा या बद्धि | २ चमड़ा । ३ सीसा । वायका } ( स्वी० } तस्मा | चमड़े का बंधन | वर्मन् ( न० ) १ कवच बखतर । २ छाल | गूदा | ( पु० ) पत्रिय सूचक उपाधि । --हर, ( वि० ) १ कवचधारी । २ इतना बूढ़ा कि जो कवच धारण करने या युद्ध में भाग लेने को असमर्थ हो ।