पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२४०

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किम् किसर, अर्थात् बुरा मनुष्य था अङ्ग भङ्ग मनुष्य आदि। आगे के समासान्त शब्द देखा -दासः, ( पु० ) इरा नौकर-नरः, (पु० ) १ दुष्ट या विकृत पुरुष | २ देवगायक जाति विशेष ।-नरी, ( स्त्री० ) १ किन्नर की स्त्री । २ वीणा विशेष /-पुरुषः, (पु० ) १ नीच या तिरस्करणीय पुरुष २ फिचर / पुरुषेश्वरः ( पु० ) कुबेर । -प्रभुः, (पु० ) बुरा स्वामी या बुरा राजा-राजन् (वि० ) बुरा राजा वाला। -सखि ( पु० ) ( एकवचन कर्ता कारक में किसखा रूप होता है ) दुष्ट पुत्र यथा । " किंसखा साधुन पास्ति याचियं " ) १ कुछ अवर्णनीय 1 -किरातार्जुनीय । म् (सर्वनाम० अन्य ) [ कर्त्ता एकवचन ( पु० ) -कः, (स्त्री०) का, ( न० ) किम्] १ कौन | क्या। कौनसा - अपि ( अ कुछ | २ बहुत अधिक। अकथनीय ३ बहुत अधिक। कहीं ज्यादा । अर्थ, (वि० ) किस प्रयोजन से किस उद्देश्य से - अर्थ, (अव्यय० ) क्यों । क्यों कर / - प्राख्य ( वि० ) किस नाम का। किस नाम वाला / इति, (अभ्यया) काहे को क्यों कर। किस काम के लिये। उ उत, ( थव्यया० ) १ या अथवा या ( सन्देहात्मक ) २ क्यों । ३ कितना और अधिक कितना और कम-करः, ( 30 ) नौकर। दास। गुलाम | 1 1 "जवेदि मां किङ्करमष्टर्से:" -रघुवंश -करा, (स्त्री०) दासी। नौकरानी चाकरानी। - करी, (स्खो०) नौकर की पत्नी कर्तव्यता, - कार्यता, (श्री० ) किर्तव्यमुद्रता अर्थात् ऐसी परिस्थिति में पहुँचना जब अपने मन में स्वयं यह प्रश्न उठे कि अब मुझे क्या करना चाहिये । परेशानी । कारण, ( वि० ) क्यों कर किस कारण से। किल, (अव्यय० ) एक अव्यय जो अप्रसन्नता या धसन्तोष प्रकट कर्ता है। - क्षया, (वि० ) अकर्मण्य, जो समय का मूल्य नहीं समझता - गोत्र, (वि० ) किस वंश का । - क्रियत् उपरान्त | 0 - - । 2 किस खान्दान का। - च, (अव्यय०) अतिरिक्त -चन (अव्यय० ) कुछ अशं में। थोड़ा सा। -चित् (अन्य ) कुछ अशं में | कुछ कुछ थोड़ा सा | विराज्ञ, (वि० ) थोड़ा जानने वाला। बकवादी - चित्कर, (वि० ) कुछ करने वाला उपयोगी । -चित्कालः, ( पु० ) कभी कभी । कुछ समय 1- चित्लाण, (वि० ) थोड़ा जीवन वाला । - चिन्मात्र ( वि० ) बहुत थोड़ा 12 -चंदस् (दि० ) किस वेद को जानने वाला - तर्हि ( अध्यय० ) फिर क्यों कर। किन्तु । तथापि । कितना ही। फिर भी इसके उपरान्त -तु, (अव्यया० ) किन्तु । साहम तो भी स्थापि ।-देवत, (वि०) किस देवता का। -नामधेय - नामम् (वि०) किस नाम का। -निमित्त (वि० ) किस प्रयो- जन का निमित्तम् (धव्यया० ) क्यों क्यों कर जिस लिये। इस लिये। जिस कारण से । -नु. ( अव्यया०) १ आया था। अथवा | २ अत्यधिक अत्यप ३ क्या नु, खल, ( अन्यथा ० ) १ ऐसा क्यों कर क्यों कर सम्भव | क्यों निश्रय हो । २ अस्तु । ऐसा ही सही पच, - पचान, (वि० ) कंजूस सूम लालची। मक्खीचूस -पराक्रम, (वि० ) किस शक्ति या विक्रम वाला। पुनर, (अव्यया० ) कितना और अधिक या कितना और कम प्रकारं, किस ढंग से किस तरह प्रभाव, (दि०) किस चलाव का । किस स्तवे का । - भूत, ( वि० ) किस तरह का या किस स्वभाव का --रूप, (वि० ) किस शक्ल का । वन्ति, -~-वदन्ती ( श्री० ) अफवाहवराटकः ( पु० ) अपव्ययीपुरुष फजुल खर्च करने वाला आदमी। ~वा, (अव्यया०) प्रभवाची अन्यय । -विद, (वि०) क्या जानने वाला। व्यापार, ( वि० ) किस पेशे का । -शील (वि० ) कैसे स्वभाव का। स्थित्, (अन्यया०) या आया। कियत् (वि०) [ कर्त्ता एकवचन पु० -- कियान, स्त्री० --कियती; न० कियत } कितना बड़ा । कितनी दूर कितना कितने कितने प्रकार का किन स० श० को०-३० 1 1 '} w -- 5