पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/३४५

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जीवनीयम् ( ३३८ ) अवेय. जीवनीयम् (ग०) १ पानी । २ ताम्रा या टटका दूध | जूकः (पु०) तुला राशि | जीवन्तः (पु०) १ जिंदगी । अस्तित्व | २ दवाई। जीवन्तिकः (पु०) चिडिमार बहेलिया जीवा ( स्त्री० ) १ जल २ पृथिवी ३ कमान | की डोरी ४ वृत्तांश के दोनों प्रान्तों को मिलाने | बाली सरल रेखा | ५ थाजीविका के साधन । ६ गहनों की संकार का शब्द ७ वचा। पौधा विशेष | जीवातु ( पु० न० ) १ भोजन | २ जीवन | अस्तित्व ३ पुनरुज्जीवन ४ मुर्दे को जिलाने वाली दवा | जीविका (स्त्री० ) जीविका का साधन । वृत्ति । रोजी प्राजीविषा । जीवित (वि०) १ जिंदा | २ पुनरुज्जीवित किया हुआ | ३ सजीव अन्नकः ( पु० ) शिव-ईशः, (१०) १ प्रेमी | पति । २ यम ३ सूर्य ४ चन्द्रमा | --कालः, ( पु० ) जीवन काल या जीवन की | जूभः, अवधि । -ज्ञा, (स्त्री०) नाड़ी। धमनी रग-जम व्ययः, ( पु० ) जीवनोत्सगे-संशयः, (पु०) जूढः (पु०) जटा सिर के लंबे और आपस में चिपटे हुए बाल । जूटकं (न० ) जटा । जूतिः ( स्त्री०) वेग | तेज़ रफ़्तार | जूर (धा० ग्राम० ) [ सूर्धते, जू] चोटिल करना। वध करना। २ नाराज होना १३ बढ़ना । जूर्तिः (स्त्री० ) ज्वर | जू ( धा० परस्मै० ) [ अरति ] नीचा दिखाना। तिरस्कार करना। प्राणसइट। 1 जीवतम् ( न० ) १ जीवन अस्तित्व | २ जीवन की अवधि । ३ आजीविका ४ माणधारी | जीव जोविन् (वि०) [स्त्री० जीविनी] १ जीवित जिंदा ( पु० ) प्रावधारी । जीव्या (स्त्री०) आजीविका का साधन । जुगुप्सनम् (न० ) 21 भर्त्सना फटकार। विकार जुगुप्सा ( स्त्री० ) ) २ रुचि । नफरत | ३ निंदा । जुभु, जुम्भ् (धा०म०) [जभते, जूं भते, जृम्भित, अंग्ध ] जमुहाई लेना। २ खोलना। फैलाना। ३ बढ़ाना छा देना। सर्वत्र व्यास कर देगा। प्रकट करना । २ भारास करना । ६ पल्टाखाना । लौटना। जृम्भः ( 30 ) जम्भ ( न० ) ॐ भणं, जृम्भणं (न० ) जभा, जम्भा (खी० ) जृ भिका, जृम्भिका (सी० ). जू (धा०प० ) [जरति, जीयंति, जूणाति, जारयति- जारयते, जी या जारित ] पुराना पड़ जाना। घिस जाना। कुम्हला जाना। सड़ जाना नष्ट हो जाना । घुल जाना । पच जाना । जेतृ (पु०) १जेता । विजयो । २ विष्णु । जैताकः ( (पु० ) गर्म कोठरी जिसमें बैठकर शरीर से जेन्ताक: । पसीना निकाला जाय। जुष् ( धा० ग्राम० ) [ जुपते जुर ] प्रसन्न या जेमनम् ( न० ) १ भोजन करना। खाना | २ भोज्य पदार्थ | सन्तुष्ट होना। अनुकूल होना | २ पसंद करना | सुश्ताक होना। उपयोग करना । ३ अनुरक्त होना । | जैत्र (वि० ) [ स्त्री० -जैत्री ] १ विजयी | सफल | विजयप्रद । २ उत्कृष्ट अभ्यास करना ४ अनुसंधान करना ५ चुनना ६ सर्क करना। जुष्ट (३० कृ० ) १ प्रसन्न चव्हादित । २ अभ्यस्त | सेवित | ३ सम्पन्न | जू: (स्त्री०) १ गति | तेज़ चाल | २ वायुमण्डल | ३ राजसी ४ सरस्वती । जमुहाई। खिलना। प्रस्फुटन | फैलाव | अंगों का फैलाव | जैश (न० ) १ विजय | जीत २ उत्कृष्टता | जैत्रः (पु०) विजयी | फतहयाव २ पारा पारद । जैनः ( पु० ) जैनी। जैन मतावलम्बी। जुहः ( स्त्री० ) १ ध्रुवा । आहुति देने का चमचा जैमिनि: ( पु० ) मीमांसादर्शनकार महर्षि विशेष | जुहोतिः (१०) यज्ञोयकर्म सम्बन्धो पारिभाषिक शब्द | वातकः (पु० ) १ चन्द्रमा | २ कपूर । ३ पुत्र । ४ जैवातृक (वि०) [ स्त्री० -जैवातृकी ] दीर्घजीवी | विशेष | दया।२ किसान। अवेयः (पु० ) बृहस्पतिपुत्र कच की उपाधि |