नियागिन अगन आवश्यकश एहस्गम ६ उद्योग विश्य प्राचीन श्राया का एक प्रथा जिसके अनुसार निःसन्तान जी का अधिकार था कि वह परपुरुष से संयोग कर सन्तान उत्पन्न कराले । किन्तु कलियुग में यह प्रथा वर्जित है। नियोगिन् ( पु० ) अफसर । सचिव | कसंचारी नियोग्यः ( पु० ) स्वामी प्रभु। नियोजनम् ( न० ) १ बंधन अटकाव २ प्रज्ञा आदेश ३ अनुरोध | आग्रह | ४ नियुक्ति । नियोज्यः ( 50 ) अधिकारी अफसर । कर्मचारी 1 कारकून | नौकर | ( ४३० ) नियोद्ध: ( पु० ) पहलवान कुश्नी लड़ने वाला । मन्त योद्धा | निर 4
अन्तर ( दि० ) १ अविच्छिन्न २ अमर या फासला न हो । ३ निविड । घना । गमिन ४ बड़े आकार का. बफादार । ईमानदार | सच्चा । ६ जो अन्तर्ध्यान न हो। जो दृष्टि से ओझल न हो । ७ समान। एक सा अन्तरम्, ( अव्य० ) अविच्छिन्न । बराबर होने वाला अखण्डित । अन्तराल, ( वि० ) १ सटा हुआ | २ सकी ।अन्वय, ( वि० ) १ निस्सन्तान । बेधौलाद । २ जिसका कोई सम्बन्ध न हो । ३ मूल से भिन्न | ४ दृष्टि से ओझल । ५ नौकर चाकरों से रहित ।-अपत्रप, (वि०) १ निर्लज्ज | बेहया । २ साहसी |-अप- राध, ( वि० ) कलङ्करहित । बेकसूर - अपाय ( वि० ) १ दुष्टता से रहित । अप कार शून्य | २ अविनाशी । ३ अन्त । अमोघ । अन्यर्थं | अपेक्ष, (वि०) १ जिसे किसी बात की चाह न हो । २ लापरवाह असावधान ३ कामनाशून्य ४ जिसे किसी साँसारिक पदार्थ से अनुराग न हो। ५ निस्वार्थी | ६ तटस्थ - अपेक्षा (स्त्री० ) १ अपेक्षा या चाह का अभाव | २ लगाव का न होना। ३ अवशा| परवाह न होना। --अभिभव, ( वि० ) जो अपमान का पात्र न हो । -अभिमान, ( वि० ) अहङ्कार से रहित । अभिमानशून्य ।-अभिलाप, ( वि० ) इच्छारहित ।-प्रभ्र (वि० ) बादल- शून्य । -अमर्ष, (वि०) क्रोधरहित । धैर्यधारी । -प्रवु ( वि० ) १ जल से बचने या परहेज़ करने वाला २ जलरहित । पानी का मोहताज -गल, (वि० ) विना चटखनी या साकल कु'डे का । येरोक टोक । —अर्गलम् (अव्यया० ) स्वतंत्रता से। - अर्थ, (वि०) धनहीन । गरीब । निर्धन । २ अर्थरहित | ३ वाहियात ४ व्यर्थ । निष्ययोजन । जिसका कोई काम का मतलब न निकले। -अर्थक, (वि० ) १ व्यर्थ | हानिकर | २ विना अर्थ का । वाहियात /- अर्थकम्, (न०) पादपूरक पूरा करने वाला। 1 - ध्रुव- काश, (वि० ) १ विना स्वतंत्र स्थान का | २ जिसको फुर्सत न हो। -अवग्रह, ( वि० ) १ ० । www 1 निर् ( अव्यया० ) जिस का पर्यायवाची। इसका अर्थ है बाहिर दूर। विना रहित। -अंश, (वि०) समूचा सम्पूर्ण २वह जो पैतृक सम्पत्ति में से कुछ भी भाग पाने का अधिकारी न हो।- यतः, (पु० ) ऐसी जगह जहाँ विस्तार करने का स्थान न हो। अनि, (वि० ) को · . भाग को असावधानी से बुक जाने देने वाला -अ (वि०) विना रोक टोक का वश में न रहने वाला। काबू में न आने वाला। स्वा धीन | स्वतंत्र - अङ्ग (वि० ) जिसमें भाग न हो । २ उपायशून्य उपायवर्जित । अजिन्, (वि०) १ विना सु का | २ वेदारा। निष्कलङ्क | ३ मिथ्या से रहित । ४ सीधा सादा चालाकी म जानने वाला। -अञ्जनः, (पु० ) शिव जी की उपाधि -अञ्जना, ( श्री० ) पूर्णिमा - अतिशय (=निरतिशय ) ( वि० ) हद दर्जे का। --अत्ययः, ( वि० ) १ खतरे से महफूज 1 सुरक्षित २ दोपशून्य । निस्वार्थी । हर प्रकार से सफल काम ! --अध्य, ( वि० ) गुमराह । वह जो मार्ग भूल गया हो । - अनुक्रोश, ( वि० ) निर्दयी । संगदिल । निष्ठुर हृदय |-अनुक्रोशः, ( पु० ) निष्ठुरता - अनुग, (वि०) जिसके कोई अनुयायी न हो। --अनुनासिक, ( वि० ) जिसका उच्चारण नाक से न हो।-अनुरोध ( वि० ) १ प्रतिकूल | २ चकृपालु जिसके