पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६९५

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

यमन यमन (दि०) [ स्त्री० -- यमनी ] दमन करने वाला संयमी। निग्रह करने वाला। ( है ) यमनं ( ० ) निग्रह अथ्वा दमन करने की दिया। २ समाप्ति | विधाम | ३ प्रतिबंध | बंधन | यमनः ( न० ) यमराज धर्मराज | यमनिका (स्त्री० ) पर्दा। नाटक का पर्दा कनाल | यमल ( वि० ) जोड़ा। यमज शह में का एक जोड़ा जुट्ट यमलं ( न० ) यमली ( श्री० ) यमलः (पु० ) दो की संख्या यमलो ( द्विवचन ) जोड़ा। यमगत् ( वि० ) प्रात्मसंयमी जितेन्द्रिय यमसात् ( अभ्या० ) यमराज के हाथ में । यमुना ( श्री० ) एक प्रसिद्ध नदी का नाम-भ्रातृ. ( पु० ) यमराज | ययातिः ( पु० ) चन्द्रवंशी एक प्रसिद्ध प्राचीन राजा का नाम जो महाराज नहुप का पुत्र था। यथावर: ( पु० ) देखो यायावरः | ययिः ) ( पु० ) अश्वमेध के योग्य घोड़ा । २ ययी धोड़ा। अन्य 1 यष्टि, यष्टी यवनानी ( स्त्री० ) यवनों की लिपि । i शराब | यवनः ( 3० ) १ यूनानी २ कोई भी विदेशी | ३ गाजर | यवनिका यवनी (स्त्री०) १ यूनानी स्त्री । सुसलमानी। यथाः---- " [ प्राचीन नाटकों को देखने से जान पड़ता है कि, यवनों की छोकरियाँ राजाओं की परिचर्या किया करती थीं और धनुष तथा तरकलों की देख भाल और रखवाली का काम विशेष रूप से उनको करना पड़ा था। यथाः ( १ ) 'वाणासनहस्तामिर्यवतीभिः परिवृत इत गतिविः" शकुन्तला ---२ (२) "प्रविश्य शार्ङ्गहता पवनी ।" शकुन्तला ६ (३) "प्रविश्य पापहस्ता पचनी ।" विक्रमोर्वशी-२ २ नाटक की प| पर्दा । कनात । फॉजी | यानिका ) यवानी . यवसं ( म० ) घास। नृण चारा यवागू (स्त्री० ) जैर या चावल का यह माँद जर कुछ कर दिया गया हो। माँद की दुष्ट गया यवानी ।" बुरी जाति का एक यव | २ अजवायन | यविष्ट (वि० ) सबसे छोटा बहुत छोटा । ( पु० ). १ छोटा भाई २ शूद्र यहिं (अन्य ) १ कव । जब । जब कभी | २ | यशस् ( न० ) कीर्ति | नानवरी | बड़ाई । प्रसिद्धि । क्योंकि चूंकि से - -कर, (= यशस्कर) (वि० ) यशप्रद :-- काम (= यशस्काम ) १ कोर्ति | कानी | नाम- वरी चाहने का अभिलाषीद (यशोद) ( वि० ) यश देने वाला /-दः (= यशोदः ) ( पु० ) पारा | पारद | - दा (= यशोदा ) ( स्त्री० ) नन्द गोप की स्त्री का नाम जिसने श्रीकृष्ण का बाल्यावस्था में पालन किया था।---पदहः, ( पु० ) ढोल विशेष - शेषः ( पु० ) मृत्यु | मोत । यवः (पु०) १ जबा | जौ। जब नामक अन्न २ बारह सरसों मा एक जना की तौल का एक मान | ३ | नौंपने का एक नाप विशेष कोरेया है अँगुल का होता है। ४ सामुद्रिक शास्त्रानुसार जी के आकार की एक रेखा विशेष, जो अँगूठे में होती है। अपने स्थानानुसार यह धन, सन्तान अथवा सौभाग्य- दायिनी मानी जाती है।-तारः, (पु० ) जवा- खारफलः, ( पु० ) बाँस 1 ~ लासः, (पु०) सोरा खार। जवाखार शुकः, - शुकजः | यशस्य ( वि० ) १ यश को देने वाला यशस्कर | ( पु० ) जवाखार (~-सुरं, (न० ) जैर की २ प्रख्यात प्रसिद्ध यशस्विन् (वि० ) प्रसिद्ध | यषिः ) (स्त्री०) १ लाठी छड़ी डंडा | २ गड़ा। । यही ३ खंभा चोव ४ चकस थट्टा अङ्गी | }