पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२७२

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क्षिपण अपमान करना । गाली देना तिरस्कार करना। फटकारना । क्षिपणं (न०) १ भेजना | पठाना फैकना | २ गाली गलोज | क्षिपणि क्षिपणी क्षिपणिः (स्त्री०) आघात। चोट । प्रहार | क्षिपण्युः ( पु० ) १ शरीर । २ वसन्तऋतु । क्षिपा (स्त्री०) १ राव | २ पठौनी | पटक गिराव क्षिप्त (व० ७०) १ फेंका हुआ। छितराया हुआ। घुमाया हुआ। पटका हुआ । २ स्यागा हुआ |३ अनारत ४ स्थापित ५ पागल सिही। कुक्कुर, (पु०) पागल कुत्ता। -चित्त, (दि०) चञ्चलचित्त (वि०) विफल/देहे, (वि०) बेय हुआ। पसरा हुआ। तिप्तं (न०) गोली का धाव ( २६५ ) (स्त्री० ) १ डाँड २ जाल | ३ हथियार क्षितिः (स्त्री०) कूटायें। पहेली का अर्थ । क्षिप्र (वि०) [तुलनात्मक-रोपीयस्। फेपिष्ठ] फुर्तीला | ~कारिन्, (वि०) फुर्तीला क्षिप्रं (अन्य०) तेजी से । फुर्ती से जल्दी से । दिया (स्त्री०) १ हानि नाश । बरवादी हास २ असभ्यता आचारभेद | ( पु० ) यच्चा शिशु-अधिः, ( ० ) दूध का समुद्र ।-अधिः (पु०) चन्द्रमा २ मोती ।अधिजा, अन्धितनया, (स्त्री०) लक्ष्मी-ग्राहः, (पु०) सनौवर का वृक्ष - उदः, (१०) दूध का समुद्र /-ऊर्मिः, (खी०) दूध के समुद्र की लहर । -श्रोदनः, (पु० ) दूध में उबले हुए चावल 1- कण्ठः, (पु० ) बच्चा। शिशु । -जे, (न०) जमश्रा दूध जमा हुआ दूध १-~द्रुमः, (पु०) अश्वत्थ वृक्ष । बरगद का पेड़-धात्री, (खी०) दूध पिलाने वाली दासी । -घि निधिः, (पु० ) दूध का समुद्र धेनुः, (स्त्री०) दुधार गाय-जीरं, ( म० ) १ पानी और दूध। २ दूध सदरा जल ३ घोल- मेल मिलावट ~~पः, (पु० ) दूध पीने वाला बच्चा।- वारिः, वारिधिः, (पु० ) दूध का समुद्र /- विकृतिः, जमा हुआ दूध वृक्षः ( पु० ) म्यग्रोध, उदुम्बर, अश्वस्थ और मधूक नाम के वृह-शरः, (पु०) १ मलाई । २ दूध का भाग या फेन ।- समुद्रः (पु०) दूध का समुद्र । -सार, ( पु० ) मक्खन । - हिण्डीरः, (पु०) दूध का फेन । "I 1 -- तीजनम् (न०) पोले नरकुल्लों में से निकली हुई सर सराइट की आवाज़ | क्षीण (बि०) १ दुबला पतला। लदा हुआ। घटा हुआ। खर्च कर डाला गया । २ नाज़ुक | पतला 12 स्वल्प। थोड़ा । कम ४ धनहीन गरीब । ५ शक्तिहीन | निर्बल :- (०) कृष्णपक्ष का चन्द्रमा !-~~-धन, ( वि० ) निर्धन | गरीब | -पाप, (वि० ) पाप का फल भोगने के पीछे " तीव ( वि० ) उत्तेजित | नशे में चूर खाँसना | खखारना । उस पाप से रहित । -~-पुण्य, (वि० ) जिसका तु ( धा० परस्मै० ) [ क्षोति, सुत] छींकना । २ सचित पुरुयफल पूरा हो चुका हो और जिसे अगले जन्म के लिये पुनः पुण्यफल सञ्चय करना चाहिये। -मध्य, (वि० ) पतली कमर वाला । - वासिन्, ( वि० ) खड़हर में रहने वाला विक्रान्त, (वि०) साहस या शक्ति से रहित।- वृत्ति, ( वि० ) श्राजीविका से रहित । क्षीबू, तोब देखो श्रीवृ, जीव क्षीरं ( न० ) क्षीर (पु० १ दूध । २ किसी वृक्ष का दूध जैसा रस । ३ जल मदः, क्षीरिका (स्त्री०) खीर दूध से बना खाद्य पदार्थ | क्षीरिन ( वि० ) दुधार । दूध देने वाला। नीबू ( धा० परस्मै० ) [ श्रीषति, तीव्यति ] नशा में होना। मदिरा पान करना | २ थूकना । मुँह से निकालना। सुगण ( व० ० ) १ कुचला हुआ। कूटा हुआ । २ अभ्यस्त । अनुगत ३ चूर्ण किया हुआ। -मनस् (वि० ) पश्चात्ताप करने वाला। क्षुत् ( श्री० ) हुर्त (५०) चुता (स्त्री०) छ । क्षुद् ( धा० उभय० ) [ तुपत्ति, हुते, चुराण ] १ कुचलना । पैरों से रूंधना | पटकमा । सं० श० कौ०-२४