पुष्यू या भड़कीलापन । ६ वृद्धि | पूर्णता कर, ( वि० ) पुष्ट करने वाला गल-बीर्य वर्दक कर्मन् (न० ) एक धार्मिक अनुष्ठान जो साँसा- रिक समृद्धि की प्राप्ति के लिये किया जाता है। -द, (वि० ) पुष्टि देने वाला सामग्री देने चाला। समृद्धिकारी वर्धन. ( दि० ) समृद्धि कारक 1- स्वास्थ्यवर्द्धक । वर्धनः, (पु० ) मुर्गा | अरुणशिखा | कुकुट - पुष्पक -दामन (न० ) पुष्पहार 1-वः (पु० ) फूल का रस (द्रुमः ( पु० ) फूलने वाला - वृक्ष /-घ.. (पु० ) जाति वहिष्कृत ब्राह्मण की सन्तान 1-धनुस् धन्वन्, (पु० ) काम देव /-धारणः (go ) विष्णु का नामान्तर । --ध्वजः, ( पु० ) कामदेव का नारान्तर - मिक्षः, ( पु० ) मधुमक्षिका । -नियोसः नियांसकः, (पु० ) पुष्परस/- नेत्रं, ( म० ) फूल की हंडी -पत्रिन (पु० ) कामदेव । -पथः, (पु० ) भग। खी का गुप्ता -! - पुरं, ( न० ) पटना का नामान्तर /-प्रवयः, ( 50 ) प्रचायः, ( पु० ) पुष्प सोदना । प्रचायिका, ( स्त्री० ) दुष्पसक्षय |प्रस्तारः ( पु० ) फूल शय्या (बाणः - वाणः, ( पु० ) काम- देव - भयः ( पु० ) फूल का रस अंज- (रका, ( वि० ) नील कमल माला, ( खी० ) फूलों की माला :--मासः ( पु० ) १ चैत्रमास | २ वसन्तऋतु 1~~ रजस्, (न० ) मकरंद | पराग - रथः, (पु० ) गाड़ी जो युद्धोपयोगी न हो, जिसमें साधारणतया बैठ घूमा फिरा जाय 1--रागः, -राजः, ( पु० ) पुखराज /-रे: (पु० ) मकरंद /~-लोचनं, ( न० ) नागकेसर वृष्ठ 1-जावः, ( पु० ) पुष्प इकट्ठा करने वाला।---जावी. (स्त्री० ) मालिन :- जिक्षः, - लिहू, ( पु० ) मधु- मक्षिका वटुकः ( पु० ) वीर बहादुर /- वर्षः, ( पु० ) - वर्षणं ( म०) फूलों की वर्षा । पुष्पवृष्टि पाटिका - वाडी. (स्त्री० ) फूल- बगिया-वेणी (स्त्री०) फूलों की माला (- शकटी (स्त्री०) आकाशवाणी-शव्या (स्त्री०) फूल की शय्या |-शः - शरासनः, सायकः, (पु० ) कामदेव । --समयः, (पु० ) बसन्त ऋतु । -सारः स्वेद, ( पु० ) अमृत या फूलों से बना शहद ~हासा, (खी०) रजस्वला स्त्री। -होना, ( स्त्री० ) श्री जिसकी उम्र अधिक हो जाने से सन्तान न होती हो। ★
- ( घा०] पर० ) [ पुष्यति ] 8 श्रौलना |
२ धौंकना फूंक मारना। ३ पसारना। खिलना । ( न० ) १ फूल | २ स्त्री का रजोधर्म या मासिक धर्म | ३ पुखराज | ४ नेत्ररोग विशेष | कुवेर का पुष्पक विमान ६ वीrer | ( प्रेमियों की भाषा में ) सुशीलता) ७ विकाश | फूलना - अञ्जनम्, ( न० ) एक प्रकार का अंजन जो पोमल के हरे कसाव के साथ कुछ अन्य दवाइयों के संमिश्रण से पीस कर तैयार किया जाता है। - थञ्जलिः ( पु० ) फूलों से भरी अँजली जो किसी देवता या पूज्य पुरुष को चढ़ायी जाय।- जम् ( न० ) मकरन्द /- अवचयः, ( पु० ) फूलों को एकत्र करना या सुनना अत्रः, ( पु० ) कामदेव का नामान्तर । आकर (वि० ) फूलों से सम्पन्न ।-आगमः, ( पु० ) वसन्त ऋतु । श्राजीवः (go ) | मालाकार (~-आपोड: (पु० ) गुलदस्ता --- -: ( पु० ) कामदेव । प्रासघं, ( न० ) शहद मधु-उद्यानं (२०) वाटिका वाग --उपजीविन, ( पु० ) माली । मालाकार । -कालः, ( पु० ) वसन्त ऋतु । - कीटा, ( पु० ) भौंरा 1-केतनः, -केतुः, ( पु० ) कामदेव । ( न०) मकरन्द्र पराग। यहं, (न०) शीशे का घर या कमरा जिसमें पौदे सर्दी से बचा के रखे जाते हैं।--घातकः ( पु० ) बाँस । -चायः, ( पु० ) कामदेव । -चामः, (पु०) १ दौनामरुआ। २ केवड़ा जं. (न० ) पुष्प- रस । -दः, (पु०) वृत्त ) --दन्तः, (पु०) शिव के एक गया का नाम । २ महिम्नस्त्रोत्र के रचयिता | पुष्पकं ( न० ) १ फूल २ पीतल की भस्म या का नाम । ३ वायव्य कोण के दिग्गज का नाम । | मोर्चा ३ लोहे का प्याला ४ विमान विशेष