अपक्षीक अपत्नीक ( दि० ) विना स्त्री वाला । पक्षीरहित । अपत्यं ( न० ) सन्तति । शिशु । सन्तान। श्रौलाद । --काम ( वि० ) पुत्र या पुत्री की इच्छा रखने बाला /-पथः ( पु० ) योनि । भग । -विक्र यिन् ( पु० ) सन्तान बेचने वाला /- शत्रः ( पु० ) १ केकड़ा | २ साँप | अपत्रप ( दि० ) निलंज। बेहया । शर्म। लजा। खाज पत्रम् (न० ) पत्र ( स्त्री० ) अपञपिष्णु ( वि० ) शर्मीला | खजीला । अपत्रस्त (च० क० ) भयभीत | ढरा हुआ। भय से थमा हुआ। भय से रुका हुआ। अपथ (बि० ) मार्गहीन /--गामिन् (वि० ) डरी राह चलने वाला | कुमार्गी । अपन्था (स्त्री०) ) (अलं०) बुरी राह | पाप की राह प्रपथ्य (वि० अयोग्य | अनुचित हानिकारी । ज़हरीला २ अहितकर। जो गुणकारी न हो। कारिन् (वि० ) अप- ३ खराब | अभागा - राधी जुर्म करने वाला। व्यपदः ( पु० ) उरग सरीसृप, सर्प धादि - ध्यन्तर (वि० ) समीपस्थ । अति निकट /- अन्तरम् (न० ) समीप्य | निकटता | अपदम् ( न० ) १ बुरा स्थान या घर। २ शब्द जो पदवाच्य न हो। ३ व्योम | FF " अपयात्रित ● + अपदेशः (पु० ) १ बयान | कथन । उपदेश । वर्णन | २ बहाना। व्याज | मिस्र २ लक्ष्य उद्देश्य । ३ अपने स्वरूप को छिपाना भेष बदलना | ४ स्थान ६ अस्वीकृति । ७ फीति नामवरी छल। धोखा। झाबाजी ! अपदेवता (स्त्री० ) भूत प्रेत दुष्ट आत्मा। अपद्रव्यं ( न० ) बुरी वस्तु } -काव्यप्रकाश । अपद्वारं ( न० ) बग़ल का दरवाजा बग़ली द्वार ध्यपधूम (वि० ) धूमरहिव 1 अपव्यानं ( ० ) बुरे विचार अनिष्टचिन्तन मन ही मन अकोसना । पध्वंसः (पु० ) अधःपात | अपमान बेइजती । ~-जः ( पु० ) - आ (स्त्री०) किसी वर्णसङ्कर, अथम और अद्भुत जाति का व्यक्ति । -- अपध्वस्त ( ब० कृ० ) शापित । अकोसा हुआ । घृणित | २ जो अच्छी तरह से न कूटा पीसा गया हो। अधकुटा अधकचरा १३ व्यक्त त्यागा हुआ छोड़ा हुआ। प्रपदक्षिणं (अन्य ) बाई ओर। हदा करना | नष्ट करना । अपनयनं ( न० ) हटाना अलहदा करना । २ ( घाव ) पुराना | चंगा करना। ३ उॠण करना । अपनस (वि० ) नकटा । नाक रहित । अपदम (वि०) असंयमी । विना इन्द्रिय-निग्रह-वान् | | प्रपनत्तिः ( स्त्री० ) | हटाना। अलगाना। अल- अपदश (वि० ) दस की संख्या से दूर। ध्यपनोदः ( पु० ) अपनोदनम् (न० ) ध्यपदानं | ( न० ) १ सदाचरण । विशुद्ध पाच- अपदानकम् [रण २ महान् या उत्तम काम । अपपा ( पु० ) बुरी तरह पाठ करना सर्वोत्तम कर्म | ३ सम्यक् पूर्ण किया हुआ कार्य । करना। पाठ में भूल । व्यपदार्थ: (पु० ) कुछ नहीं | २ वाक्य में जो शब्द प्रयुक्त हुए हो उनका अर्थ न होना। प्रायश्चित्त करना। दूर करना। पाठ यपदार्थोपियवा सुदि अवध्यस्तः (०) दुष्ट अभागा। जिसमें सदसदविवेक शक्ति रह ही न गयी हो । अपनयः ( पु० ) १ हटाना। अलहदा करना । खण्ड- करना । २ बुरी नीति | बुरा भालचलन ३ उपकार । अपपात्र ( वि० ) नीच जाति के पात्रों ( बरतनों ) को काम में लाने से वञ्चित । अपपातिः ( पु० ) किसी बड़े दुष्कर्म करने के कारण जाति से च्युत मनुष्य जो अपने सम्बंधियों के साथ एक बरतन में खा पी न सके।
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