पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२४९

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कुरगः ( २४२ ) कुरंगः ) ( पु० ) [स्त्री० – रङ्गी.] १ लाल रंग का कुरुविंदः, कुरङ्गः ) हिरन । "सबंगी कुरङ्गीङ्गी करोतु ।" -- जगन्नाथ | २ हिरनों की जाति विशेष - क्षी, नयना, – नयनी, – नेत्रा, ( स्त्री० ) हिरन जैसी आंखों वाली स्त्री । - नाभिः, सुश्क | ( स्त्री० ) कस्तूरी कुरंगम: | } ( चु० ) देखो कुरङ्गः ॥ कुरचिल्लः ( पु० ) १ कैकड़ा | २ कुरटः ( पु० ) मोची । श्वमार । कुरंट:. कुरण्ट:, ( पु० ) कुरंटकः करण्टकः, ( पु० ) कुरंटिका, कुँरशिटका, (स्त्री० ) गुलशादाब | केस कुरंड: ) ( पु० ) अण्डकांशवृद्धि रोग । एक रोग कुँरण्डः ) जिसमें पोते बढ़ जाते हैं। } ( पु० ) उस्क्रोश पक्षी। चकवा । कुररी (स्त्री० ) १ चकवी | चकई | २ भेद | मेषी । -गुणः, (पु० ) चकवी पक्षियों का झुड। कररः कुँरलः बनैले सेव | ३ कुर्पूरः | [कर्कराशि | | कूपरः पीले रंग का सदावहार 1 कलगा। गुल- कुल कुरुविदः, कुरुजिन्दः (सः}} लाल (c) 2 कुरुनन्दः (पु०) ) लाल 1 रख (न० ) १ गुलकेस | गुलशादाव। का करवः ( पु० ) करषः ( पु० ) गुलशादाव करवकं, करबकम्. ( न० ) फुल [विशेष । कुरोरं ( न० ) स्त्रियों के सिर पर ओढ़ने का वस्त्र कुरुः ( बहुवचन ) १ आधुनिक दिल्ली के आस पास • का प्रदेश । २ उस देश के राजा । कुरुः ( पु० ) [ एकवचन ] १ पुरोहित | २ भात । -क्षेत्रं ( न०) दिल्ली के पश्चिम एक तीर्थस्थान, जहाँ कौरव और पॉण्डवों का लोकक्षयकारी इति- हासप्रसिद्ध युद्ध हुआ था। - जांगलम्, ( न० ) कुरुक्षेत्र - राजू, ( पु० ) राजः, ( पु० ) राजा दुर्योधन । – विस्रः, (पु० ) चार तोले की सौने की तौल । -वृद्ध: ( पु० ) भीष्म की उपाधि । कुराहट: } ( पु० ) लाल रंग का गुलशादाद। कुरंटी: } (स्त्री० ) काठ की पुतली | कुरण्टीः कुरालः (पु० ) माथे के ऊपर के बाल । दर्पण आईना। कुकुट: ( पु० ) १ भुगीं। २ कूड़ा कर्कट । कुर्कुरः ( पु० ) कुत्ता | कुर्चिका (स्त्री०) कूर्चिका । कुँची । देखो कूर्द-फूर्दन । कुर्द कुन कुसः कृर्पासः १ घुटना | २ कोहनी | ( पु० ) स्त्रियों के पहिनने की एक प्रकार की चोली या अँगिया । कुपासकः कृपसकः कुर्वत् ( व० क० ) करता हुआ । ( पु० ) १ नौकर | २ मोची। चमार | कुलं (न० ) १ वंश घराना | स्थान । २ घर। मकान । ३ कुलीन या उच्च वंशीय | ४ ॐड । गिरोह | दल समूह। समुदाय । २ (बुरे अर्थ में ) गिरोह | ६ देश । ७ शरीर ८ अगला आग प्रकल, (वि०) अच्छा बुरे कुल का। -अंगना, (स्त्री०) उच्च कुलोद्भवा स्त्री । - अङ्गारः, (पु०) कुलकलङ्क | -अचलः - अद्रि पर्वतः, -शैलः, (पु.) प्रसिद्ध सप्त पर्वतों में से एक । - अन्वित, (वि०) उत्तम कुलोत्पन्न । अभिमान, (पु०) अपने कुल का अहङ्कार–प्रचारः, (पु०) अपने वंश का पर म्परागत आचार। आचार्य:, (पु०) १ कुलपुरोहित २ वंशावली रखने वाला। - अलंबिन् (वि० ) कुल रखने वाला । —ईश्वरः, ( पु० ) १ कुटुम्ब का मुखिया | २ शिव जी का नाम - उत्कट, (वि०) उच्च कुलोद्भव-उत्कट:, ( पु०) अच्छी नस्ल का घोड़ा उत्पन्न,- उद्भुत, उद्भव, (वि०) अच्छे वंश में उत्पन्न उद्वहः, ( पु० ) खान्दान का मुखिया । - उपदेशः, ( पु० ) खान्दानी नाम । -कज्जलः, (पु०) कुलकलंक | कुलाङ्गार | -कराटकः, (पु० ) अपने कुल के लिये दुःखदायी । कन्यका, कन्या, ( स्त्री० ) कुलीन लड़की | - करु, ( पु० ) कुल का आदिपुरुष । –कर्मन, ( न० ) अपने कुल या खानदान की खास रस्म