पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६४२

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भद 2 १ शहद १० मुश्क कस्तूरी १९ वीर्यं श्रयय आतङ्क ( पु० ) नशा पीने के कारण उत्पच हुआ सिर का दर्द आदि । अन्ध ( पु० ) १ नशे से अंधा | २ अभिमान से अंधा -अपनयनं, (न० ) नशा उतारना । - इम्रः, ( पु० ) १ मदमस्त हाथी २ इन्द्र के ऐरावत हाथी का नामान्तर । - अलस्. ( वि० ) नशे से या कामासक्ति से शिथिल । - अवस्था ( स्त्री० ) १ नशे की दशा या हालत। २ कामुकता | ३ भद् छायी का सद -आकु ( वि० ) मदमस्त -आय ( वि० ) नशे में चूरयः ( पु० ) खजूर का पेड़-झातः ( पु० ) हाथी की पीठ पर रख कर बजाया जाने वाला नगाड़ा या ढोल ।-अलापिन् (पु० ) कोयज : - J - आह, ( 50 ) कस्तूरी मुश्क | उत्कट, ( बि० ) १ नशे में चूर | २ कामुक | ३ अहङ्कारी। अभिमानी | ४ मदमाता-उत्कटः (पु० ) १ मदमस्त हाथी । २ फ्राकता चिड़िया। - उत्कटा, (स्त्री० ) शराब। मंदिरा । -उदम-उन्मत्त, ( वि० ) १ नशे में चूर | २ उम्र | ३ अभिमानी। - उद्धत ( वि० ) १ मम्मत २ घमंडी। -उल्लापिन्, ( पु० ) कोयल कर ( वि० ) नशीला - -करिन्, (पु० ) मदमस्त हाथी | -कल, ( वि० ) अस्पष्टतया बालने वाला। २ धीरे धीरे प्रमालाप करने वाला ३ मदोन्मत्त | ४ मन्दमपुर १ मदमाता - कलः, ( पु० ) मदमस्त हाथी। -कोहलः, (पु० ) छोड़ा हुआ साँड़ - - खेन्न, ( चि० ) मदमस्त - गन्धा, ( स्त्री० ) १ नशीलो पेय वस्तु | २ भाँग | गमनः, (पु० ) भैंसा । - व्युत, (वि० ) गई. नाशक ( पु० ) इन्द्र । - जलं, (न० ) - वारि ( न० ) मत्त हाथी के मस्तक का स्राव हाथी का मद । अरः, ( पु० ) अहङ्कार का ज्वर या अभिमान की गर्मी - द्विः (पु० ) खूनी हाथी या बिगड़ा हुआ हाथी प्रयोगः- प्रसे कः, -- प्रस्रवणं, - स्राषः - स्रुतिः (बी० ) -- - मत्त हाथी के मस्तक का साब। हाथी का मद - - रागः, (पु०) कामदेव | २ मुर्गा ३ शराबी | • 1 2 विक्षिप्त एव ) समस्त म · - ( वि० ) १ अभिमान स चूर नशे में गुप्त या चूर(०) हाथी ।ौराडकम, ( २० ) कायफल | सार (प्र० ) कपास का पेड़ स्थलं, स्वानं. ( न० ) शराब की दूकान | कहरिया। कलवार को दूकन । मदन (वि० ) [ स्त्री० -- मदनी ] १ मशीजा । विचितकारक २ चारहदकारक - प्रयकः. ( पु० ) कोदों नाज | केद्रय न-अडूशः, ( पु० ) १ लिङ्ग २ मस या सम्भोग के समय लगा हुआ नखाबात। -अस्तकः -अरिः- दुमन्दः, -दहनः. ~ नाशनः, -रिपुः ( पु० ) शिव जी की उपाधियाँ --- प्रेमासक-श्रातुर भार्च, लिपीडित -अवस्थ, (वि० ) ( वि० ) प्रेम का बीमार - प्रालयः, (पु० ) आलयं, ( २० ) १ कमल राजा - इच्छा- फलकं, (न० ) ग्राम विशेष उत्सवः (पु०) घसन्तं रसव उत्सन (६०) अप्सरा | स्वर्ग की वेश्या-उद्यान (०) | -राटकः ( पु० ) १ साखिकर माय । २ वृष विशेष (कलहः, ( पु० ) प्रेम का भगदा। सम्भोग | मैथुन - काकुरवः, ( पु० ) कबूतर या फाता - गोपाल (पु० ) श्रीकृष्ण | चतुगी (स्त्री० ) चैत्रका १५शी का नाम | -चांदनी (स्त्री०) चैत्रशुद्धा १३शी। यह मदन- महं.त्सव के अन्तर्गत है। - नलिका ( स्त्री० ) असत भार्या |~ तिन्. ( ० ) प पाटकः ( पु० ) कैथल हो सः (पु० ) प्राचीन काल का एक उत्सव जो चैत्र शुक्ला १२२१ से चतुदशी पथन्त मनाया जाना था। इस में बत, कामदेव की पूगीता और रात्रि - जागरण किया जाता था। उत्सव में स्त्रियों और रु सम्मिलित होने थे और बीचों में जा श्रमंद प्रमंद करते थे श्रण 1- शलाका, (को०) मैना | कोकिला | कोय | - (पु ) मदनं (न० ) 1 मदनः (पु० ) नशीली २ साल्हादबर। मोदकर । कामदेव | २ प्रेम अनुराग