पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६९

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अपसपण अपस (न० ) पीछे हटना या जाना सन्ह भेद खेना ( 2 ) अपाक्त्य भेदिया की | अपहस्तित ( ३० कृ० ) निरस्त हराया हुआ। गले में हाथ देकर निकाला हुआ। रही किया हुआ | छोड़ा हुआ। त्यागा हुआ। अपहानिः (खी०) १ त्याग विच्छेद २ अन्तर्धान नाश वर्जन । अपहारः ( पु० ) लूट अपचय अपहरण अपहारक ( वि० ) १ अपहरण करने वाला छीनने वाला बलात् हरने बाखा २ डाँकू । चोर अपसव्य ) ( वि० ) १ दहिना | २ उल्टा | अपसव्यकविरुद्ध | अपसव्यम् (अन्य ) यज्ञोपवीत को बॉएं कंधे से दहिने कंधे पर करना। अपसारः (पु० ) १ बाहिर जाना वहिर्गमन पीछे लौटना २ निकास निकलने का रास्ता । श्रपसाराम् ( न० ) । दूर हटाना हँफा देना । 1 1 लुटेरा | अपहारी ( वि० ) १ अपहरणशील २ नाश करने वाला ३ चोर लुटेरा अपहृत (वि० ) छीना हुआ लूटा हुआ | चुराया हुआ। अपवः (०) छिपाव दुराव। २ वाम्जाल से सत्य को छिपाना ३ बहाना ४ स्नेह | प्रेम | ब ३ गुदा मलद्वार व्यपस्नानं ( न० ) 1 अशौचस्नान । २ अपवित्र प्रपश्रुतिः ( स्त्री० ) ३ मुकरना | सत्य को छिपाना | २ काव्यालङ्कार विशेष । इसमें उपमेय का निषेध कर के उपमान स्थापित किया जाता है। 1 स्नान। ऐसे जल में नान करना जिसमें कोई मनुष्य पहिले अपना शरीर धो चुका दो 1 अपस्पश ( वि० ) जिसके पास जासूस न हो। अपस्पर्श ( वि० ) विचेतन संज्ञाहीन | धनुभव- | शक्तिद्दीन । अपस्मार ( पु० ) ) १ विस्मृति । भ्रन्ति । अपस्मृति ( वि० ) ) २ मिरगी। बीमारी । अपस्मारिन (वि०) भुलवता भूल जाने वाला। अपस्मृतिः (श्री० )) मिर्गी के रोग वाला। अह (वि०) दूर रखते हुए स्थानान्तरित करते हुए। नाश करते हुए। अपहृतपाप्मा (वि०) जिसके समस्त पाप दूर हो गये । वेदान्त द्वारा जानने योग्य (आत्मा) । ध्यपहतिः ( श्री० ) हटाना नष्ट करना विनाश | उद बाजू हो जाना। अपसिद्धान्तः ( पु० ) असन् सिद्धान्त | अपसृप्तिः ( सी० ) गमन | अपस्करः (पु० ) पहियों को छोड़ गाली का अन्य कोई भाग । अपस्करम् (न० ) १ विष्ठा २ योनि । भग ध्यपहननम् (न०) निवारण करना। हटाना। प्रति- क्षेप करना पीछे हटाना । अपहरणम् (म० ) १ हर ले जाना स्थानान्तरित करना २ धुरानी। अपहसितं (न०) । अकारण इस अपहासः (पु.) हास निरर्थक हास्य । मूर्खतापूर्ण चोरी छिपाव लुटाना। सङ्गोपन | अपहासः ( पु० ) घटाव | कमी । अशकः ( पु० ) अजीर्ण | अनपच | २ कबापन | ३ अवयस्कता अपाकरणम् ( न० ) 1 निराकरण हटाना | दूर करना । २ यस्वीकृति । नामंजुरी खण्डन । ३ अदायगी | कर्ज की अदायगी का प्रबन्ध ४ व्यवसाय उत्तोलन किसी कारवार को समेटना। उठा देना । 1 अपाकर्मन् ( म० ) अदायगी परिशोध ऋण- परिशोध की व्यवस्था कारवार उठाना। अपाकृतिः ( स्त्री० ) अस्वीकृति । स्थानान्तरित कारण भय या क्रोध से उत्पन्न उड्डाम ( वि० ) विद्यमान प्रत्यक्ष इन्द्रियग्राह्य २ नेत्रहीन जुरे नेत्रों वाला। अपांक प्रपांकेय डापांत्य ( वि० ) एक पंक्ति में नहीं । जाति पहिष्कृत जो अपनी विरादरी के साथ बैठ कर न ला पो सके।