पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/६१३

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भरमयु' भव ३ भररायु ( पु० ) १ स्वाम' । मालिफ २ रक्षक सम्बन करते समय प्रयुक्त होता है। दारिका मित्र | ४ अग्नि सूर्य ( स्त्री० ) युवराज्ञी व्रत (०.) पति । भरतः (पु० ) और शकुन्तला से उत्पन्न । -बता ( स्त्री० ) पतिव्रता स्त्री । - शोकः यह चक्रवर्ती राजा होगये हैं और इन्हींके नाम ( पु० ) पति के भरने का शोक-हरिः, (पु० ) पर इनके राज्य का नाम भारतवर्ष पड़ा है । २ एक प्रसिद्ध अन्य रचयिता जिनके बनाये, नीति महाराज दशरथ के पुत्र जो रानी कैथी की कोख कार और वैराग्य शतक प्रसिद्ध हैं। से उत्पन्न हुए थे। ३ एक ऋषि जिन्होंने नाटक भर्तृमती (लो० ) सौभाग्यवती स्त्री | रचना की कला में एक प्रसिद्ध ग्रन्थ रचा है | ४ | भर्तृसात् ( अभ्यगा० ) पति के अधिकार में जुट । अभिनयकर्त्ता । ५ भाडे का योद्धा पहाड़ी आदमी जंगली आदमी | ७ अग्नि- 1 अजाः, (पु० ) श्रीरामचन्द्र ( न०) भारतवर्ष का प्रान्त विशेषज्ञ, (वि०) भरत मुनि रचित नाटक शाख का ज्ञाता पुत्रक ( पु० ) नट अभिनयकर्त्ता - वर्षः, ( पु० ) भरत का देश / - वाक्यं, ( न० ) नाटक का अन्तिम ग्रान जो आशीर्वादात्मक होता ६ भर्त्स (घा) [ ] १ डाँटना

खराडम्,

उपटना २ फटकारना लानतमलामत करना । ससुस्त कहना गरियाना। ३ चिढ़ाना | | } 1 1 भर्त्सकः ( पु० ) १ दराने धमकाने वाला २ गरि थाने वाला। भर्त्सनं ( न० ) भत्सना (खो०) भर्सितम् (न० ) ) मत ४ शाप । अकोसा। भर्मम् ( न० ) १ मजदूरी | भाड़ा । २ सुवर्ण ३ नाफ | नाभि । १ डॉटडपट गाली गालोज २ धमकी | ३ लानत मला- " भरथः (पु० ) १ राजा | २ अग्नि | ३ लोकपाल । भरद्वाजः ( पु० ) १ सप्तर्षि में से एक । २ भरत पक्षी भरित (दि०) पोषित २ परिपूर्ण भरुः (पु०) १ पति । २ स्वामी । ३ शिव ४ विष्णु। भल्तू ( धा० च्यात्म ० ) १ निरूपय करना। वर्णन करना कहना २ घायल करना। वध करना । ३ ५ सुवर्ण ६ समुद्र | देना | m भरुजः ( ५० ) [ श्री० - मरुजा या भरुजी ] शृगाल गीदड़ सियार 1 भरुटकं (न० ) भुना हुआ माँस भर्गः (पु० ) १ शिव १ २ ब्रह्मा भर्ग्यः ( पु० ) शिव का नामान्तर । { भर्जन (वि० ) १ भुना हुआ सिका हुआ । कढ़ाई में थकोरा हुआ। २ नाश करने वाला। भर्जनं ( न० ) १ भुनने या अकोरने की क्रिया २ कढ़ाई । भर्तु ( 5 ) १ पति । २ प्रभु | स्वामी ३ नेता नायक प्रधान ४ समर्थक रक्षक - मी, - ( स्त्री० ) पतिघातिनी की । - दशरकः, ( पु० ) युवराज। ( यह नाटक की भाषा में युवराज को ! ( धा० आरम० ) [ भाजयते, भालित ] देखना। निहारना | झलू भक्तः ( पु० ) भल्ली ( स्त्री० ) भल्जं ( ० ) भक्तकः ( पु० ) रीड़। भालू । याण विशेष एक प्रकार का तीर या अ (पु०) १ रीछ । २ शिव | ३ भिलावे का वृद्ध भन्जातः भक्जातकः }(पु०) भिलावे का वृत्त । भालू। रीबृ।. भल्लुकः ( पु० ) भल्लूकः ( पु० ) भव ( वि० ) उत्पन्न भवः ( पु० ) १ सत्ता पैदा हुआ। । २ उत्पत्ति पैदायश निकास | ४ सांसारिक अस्तिरव २ संसार ६ स्वास्थ्य | तंदुरुस्ती । ७ श्रेष्ठता | उत्कृष्टता | १० प्राप्ति ।-प्रतिग, (वि० ) सांसारिक अस्तित्व से निस्तार पाना /- अन्तकृत ( ० ) या