{ परपद् परम्पतम् परंपदं ) ( न० ) १ वैकुण्ठधाम । दिव्यधाम परम्पदम् २ सबसे श्रेष्ठ पद व स्थान | ३ मोठ | मुक्ति । परमश्रेष्ठ (दि० ) सब से बढ़िया । श्रेष्ठतम परमश्रेष्ठ (पु० ) १ ब्रह्मा का नामान्तर २ विष्णु का नामान्तर । ३ शिव का नामान्तर । ४ देवता। देवत । 4 एक के बाद दूसरा | २ सिल- 1 परपोता । पाँव का पुत्र | परमेछिन् (पु० ) १ वह्मा । २ विष्णु ३ शिव । ४ गरुड़ अग्नि ६ कोई भी आध्यात्मिक गुरु । ७ ( जैनियों का ) अर्हत । परंवर ) ( ० ) परम्पर । सिलेवार क्रमशः | परंपरः ) ( पु० ) परस्परः परंपरं परम्परम् परंपरा ) ( स्त्री० ) १ विक्रम सिलसिला परम्परा ) जो टूटे नहीं । २ पंक्ति । श्रवली । समूह | समुदाय ३ क्रम | विधि । यथार्थ ४ वंश | कुल २ वध | नाश । २ हिरन विशेष | } ( न० ) क्रमशः ; सिलसिलेवार । व्यवस्था [1] परंपराक ४७३ ) परवत्ता ( स्त्री० ) परवशता पराधीनता | परंजं परखम् । ( न० ) इन्द्र की तलवार । से ५ अलग दूर | पृथक 1 परस्पर (वित्र ) आपस में ज्ञः ( पु० ) मिश्र | दोस्त | 1- परस्मैपदम् (न० ) ) संस्कृत में क्रियाएँ दो प्रकार
वि० ) यज्ञ में पशु का वध करने | परस्मैभाषा (स्त्री० ) J की होती हैं। उनमें से एक इससे दूसरे के लिये फल का ज्ञान होता घाला। परंपरो ) (वि.) १ पैतृक | वंशपरम्परा से प्राप्त परवत् (वि०) पराधीन आज्ञाकारी २ वलरहित । शक्तिहीन क्रिया हुआ । सम्पूर्णतः परवश | 8 अनुरक ! भक्त : परंजः ) ( पु० ) १ कोल्हू | २ तलवार की धार । परञ्जः १३ फेन | पराक्रम् } ('गु० ) परसा | तवर | तबल 1 ● परसू (अन्य) परे आगे अपेक्षाकृत अधिक। २ दूसरी तरफ | ३ अत्यन्त दूसरा ४ छोड़ कर । २ ( वैदिक ) भविष्यत् में पीछे से - कृप्पण, ( दि० ) अतिकाल 1- पुंसा, (स्त्री०) [वैदिक ] यह स्त्री जो अपने पति से सन्तुष्ट न होकर (आशिक या प्रेमी) की तलाश में हो। पुरुष, ( वि० ) मनुष्य से बढ़ कर 1-शत, ( वि० ) सौ से अधिक 1- श्वस्. (अव्यया० ) आने वाले कल के बाद का दिन । परसों :- सहन, (वि०) एक हज़ार से अधिक 1 परस्तात् (अव्यया ) परे। दूसरी तरफ या और। और आगे २ इसके बाद | पीछे से । ३ अपेक्षाकृत ऊँचा | उच्चतर | ४ ( वैदिक ) ऊपर [3 परशः ( पु० ) १ पारस पत्थर स्पर्शमणि। परशुः (पु०) : एक अस्त्र जिसमें एक इंडे के सिरे पर एक चन्द्राकार लोहे का फल लगा रहता है। कुल्हाड़ी विशेष | तबर २ वज्र ।-धरः, ( पु० ) १ परशुराम | २ गणेश ३ परशुधारी सिपाही । -रामः, (पु.३) जमदग्नि के पुत्र !- -वनं. ( न०) नरक विशेष परश्वधः परस्वत्रः है। व्याकरण में कथित तिपू आदि । परा ( अव्यया० ) यह एक अव्यय है। दूर, पीछे, एक सरफ़, ओर के अर्थ में यह प्रयुक्त होता है । यथा परागत पराक्रान्त | पराधीन आदि । पराक (बि० ) छांटा। पराकः ( पु० ) : वलिदान देने की तलवार प्रायश्चित विशेष | ३ रोग विशेष | 19 पराकाशः ( पु० ) बहुत दूर की आशा था उम्मेद पराह ( क्रि० ) खारिज कर देना अस्वीकृत कर देना। तिरस्कार करना। ध्यान देना । पराकरणम् (न० ) अस्वीकृत कर देने की क्रिया तिरस्कार । फाँसले पर । अन्तर पर पराके ( अध्यया० ) ( वैदिक ) | पराकम् ( क्रि० ) १ हिम्मत दिखाना | बहादुरी दिखाना। २ लौट जाना पीठ फेरना । ३ धाक्रमण करना | ४ आये बढ़ना । सं० श० कौ०