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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/४६२

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पक्ष्मन् पदमन (न० ) [ पक्ष + मनिन् ]बरौनी | आँख की बन्ही । २ पुण्य की परी ३ सिहीन डोरा ढोरे का छोर ४ बाजू | थाना ५ फूल 1 का एक पत्ता !-~-कीपः,—प्रकोपः ( ० ) बरौनी के आँख में ले जाने से उत्पन्न हुई आँख की जलन | 1 पदमल (वि० ) १ सुन्दर बरौनी वाला २ बालों पङ्कारः ) पुश्वा । पुस । ३ जीना। सीड़ी | नसैनी। । पंकिन ? ( वि० ) कीचड़ से भरा हुआ । कीचड़ से } पनि सना हुआ। पंकिल पडिल } गंवला । मैला । कीचवहा । पगुल पशुत पकिलः)

(१० ) नाय । किश्ती ।

पंकेशं) ( ( ० ) कमल । पंकेरुह् (२०) रु पंकेरुहः ( पु० ) सारस पड़ी। वाला। बालदार | पक्ष्य ( वि० ) [ पक्षैभवः, यत्, ] १ एक पात्र में पकूशय } (वि० ) 1 कीचड़ में रहने वाला । पंकणः उत्पन्न होने वाला | २ पक्षपाती । ३ एकतरफी एक लंग का १४ प्रत्येक पक्ष में बदलने वाला। पदयः (g०) पक्षपाती इकतरफा अनुयायी। मिश्र । } (F० ) धागडाल का लोपड़ा । सहयोगी | पंक, पङ्गः (पु० ) कीचड़ | काँडा १२ वदी पंकं, पड़म (न० )ऽ मात्रा में ३ दुल ४ पाप २ मलहम उबटन | कवटा, ( पु० ) नदी की बाद से आई हुई मिट्टी |--कोरः, (पु० ) टिटिहरी नाम की चिड़िया । क्रीडः, - क्रीड- नकः, (पु०) शूकर सुधर । -ग्राहः, (पु० ) मकर या मगर । न । घड़ियाल । छिट्, (५०) रीठा का वृक्ष निर्मली का वृत्त । जं, (न० ) कमल-जः, (पु० ) सारस पक्षी । -जन्मन्, ( न० ) कमल | ( पु० ) सारस पक्षी । -- -दिग्ध, ( वि० ) कीचड़ में सना हुआ ।-भाजू, (वि०) कीचड़ में हुवा हुआ-भारक, (वि० ) कीच- कहा-मराडकः, (पु० ) दुपट्टा शङ्ख ~-रह, (न०) -यई, (न०) कमल (~वासः, ( पु० ) मकरा 1 शूरण: सूरणः, ( पु० ) कमल की जद मसीड़ा | पंकजिनी ) ( स्त्री० ) १ कमल का पौधा | २ कमल पङ्कजिनी ) के पौधों का समूह | ३ स्थान जहाँ पुष्पों की बहुतायत हो । ४ कमोदिनी का क्षचीला दण्ड या चंदुल | कमल । पंक्ति ( स्त्री० ) [ पञ्च विस्तारे किन्. ] रेखा। पतगार अवली २ समूह समुदाय । दक्ष । । गिरोह ३ ( एक ही जाति के ) आदमियों की "I कतार एक जाति के मनुष्यों की पंगति । ४ वर्तमान या जीवित पीढ़ी ५ पृथिवी | ६ कीर्ति । प्रसिद्ध । ७ पाँच का समूह या पाँच की संख्या । म दस की संख्या था " पंक्तिस्य" पंसिग्रीव । १ पाचन क्रिया पकाने की क्रिया १०एक ही जाति के लोगों का समूह -कराटकः, (पु० ) पंक्ति- दूषक /-ग्रीवः, (पु० ) रावण का नाम - चरः, ( 50 ) समुद्री गिद्ध-दूषः,दूषका ( पु० ) जातिबहिष्कृत पुरुष जिसके साथ पंक्ति में बैठ कर कोई भोजन न करे या जिसके साथ बैठ कर भोजन करने से भोजन करने वाले पतित हो जॉय -- पावनः, ( पु० ) वह ब्राह्मण जिसको यज्ञादि में बुलाना, भोजन कराना और दान देना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा ब्राह्मण पंक्ति को पवित्र करता है /- रथः, ( पु० ) दशरथ का नाम । पंक्तिका (स्त्री० ) पंक्ति | पसभार । पंगत पंगु ) ( वि० ) [ स्त्री०- पंगू या पम्बी ] लंगड़ा पङ्गु लूखा एकटंगा पंगुल। अपाहज ( ग्राहः (पु०) मकर नक | २ मकरराशि | २ } पडुः पंगुक पंगुत } ( वि० ) लंगड़ा । सूला । } { पि० ) बंगवा । खुला |