पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५३६

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प्रकाशक ( ५२६ ) प्रकाशकः ( पु० ) सूर्य २ खोजी । ३ प्रसिद्ध करने वाला जैसे ~~ज्ञातृ, ( पु० ) मुर्गा । [ वाला। प्रकाशन ( वि० ) प्रकट करने वाला प्रसिद्ध करने प्रकाशनं ( म० ) प्रकाशित करने का काम प्रकाश में लाने का काम | प्रकाशनः ( पु० ) विष्णु का नामान्तर । प्रकाशित ( ३० कृ० ) 1 प्रकट किया हुआ । प्रसिद्ध किया हुआ २ चमकता हुआ। जिसमें से प्रकाश निकल रहा हो। मैं प्रत्यक्ष जो देख पढ़े। स्पष्ट ।। प्रकाशिन् ( वि० ) साफ उज्ज्वल चमकीला | प्रकिरणं ( न० ) बखेरना । छिटकाना । प्रकी ( ० ० ) १ बिखरा हुआ टिका हुआ। २ फैला हुआ। प्रकाशित प्रचारित ३ लहराता हुआ हिलता हुआ ४ अस्तव्यस्त | ढीला ढाका | खुले हुए ( जैसे केश ) | ५ थसंलग्नता | असम्बद्धता ३ उद्विग्न | घबड़ाया हुआ । ७ फुटकर। मिलाजुला | प्रकीर्ण ( न० ) १ फुटकल वस्तुओं का संग्रह । २ अध्याय जिसमें फुटकल नियमों का संग्रह हो । प्रकीर्णक (वि० ) बिखरा हुआ। प्रकीर्णकं (न० ) 21 वरघोड़ प्रकीर्णक ( 50 ) ( ० ) १ फुटकर अध्याय | प्रकीर्तनम् ( न० ) १ घोषणा | २ प्रशंसा करना | वारीक करना । प्रकीर्तिः (स्त्री० ) १ नामवरी | प्रशंसा | २ स्याति । प्रसिद्धि | घोषणा | 1 आविष्कारकर्ता ग्रन्थ-यकाशक । प्रकाष्ठक. प्रकृतं ( न० ) वासाविक विषय प्रस्तुत विषय--- अर्थ, (वि० ) यथार्थ भाव बतलाने वाला अर्थः, (५०) वास्तविक भाव । प्रकृतिः ( श्री० ) : समाय| तासीर २ मिजाज्ञ । २ बन्दावट आकार निकास परंपरा ५ उद्गम स्थल ६ सौख्यदर्शन में पुरुष और प्रकृति को छोड़ तीसरी वस्तु नहीं मानी गयी |७ आदर्श t नमूना । म स्त्री ३ परब्रह्म का मूर्तिमान सङ्कल्प, जिसके कारण सृष्टि की उत्पत्ति होती है।३० पुरुष या स्त्री को जननेन्द्रिय लिङ्ग भग ११ माता । ( बहुवचन ) १ राजा के ग्रामात्य | संग्रम २ राजा की प्रजा १ ३ राजतंत्र के जो सात माने गये हैं। 1 "स्वःव्यमास्यमहरकोशराष्ट्रपतानि व " ४ सांख्यदर्शन के अनुसार आठ प्रधान तत्व जिनसे हरेक वस्तु उत्पन्न होती है। सृष्टि को बनाने वाले २ तत्व । -ईशः, ( पु० ) राजा या शिले का हाकिम । कृपया, ( वि० ) स्वभाव से सुख या जो पहचान उसके 1-तरल, ( वि० ) स्वभाव से चञ्चल/पुरुषः, (पु० ) अमात्य | राजपुरो- दिन 1-मण्डलं, (न० ) समूचा राज्य या राष्ट्र या बादशाहत -लयः, (पु० ) प्रकृति में लीन होना 1-सिद्ध, ( वि० ) नैसर्गिक स्वाभाविक 1- सुभग, ( वि० ) स्वभाव से मनोहर स्थ, ( वि० ) १ जो अपनी त्वाभा- विक अवस्था में दो मासूजी हालत में । २ स्वस्थ्य | तंदुरुस्थ ३ आरोग्यता प्राप्त किया हुआ | ४ नंगा | ! प्रकृष्ट ( ० ० ) आकृष्ट लिंचा हुआ। २ लंबा | दीर्घ ३ उत्कृष्टतर उत्कृष्टतम प्रधान मुख्य । बनाया हुआ। प्रकुच्चः } ( ५० ) आट तोडे या एक पल का माप प्रकुपित ( व० कृ० ) १ अत्यन्त हुन्छ । २ उत्तेजित | प्रकुलं ( न० () सुन्दर शरीर सुडौल बदन : प्रकूष्माण्डी ( स्त्री० ) दुर्गा का नामान्तर । प्रकृत (व० कृ० ) १ सुसम्पन्न | २ थारम्भित | शुरू किया हुआ। २ नियुक्त किया हुआ । व्यस्त किया हुआ | ४ असली । यथार्थं २ किसी विषय को वादविवाद का विषय बनाया हुआ। विचारा | प्रकोष्ठः (पु० ) १ कोहनी के नीचे का भाग २ धीन विषय | मलुत विषय ६ धावश्यक । मनोरक्षक : दरवाजे के समीप का कोठा | रे घर का यगन । प्रकोष्ठकः ( 30 ) बड़े दरवाज़े के पास की कोठरी । स० श० कौ० ६७ खास । २ विचित अशान्त । प्रकृप्त (व० ० ) तैयार किया हुआ सुव्यवस्थित प्रकोथः (पु० ) साइन इसाइन |