पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/५२२

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पुरुष १ विष्णु | २ कुन्तिभोज राजा का था उसके भाई का नामान्तर 1-दं ( म० ) सुवर्ण --देशकः, ( पु० ) हंस । -लंपट, (वि० ) बड़ा विषयी। बड़ा कामुक (~-हु. ( अध्यया० ) बहुत से। हूतः (वि०) अनेकों से आमंत्रित -हृत (पु० ) इन्द्र का नामान्तर | पः ( पु० ) १ मनुष्य आदमी २ नर । किसी पुश्त या पीड़ी का कोई प्रतिनिधि | ३ अधिकारी | कार्यकर्ता । मुनतार। गुमाश्ता | नौकर: टहजुआ। २ मनुष्य की उचाई या माप | ६ जीव | परमात्मा । ८ व्याकरण में पुरुष के तीन भेद अर्थात् उत्तम, मध्यम और अन्य माने गये हैं। 8 आँख की पुतली | 10 ( सौख्यदर्शन में ) प्रकृति से भिन्न एक अपरिणामी, अकर्त्ता और असङ्गचेतन पदार्थ |-अङ्गम् (न० ) जन- नेन्द्रिय लिङ्ग प्रदः, ( पु० ) मनुष्य- भी । राक्स - अधमः, ( पु० ) सब से गया बीता | नीच। -- अधिकारः, ( पु० ) मर- दानगी का काम। मनुष्य की गणना था चंदाजा । -अन्तरम्, (न० ) दूसरा आदमी । -अर्थः, } (पु० ) 1 चार पुरुषायों में से कोई एक पुरोडाश } { देखो पुरस् के अन्तर्गत । २ पुरुषकार 1-अस्थि - मासिन्, ( पु० ) | पुरोधस् शिव जी का नामान्तर ।-आद्यः, (पु० ) विष्णु | पुर्व ( धा० पर० ) [ पुर्वति ] १ भरना।२ रहना । का नामान्तर । - आयुषं, - श्रायुस्, ( १० ) मनुष्य की जिन्दगी या उम्र ।-आशिन (पु० ) नरभक्षी | राक्षस -इन्द्रः, (पु० ) राजा । बादशाह - उत्तमः, ( पु० ) १ सर्वोत्तम वसना आवाद होना। ३ आमंत्रित करना । बुलावा भेजना | पुल ( वि० ) बढ़ा | लंबा | चौड़ा । विशाद्ध । पुलः ( 30 ) रोंगटों का खड़ा होना। पुरुषत्व/---- मनुष्य २ परमात्मा । -कारः, (पु० ) मनुष्य | पुलकः ( पु० ) १ भय या हर्ष के अतिरेक में शरीर का उद्योग या प्रयत्न संरदानगी कुणपः, ( पु० ) -- कुणापम्, ( न० ) मनुष्य की लाश या मृतक शरीर /-केसरिन्. ( पु० ) विष्णु भगवान् का नृसिंहावतार । -ज्ञानं, (न०) मनुष्य जाति का ज्ञान |--दन, इयस, (वि० ) मनुष्य की लंबाई जितना 1-द्विपू. ( पु० ) विष्णु का शत्रु । -नायः, ( पु० ) १ नमूपति । २ राजा । बादशाह !-~पशुः, (पु० ) नरपशु । -पुङ्गवः, -पुराडरिकः, ( पु० ) अकृष्ट या प्रख्यात पुरुष 1-बहुमानः, (पु० ) मनुष्य के रोगों का खड़ा होना २ एक प्रकार का पत्थर या रत्न ३ खनिज पदार्थ | ४ रत्नदोष । २ गजान पिण्ड ६ हरताल | ७ शराब पीने का काँच का गिलास राई का मसाला विशेष | -अङ्क ( पु० ) वस्या का फंदा । आलयः, ( पु० ) कुबेर का नामान्तर । - उद्गमः (पु० ) रोमाञ्च | पुलकित (वि० ) रोमान्चित | गद्गद | आनन्दित पुलकिन् (वि० ) [ स्त्री० पुलकिनी ] जो रोम बिद हो। ( पु० ) कदंब वृद्ध विशेष | पुलकिन् १ जाति का सम्मान मेवः (पु० ) मध ( यज्ञ ) 1-घर:, ( पु० ) विष्णु का नामान्तर - वाह (पु० ) गरुड़ का नाम । २ कुबेर | -व्यात्रः, -शार्ङ्गलः (पु० ) सिंहः, (पु० ) १ पुरुषों में श्रेष्ठ | २ बहादुर । वीर /-समवायः ( पु० ) पुरुषों की संख्या (सूकं, (न०) ऋग्वेद के एक सूक्त का नाम जो सहस्रशीर्पा से प्रारम्भ होता है। पुरुपं ( न० ) मेरु पर्वत का नामान्तर । पुरुषक: ( पु० ) । पुरुष की तरह दो पैरों पर खड़ा पुरुषकम् ( न० ) | होना । घोड़े का जमना या अलफ होना। पुरुषत्वं ( न० ) ) पुंसव | पुरुषता ( स्त्री० ) } १ मरवानगी| वीरता | २ पुरुदायित ( वि० ) मनुष्य की तरह आचरण करने वाला । पुरुषायितम् ( न० ) 1 मनुष्य का आचरण चाव चलन । २ स्त्री मैथुन करने का आासन विशेष | पुरुरवस् ( पु० ) एक चन्द्रवंशी राजा का नाम । पुरोटि: ( पु० ) १ नदी का प्रवाह या धार| २ पत्तों की खरभर ।