जावरायमय लावण्यवत् ( ७२१ ) विवाहित स्त्री की व्यक्तिगत सम्पत्ति जो उसे विवाह के समय उसके पिता अथवा उसकी सास द्वारा मिली हो । लावण्यमय ( वि० ) सलौना। सुन्दर मनोहर । लावण्यवत् लावाणकः ( पु० ) मगध देश के समीप एक जिले का नाम । लाधिकः (go ) भैंसा I लापुक ( वि० ) [ स्त्री०-लापुका, लापुकी ] लोभी खालची लासः ( पु० ) १ नृत्य विशेष २ कीड़ा | बिहार ३ बियों का नृत्य | ४ कोन। शोरखा । लासक ( वि० ) [ की-लासिका ] १ खिलाड़ी। कीड़ाप्रिय २ इधर उधर दिलने वाला। लासकः ( पु० ) १ नचैया | २ मोर | मयूर ३ थालिङ्गन शिव जी । 1 I लासकं ( न० ) अढारी अठा लासकी ( श्री० ) १ नृत्यकी | नाचने वाली २ रंडी। वेश्या । लास्यः ( पु० ) नचैया नट जास्वं ( न० ) १ नृत्य। नाच | २ गान वादन सहित नृत्य । ६ वह नृत्य जिसमें हाथ भाव दिखला कर प्रेमभाव प्रदर्शित किया जाता है। लिंगकर, लिङ्गक लिखितं (न० ) 1 लेख | टीपकोई अन्य या निबन्ध | जास्या (स्त्री० ) नृत्यकी। नाचने वाली। लिकुचः देखो लकुच ० लिक्षा (सी० ) १ जुएं या चील्हर का अंडा २ धार या आठ शृसुरेख के वरावर की तौल विशेष | लिक्षिका ( श्री. ) लीक जूं का अंडा । लिखू (धा० परस्मै ) [ लिखति, -लिखित ] १ लिखना। २ खाका खींचना १ रेखाहित करना। ३ खरोचना | छीलना | फाड़ना ४ भाला से छेदना। ५ स्पर्श करना । चराना । ६ चौंच मारना । ७ चिकनाना ८ स्त्री के साथ संगम करना | लिखनं (न० ) १ लेख २ लिसंत टीप पट्टा लिखित ( २० कृ० ) लिखा हुआ | चित्रित लिखितः (पु० ) एक स्मृतिकार का नाम । लिख ) ( था० परस्मै ) [ लिखति ] जाना । लिङ्ग) चलना लिंगु ( ० ) मृग हिरन २ मूर्ख मूह | ( न० ) हृदय | लिंग ) लिङ्ग (धा० परस्मै० ) [ लिंगति, लिंगित ] चलना जाना। लिगं { 1 चिन्ह । निशान चिन्हानी। प्रतीक । लिङ्गम् ) २ बनावटी निशानी बनावट धोसे देने वाली चिन्हानी ३ रोग के लक्षण ४ प्रमाण साक्षी । २ ( न्याय में ) वह जिससे किसी का अनुमान हो। साधक हेतु | ६ नर या मादा पहचानने की चिन्हानी |७ शिव जी की मूर्ति विशेष म देवता की मूर्ति या प्रतिमा एक प्रकार का सम्बन्ध या सूचक । ( जैसे संयोग । चियोग, साहचर्य ) इससे शब्दार्थ का बोध होता है 10 वह सूक्ष्म शरीर जो स्थूल शरीर के नष्ट होने पर कर्मफल भोगने के लिये प्राप्त होता है। श्रयं, (न० ) लिङ्ग का अग्रभाग अनुशासनं, (न० ) व्याकरण के वे नियम जिनके द्वारा शब्द के लिङ्गों का ज्ञान प्राप्त होवा हैं --अर्चनं, (न०) महादेव की पिंडी की पूजा । -देहः, ( पु० ) --शरीरं, ( म०) सूक्ष्म शरीर। -घारिन (वि० ) चपरासधारी ।-नाशः, ( पु० ) १ पहिचान के चिन्ह का नाश | २ जनने- न्द्रिय का । ३ दृष्टि का नारा नेत्र रोग विशेष | -पुराणं, (न० | १८ पुराणों में से एक पुराण का नाम - -प्रतिष्ठा ( स्त्री० ) शिव जी की की स्थापना 1 - विपर्ययः ( पु० ) परिवर्तन (वि० ) आडम्बरी । ढकोसल्लेबाज़ -वेदी (स्त्री० ) वह पीठ जिस पर शिव की पिराडी स्थापित की जाती है लिंगकः लिङ्गकः } ( ए० ) कपित्थ वृञ्च । सं० श० कौ० - ११
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