पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२१५

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कपट कपटः (पु० ) | धोखा। इस कपट-तापसः, कपटतू] ( न० ) ) पाखण्डी साधु बना हुआ तपस्वी पर (वि० ) धोखा देने में निपुण | कपित्थम् ज०) कैथा के पेड़ का फल । -प्रवन्धः ( पु० ) कपटपूर्ण चाल । -~-लेख्यम्, | कपिल (चि०) १ भूरा। थुप्रैखा । २ भूरे बालों वाला। ( न० ) जाली दस्ताबेज्ञ या टोप-वचनम्, | कपिलद्युति ( पु० ) सूर्य ( न० ) धोखे की बात ! --वेश, (वि० ) बह- | कपिलधारा ( श्री० ) गङ्गा जी की उपाधि । रूपिया । शङ्ख बदखे हुए। कपिलस्मृति ( सी० ) फपिल रचित सांख्य सूत्र कपिलः (५०) एक महर्षि का नाम, जिन्होंने सगर राजा के ६० हजार यों को कुपित हो, भस्म कर डाला था। इन्होंने सांख्यदर्शन का आविष्कार किया था । २ कुत्ता | ३ खोवान | ॐ धूप ५ एक कपिला ( स्त्री० ) १ भूरे रंग की गाय । २ एक प्रकार प्रकार की भाग ६ भूरा या धुमैला रंग। का सुगन्धिद्रव्य २ लकड़ी का लट्ठा ४ ऑक जलौका | ( २०८ ) कपटिकः ( पु० ) चली। एपटी दगाबाज । कपर्वः ( पु० ) १ कैदी । २ जटा । विशेष कर कपर्दकः शिव जी का जटाजूट कपर्दिका ( स्त्री० ) कौड़ी। कपर्दिन् (पु० ) शिव जी का नाम । कपाट: ( पु० ) कपाटम् (स्त्री०) ) 1 १ किवाड़ | २ द्वार | दरवाजा | - उडाटनम् | न० ) किवाड़ खोलना । झः (पु०) सेंध फोड़ने वाला चोर | कपाल (पु० ) ( 8 खोपड़ी २ खप्पर | ३ समारोह कपालं (न० ) ) संग्रह | ४ भिक्षापात्र । २ प्याला | या कटोरा ६ ढक ढकना | पाणिः भृत्, ~~मालिन्, – शिरस्, ( पु० ) शिव जी | की उपाधियों। - मालिनी (स्त्री० ) भुर्गादेवी का नाम । कपालिका (स्त्री० ) खपरा | खप्पर ठिकड़ा। कपालिन् (चि० ) १ खोपदी रखने वाला । २ खोप- दियों की : माला ) पहिनने बाला ( पु० ) १ शिव जी की उपाधि । २ नीच जाति का आदमी जो ब्राह्मणी माता और मड़वाहा पिता से उत्पन्न हुआ हो। , कपिः (go)1 बंदर लहूर २ हाथी-आख्याः सुगन्धिद्रश्य धूप धना । - इज्यः ( पु० ) श्रीरामचन्द्र और सुग्री की उपाधि इन्द्र, ( पु० ) १ हनुमानजी की उपाधि । २ सुप्रोध की उपाधि की उपाधि । - फः (स्त्री०) एक पौधे का नाम 1- केतनः, - ध्वजः, (पु० ) अर्जुन का नाम -जः, -तेलं. - नामन् (न०) १ शीलाजीत १२ लोबान । -प्रभुः, (पु०) श्रीरामचन्द्रजी की उपाधि । -लोहं, (न० ) " - पीतल । कपिंजलः कपिञ्जलः कपोल. कपित्थः (पु० ) कैथ का पेड़ | आस्यः ( पु० ) वानर विशेष | } (पु०) : चालक पक्षी | २ तीतर पत्ती । या लोवान । कपिलाइदः (पु० ) इन्द्र की उपाधि । कपिश ( वि० ) १ भूरा। सुनहला २ ललौंदा। कपिशः (वि०) १ भूरा या सुनहला रंग | २ शिलाजीत [ नरम | कपिशा ( स्त्री० ) १ माधवीलता | २ एक नदी का कपिशित (वि० ) सुनहला या भूरे रंग का | कपुन्छ (म० ) } १ चूडाकरण संस्कार | २ दोनों कपुष्टिका (स्त्री० ) ) कलपटियों के ऊपर के केशगुस्छ । कपूर (वि० ) निकम्मा | है। नीच | कपोतः (पु० ) पिड़की फाका कबूतर २ (साधरणतः) पक्षी अधिः (पु०) सुगन्धि द्रव्य विशेष अञ्जनम् (न० ) सुर्मा । अरः (पु०) बाज पक्षी -चरणा, (स्त्री०) सुगन्धिद्रव्य विशेष पालिका, पाली, ( स्त्री० ) काबुक । अड्डीराजः, ( पु० ) कबूतरों का राधा सारं. (न०) सुमां- -हस्तः, (पु० ) हाथ जोड़ने की विधि विशेष भय था प्रार्थना व्यक्षक होती है। कपोतकः ( पु० ) छोटा कबुतर कपोतकम् ( न॰ ) सुर्मा । कपोलः ( पु० ) गाल - -फलकः, ( पु० ) चौड़े गाल -भित्ति, (बी० ) कनपटी और गाल | -रागः, ( पु० ) गालों का गुलाबी रंग ।