पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६४०

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महित मण्डित १ सर्प विशेष । २ बिल्ली ३ ऊदविलाव | ४ कुत्ता ५ सूर्य ६ वटवृत्त । ७ सूबेदार एक सूबे का हाकिम | ( ६३३ मंडित मण्डित ) हुआ । मंडूकं मराहूकम् Fer अपनी जाति में श्रेष्ठ । यथा -"गोमदल्लिका" अर्थात् सर्वोत्तम गौ या श्रेष्ठ जाति की गौ । मतलजी (स्त्री० ) देखो मतल्लिका । } हुआ | कृ० ) सजाया हुआ | सँवारा प्रतिस्त्र) द्धि समझदारी । ज्ञान | मन | ३ | विश्वास राय कल्पना | ३ विचार मंसूवा ४ सङ्कल्प | पक्का विचार ।२ सम्मान । प्रतिष्ठा ६ कामना । इच्छा अभिलाप |७ परामर्श | मशवरा ८ स्मरण | स्मृति । याददाश्त - ईश्वरः ( पु० ) विश्वकर्मा 1- गर्भ. ( वि० ) प्रतिभाशाली बुद्धिमान | चतुर:- द्वैधं, (न०) मतभेद । - निश्चयः, ( पु० ) दृढ़ विश्वास /- पूर्व, (वि० ) हरादतन जान हक कर । पूर्व -पूर्वकम् (अव्यया०) जान बूझ कर इरादतन । रज़ामंदी से - प्रकर्षः, ( 30 ) चातुर्य | नैपुण्य | - भेदः ( पु० ) मतपरिवर्तन 1-भ्रमः, - विपर्यासः, (५०) धोखा विभ्रम । मानसिक भ्रम मन की गड़बड़ी | २ भूल | गलती- विभ्रमः-विभ्रंशः, (पु०) पागलपना | विक्षिप्तता । - शालिन्, (वि० ) बुद्धिमान | चतुर । -हीन, ( वि० ) मूर्ख । मूढ़ | बेवकूफ मक्क (वि० ) मेरा | हमारा। मन्कः ( पु० ) खटमल । खटकोरा । मत्कुणः ( पु० ) १ खटमल |२ बिना दाँतों का हाथी | ३ छोटा हाथी | वेदाढ़ी का नर | ५ भैसा । नारियल का कपड़ा। } २ ( न० ) स्त्रीसम्भोग का एक शासन विशेष | मंडूकः ) ( पु० ) मेढ़क ।-अनुवृत्तिः - प्रतिः, मराहूक: ) ( स्त्री० ) मैढक की छलाँग । दुलं, ( न० ) मैढकों का समुदाय -योगः, (१०) मण्डूकासन से बैठ, ध्यान करने की क्रिया - सरस्, १ ( न० ) तालाब जिसमें मैड़क भरे हों। मंडकी ( स्त्री० ) १ मैडकी । २ स्वतंत्रा स्त्री | मराहूकी स्वेच्छाचारिणी की | छिनाल औरत } ३ अनेक पौधों के नाम । मण्डूरं } ( न० ) लोह कीट | मत ( द० कृ० ) १ सोचा हुआ | विश्वास किया हुआ। अनुमान किया हुआ | २ विचार किया ' हुआ। खयाल किया हुआ । ३ सम्मान किया हुआ | ४ प्रशंसित | मूल्यवान समझा हुआ |५ कल्पना किया हुआ । कृता हुआ | ६ ध्यान किया हुआ। पहचाना हुआ । ७ सोच कर निकाला हुआ [८] लक्ष्य किया हुआ । १ पसंद किया हुआ | ) मतं (न०) १ विचार | धारणा खयाल राय । विश्वास । सम्मति । २ सिद्धान्त | धर्म धार्मिक समुदाय | ३ परामर्श | सलाह | ४ उद्देश्य | सङ्कल्प अभि- प्राय । २ स्वीकृति | पसंदगी - (वि० ) पाँसे के खेल में निपुण अन्तरं, ( न० ) १ भिन्न सम्मति | २ भिन्न सम्प्रदाय ।- अवलंवनम्. ( न० ) खास राय को मानने वाला। मत्कुणं ( न० ) टाँगों की रक्षा के लिये चर्म का बना कवच विशेष । रिः, ( पु० ) पटसन | मत्त ( व० ० ) १ मस्त । मतवाला | २ उन्मत्त पागल | ३ मद में मत्त (जैस हाथी) | भयानक ४ अभिमानी । अहंकारी ५ प्रसन्न खुश | ३ खिलाड़ी। रसिक । C मतंगः ) ( पु० ) १ हाथी | २ बादल | ३ एक ! } मतङ्गः ऋषि का नाम । मतङ्गजः ( पु० ) १ हाथी । ! मतल्लिका ( स्त्री० ) यह शब्द संज्ञा के अन्त में • लगाया जाता है। इसका अर्थ होता है सर्वोकृष्ट भत्तः ( पु० ) १ शराबी २ पागल आदमी | ३ मदमस्त हाथी । ४ कोयल १२ भैसा |६ धतुरा | - थालम्वः (पु०) किसी बड़े भवन का घेरा इभः ( पु० ) मदमस्त हाथी । काशिनी, सं० श० कौ ८०