पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/७

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अंशक ( २ ) प्रकर अंशावतार । एक हिस्से का हिस्सा । अंशि | अंशुमती ( स्त्री० ) १ पौधा विशेष सालवण | अवतारः ( क्रि० वि० ) भागशः । हिस्सेवार। जो पूर्णावतार न हो। अवतार विशेष। जिसमें पर- मात्मा का कुछ ही भाग हो । श्रवतरणं ( महाभारत के आदिपर्व के ६४ वें तथा ६७ वें अध्याओं का नाम । - भाज-हर-हारिन् ( पु० स्त्री० ) उत्तराधिकारी, यथा--" पिण्डदों शहरश्चैषां पूर्वाभावे परः परः " ( याज्ञ० ) - सवर्णनं (न० ) अशा की एक क्रिया विशेष ।-स्वरः ( संगीत में ) प्रधान स्वर । अंशकः ( पु० ) १ हिस्सेदार । पाँतीदार | साझीदार । २ भाग | टुकड़ा।३ दिवस। दिन। अंश ( न० ) भाग देने की क्रिया । (०) विभाजक | बाँटने वाला | २ हिस्सेदार | पाँतीवाला । अंशल (वि०) १ हिस्सा पाने का अधिकारी। २ मज़- बूत ३ सबल । स्वस्थ हृद्रकाय बलवान। मांसल । अंशिन् (वि० ) १ साझीदार | समान भाग पाने वाला यथा-" सर्वे वा स्युः समांशिनः । ( याज्ञ० ) २ हिस्सोंवाला । अंशु (पु०) किरण रश्मि | २ चमक | दमक । ३ नोंक । (डोरे का) छोर। ४ पोशाक सजावट ५ रफ़्तार | गति । ६ परमाणु । जालं- (न० ) रश्मिसमुदाय । – घरः, भृत्, – पतिः, - बाणः, – भर्तृ, – स्वामी, - हस्तः (पु० ) सूर्य । आदित्य । - पट्ट (न०) एक प्रकार का रेश्मी वस्त्र । - माला (स्त्री० ) १ प्रकाश की माला । २ सूर्य या चन्द्र का मण्डल-मालिन्-माली (पु०) सूर्य । अंशुकं १ वस्त्र विशेष । मिहीन कपड़ा। अर्थात् मिहीन रेशमी मलमल । टसर । मिहीन सफेद वस्त्र । २ वह सिला कपड़ा जो सब के ऊपर या सब के नीचे पहिना जाता है। ३ पत्ता ४ आँच की या रोशनी की मंदी लौ या ज्योति । अंशुमत् (वि०) १ – चमकदार चमकीला। दमकीला । २ नुकीला | नोकदार | – मान् (पु०) १ सूर्य २ सूर्यवंशी एक राजा, जो असमञ्जस के पुत्र और महाराज सगर के पौत्र तथा महाराज दिलीप के पिता थे 1 २ पूर्णमासी । पूर्णिमा । फला (स्त्री० ) केले का वृक्ष । अंशुल ( वि० ) चमकीला । दमकीला | अंशुल ( पु० ) चाणक्य का दूसरा नाम । (अंति, सापयति ) देखो “ अंश् ” । सः १ टुकड़ा हिस्सा | २ कंधा। कंधे की हड्डी। श्रंस- फलक ।-फ्रूट: ( पु० ) सौंद के कंधों के बीच का ऊपर को उठा हुआ भाग । कुबड़| कुव्व। —ं ( न० ) कंधों का कवच विशेष । – फलकः ( पु० ) मेरुदण्ड का ऊपरी भाग भारः ( पु० ) कंधे पर का बोझ या जुआँ । -भारिक, भारिन् ( वि० ) कंधे पर रख कर बोझ उठाये हुए अथवा कंधे पर जुआँ रखे हुए। विवर्तिन (वि० ) कंधों की ओर मुड़ा हुआ। अंसल (वि० ) , देखो “ अंशल "। मज़बूत कंधों वाला यथा “ युवा युगभ्यायत बाहुरंसलः । " ग्रह ( धा० धात्मने० ) [ अंहते, हितु, हित ] जाना समीप आना आरम्भ करना भेजना प्वमकना । बोलना । अंहतिः - ती (स्त्री० ) १ भेंट उपहार | दान | दैन। खैरात । २ बीमारी । स् ( न० ) १ पाप | २ कष्ट । चिन्ता । अंहि: (पु० ) १ पैर | २ पेड़ जड़ संख्याः (पु० ) पादप जड़ से जल पीने वाले अर्थात् वृछ । – स्कन्धः ( पु० ) पैर के तलवे का ऊपरी भाग (घा० परस्मै० ) [ अति, अकित ] धूमधुमश्रा चाल चलना। सर्पाकार चलना । प्रकं (न० ) १ हर्ष का अभाव | पीड़ा | कष्ट | २ पाप । प्रकच (वि०) १ गंजा। जिसके सिर पर बाल न हों। कचः (पु०) केतु का नाम । कनिष्ठ (वि० ) १ जो छोटा न हो । २ श्रेष्टतर | अकनिष्ठः (पु० ) गौतमबुद्ध का नाम । कन्या (स्त्री० ) जिसका छारपन उतर चुका हो । प्रकर (वि० ) १ लुंजा | जिसके हाथ न हो | २ कर्मण्य | जो कुछ न करे । ३ वह माल जिस पर चुंगी न लगे या वह व्यक्ति जिस पर करन हो ।