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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७००

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23.ANITURES योग उप

इलाज | चिकित्सा | १६ जादू | टोना | ताँत्रिक कर्म । ऐन्द्रजालिक विद्या १७ प्राप्ति धिंधन सम्पत्ति । १६ नियम । आदेश | २० निर्भरता सम्बन्ध एक शब्द की दूसरे शब्द पर निर्भरता | २१ शव्दविन्यास शब्दव्युत्पत्ति | २२ शब्दव्युत्पत्ति के अनुसार शब्द का अर्थ २३ योगदर्शनानुसार चिस की चञ्चलता का निग्रह चित्तवृत्ति निरोध | २४ पतञ्जलि का योगदर्शन | २५ ( गणित में ) जोड़ | मोज़ान २६ ( ज्योतिष में ) शुभयोग | २७ तारागण का मिलन २८ ज्योतिष सम्बन्धी ( काल ) योग विशेष | २३ किसी नक्षत्र का तारा विशेष । ३० भक्ति | ३१ जानूप | भेदिया। ३२ विश्वासघातक - अंगम्, ( न० ) योग का साधन प्राचार: ( पु०) १ योगाभ्यास: २ बौद्ध विशेष । इस सम्प्रदाय के बौद्धों का मत है कि ( वाह्य ' पदार्थ जो देख पड़ते हैं, शून्य हैं। वे केवल आन्तरिक ज्ञान से जनाते हैं, बाहर उनमें कुछ नहीं है। – आचार्य, ( पु० ) १ शिक्षक जो इन्द्रजाल विद्या सिखाता हो । २ योगाभ्यास की शिक्षा देने वाला अध्यापक। आघमानं, (न० ) जाली यन्त्रक | - आरूद, वह योगी जिसने अपनी चित्त की वृत्तियों का, निरोध कर लिया ही । आसनं ( न० ) योग साधन के आसन अर्थात् बैठने का ढंग विशेष । –इन्द्रः ई.P:. ईश्वरः, ( पु० ) १ बहुत बडा योगी । २ वह जिसने अलौकिक शक्ति सम्पादन कर ली हो । ३ ऐन्द्रजालिक | ४ देवता विशेष । २ शिव जी ६ याज्ञवल्क्य - क्षेमः, (पु० ) १ नया पदार्थ प्राप्त करना और प्राप्त पदार्थ की रक्षा | २ बीमार | ३ कुशल भ। राजी खुशी । सुरक्षा | समृद्धि |४ सम्पत्ति लाभ। मुनाफा । -तारका, तारा, (स्त्री० ) : किसी नक्षत्र का प्रधान तारा - दानं (न०) १ योगदीचा ! २ कपटदान । – धारणा,

DA EN योग्य में होने वाली विष्णु की निद्रा । - पहुं, ( न० ) प्राचीनकालीन एक पहनावा जो पीठ पर मे जाकर कमर में बाँधा जाता था और जिससे घुटनों तक का अंग ढका रहता था। -पतिः, ( पु० ) विष्णु का नाम ।चलं. (न० ) वह शक्ति जो योग की साधना से प्राप्त होता है | सपोचत । २ ऐन्द्रजालिक शक्ति 1- साया. ( श्री० ) योग की अलौकिक शक्ति | भगवान की सृजन शक्ति ! ( भगवतः सर्जनार्धा शक्तिः ) ३ दुर्गा का नाम 1 - रङ्गः ( पु० ) नारंगी, ( वि० ) दो शब्दों के योग से बनने वाला ( यह शब्द जो अपना सामान्य अर्थ छोड़ कर कोई विशेष अर्थ बतलावे। -रोन (स्त्री० ) इन्द्र- जाल करने वालों का एक प्रकार का लेप - वर्तिका ( स्त्री० ) जादू की बत्ती या दीपक | - वाहिन, पु० ० ) भिन्न गुणों की दो या कई श्रोषधियों को एक में मिलाने योग्य करने वाली ओपधि या इन्य 1-चाही, (खी० ) १ सजी | खार जवाखार | २ शहद | मधु | ३ पारा । -विक्रयः ( पु० ) जाली फरोख्त या बिक्री | विदु (वि० ) योग को जानने वाला । ( पु० ) १ शिव जी | २ योगी | दर्शन का अनुयायी | 8 बाजीगर । जादूगर | ५ दवाइयों को बनाने वाला कम्पौंडर 1- शास्त्र, ( न० ) पतञ्जलि ऋषि का बनाया हुआ योग- साधन पर एक अन्य विशेष :--सारः, ( पु० ) सर्वव्याधर ओषधि । योगिन् (वि० ) १ संयुक्त सहित २ वह जिसमें ऐन्द्रजालिक शक्ति हो । ( पु० ) १ योगी । २ बाजीगर | ३ योगदर्शन का अनुयायी । योगिनी ( बी० ) १ बाजीगरिन । २ भगतिन । ३ रणपिशाचिनी । दुर्गा की सहचरी जिनकी संख्या थाठ है। योगेष्ठं (न० ) सीसा। राँगा । ( स्त्री० ) भक्ति में दृढ़ता 1-नायः, ( पु० ) : योग्य ( वि० ) १ उपयुक्त योग्य ठीक बाजिव । शिव जी का नामान्तर 1-निद्राः ( स्त्री० ) ! २ उपयोगी । कामलायक । मुफ्रीद | ४ योगा- भ्यास के योग्य १ सोने और जागने के बीच की दशा । २ युगान्त