पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२८

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प्रतिवाहन ( २३ ) अतीन्द्रियम् अतिवाहनं ( न० ) व्यतीत । सर्च किया हुआ | २ | प्रतिशेषः (पु० ) बचत ) स्वल्प बचा हुआ | अत्यन्त सहमशील या परिश्रमी । अत्यधिक भार || प्रतियसिः (पु० ) यह पुरुष जो सर्वोत्तम श्री से किसी काम से पिंढ या पीछा छुटाये हुए। श्रेष्ठ हो अतिश्व (वि०) १ बल में बड़ा चढ़ा से निकृष्ट/-श्वा ( स्त्री ) दासस्य | अश्विन (पु० ) सर्वोत्तम कुत्ता। अतिसक्ति (सी०) घनिष्ठता । अत्यधिक अनुराग । अविसन्धानं (न० ) धोखा दुगा जाल कपट । प्रतिसरः (पु० ) १ आगे बढ़ा हुआ। २ नेता | अतिसर्गः ( पु० ) 1 देना ( पुरस्कार रूप से ) | २ अनुमति देना। आशा देना १२ पृथक करना। (नौकरी से ) | अतिविषा (स्त्री०) एक विषविशेष जो दवाई के काम में आता है। अतिवृष्टिः ( स्त्री० ) मुसलधार वर्षा ६ प्रकार की ईतियों में से एक। प्रतिचेल ( बि० ) १ अस्यधिक । असीम अतिशय अतिसर्जनम् ( न० ) : देना ( २ मुक्ति छुटकारा 1 २ अमिताचारी । ३ वदान्यता । दानशीलता ४ वध विद्रोह बियोग प्रतिविकट (वि०) यहा भयङ्कर विकट: (०) दुष्टहाथी । प्रतिषितरः ( पु० ) १ दीर्घसूत्रता : २ प्रपंच | बहुत वफफक | अतिवृत्तिः ( स्त्री० ) १ अतिक्रमण | उशन | २ अतिशयोति । प्रतिवेलम् ( क्रि० वि० ) १ अत्यधिकतया । २ वे समय से | अन्ऋतु से। अतिव्यातिः ( सी० ) किसी नियम या सिद्धान्त का अनुचित विस्तार किसी कथन के अन्तर्गत उद्देश्य या लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य विषय के आ जाने 1 1 का दोष नैयायिकों का एक दोप विशेष । यदि किसी का लक्षण अथवा किसी शब्द की या वस्तु की परिभाषा की जाय और वह लक्षण या परि भाषा अपने मुख्य वाच्य को छोड़ कर दूसरे की बोधक हो तो वहाँ अतिव्याप्ति दोष माना । जाता है। अतिशायिन् (वि० ) श्रेह । समीचीन अतिशायिन (पु० ) १ अतिक्रमण | २ अधिक । अतिसर्व (चि० ) सर्वोपरि सब के ऊपर । अतिसर्वः ( पु० ) परमात्मा | परनवर | अतिसार अतीसारः । अतिसारिन् अतीसारिन् कुत्ता २ कुचे सेवा । ( पु० ) दस्तों की बीमारी। ( पु० ) पतीसार रोग जिसमें मल बढ़कर रोगी के उदारानि को सन्द कर देता है और शरीर के रसों के साथ बराबर निकलता है। प्रतिस्नेहः (पु० ) अत्यधिक अनुराग | प्रतिस्पर्श: (पु०) अस्थर और स्वर की एक संज्ञा । थतीत ( वि० ) १ रात बीता हुआ | २ मरा हुआ। ३ निर्लेप | विरक्त पृथक 8 असंख्य यथा "संख्यातीत" । अतिशयः (पु० ) बहुत । अत्यन्त । सर्वोत्तमता) २ उकृष्टता।उतिः (अतिशयोकिः) (स्त्री०) अलङ्कारविशेष, जिसमें लोकसीमा का उशचन विशेष रूप से दिखलाया जाय। अतिशयन ( वि० ) बड़ा मुख्य प्रचुर बहुतसा अतिशयनम् ( न० ) आधिक्य बहुतायत । अतिशायनम् (२०) श्रेष्ठत्व समीचीनस्य उमदापन । अतीन्द्रियः ( पु० ) ( सांख्यशाब में ) जीव या प्रकर्ष | पुरुष परमात्मा अतीन्द्रिय (वि० ) जो इन्द्रियों के ज्ञान के बाहिर हो। अव्यक्त अप्रत्यक्ष अगोचर । अतीन्द्रियम् ( न० ) १ ( सांवय मतानुसार ) प्रधान या प्रकृति | २ ( वेदान्त में ) मन ।