पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२०७

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( २०० कुत् (पु० ) कुब वाला भैसा । 1 ककुन्दरम् (न०) जघन कूप कूप का सूया। रॉन । ककुम् ( स्त्री० ) १ दिशा | २ कान्ति सौन्दर्य ३ चम्पा के फूलों की माला ४ धर्मशाख १५ चोटी | शिखर । [ अर्जुन सुद्ध ककुमः ( पु० ) १ बीखा की झुकी हुई लकड़ी । २ ककुभं ( म० ) फूटज वृक्ष का फूल | कक्कुलः (पु०) कुलगुरु कफोल ( पु० ) ककोली ( श्री० ) शीतलचीनी । गन्धद्रथ्य | बनकपुर । [ हँसी का । ककूट (चि०) : सस्त । कड़ा | ठोस । २ हास्य । कक्खटी (स्त्री० ) चाक खड़िया मिट्टी । कक्षः (पु० ) १ छिपने की जगह २ छोर उस वस्त्र का जो सब धत्रों के नीचे पहिना जाता है। धोती का छोर ।इलता या वेल विशेष ४ घास | सूखी घास । ५ सूखे वृक्षों का वन । ६ बगल | काँख १७ राजा का अन्तःपुर ८ जंगल का भीतरी भाग। ६ भीत | पाखा | १० भैसा ११ फाटक | १२ दलदल वाली ज़मीन कक्षं ( न० ) १ तारा २ पाप कक्षा (स्त्री० ) १ कॅखोरी । २ हाथी बाँचने की जंजीर या रस्सी ।२ कमरबंद | इजारबंद | ४ धारदीवारी । दीवाल ५ कमर मध्यभाग ६ आँगन सहन ७ हाता| घर के भीतर 1 कोठा का कमरा या कोठा नि कमरा अन्तःपुर १० सादृश्य । ११ उत्तरीय १ वस्त्र । डुपट्टा । १२ आपत्ति । एतराज प्रतिवाद । १३ प्रतिद्वन्द्वता हिस छोड़ | १४ कॉलोटा ( कमर में बाँधने का वस्त्र विशेष) १५ पटका | कमरबंद | १६ पहुँचा - प्रग्निः, (पु० ) दावानल अन्तरम् ( म० भीतर का या नीज़ कमरा ।—प्रवेत्तकः (पु) 1 ३ जनानी ढ्योड़ी का दरोगा। २ राजकीय उद्यान का अफसर ३ द्वारपाल कवि शायर | ५ लम्पट ६ खिलाड़ी | चितेरा ७ अभिनयपात्र । ८] प्रेमी आशिक -घरं, (न० ) कंधे का जोड़पा (पु०, कड़वा/पटा (पु० ) 1 ) कङ्कालयः लंगोट शायः, } - पुढा, (पु० ) काँख । बराल - शायुः, ( पु० ) कुत्ता। श्वान । कक्ष्या ( खी० ) १ हाथी या घोड़े का जेवरबन्द २ स्त्री का कमरबंद या नारा ३ उत्तरीय वस्त्र । दुपट्टा उपन्ना ४ चेंगे आदि की गोट। मरञ्जी | ५ अन्तःपुर का कमरा ६ दीवाल | हाता |७ सादश्य । कख्या ( स्त्री० ) हाता। घेरा बड़े भवन का खगढ। कंक, कङ्क: (पु०) बृहत वक विशेष | २ आमों की जातियाँ ३ यमराज का नाम ४ रात्रिय | १ बनावटी ब्राह्मण व विराट के यहाँ अज्ञातवास की अवधि में युधिष्ठिर ने अपना नाम कङ्क ही रखा था।-पत्र, (वि० ) वक विशेष के पखों से सम्पर्क -पत्रः, (पु०) तीर । बाय:त्रिन्, ( पु० ) (=कङ्कपत्रः) ~मुखः : पु० ) चीमटा | - शायः ( पु० ) कुत्ता - १ कवच । सैनिक कंकटः कङ्कटः ( पु० ) कंकटका, कटकः (go ) ) उपस्कर | २ अङ्कुश कंकणः कङ्कणः (०) १ कलाई में पहिनने कंकणं, कङ्कणम् (ज० ) ) का आभूषण विशेष । २ कड़ा। पहुँची। ककना । ३ विवाहसूत्र | कौतुक सूत्र | ४ साधारणतः कोई भी आभूषण | चोटी | फलगी। कंकण कङ्कणः S ( पु ) पानी की फुहार। यथा- नितम्हारा नवयुगले कुमरस्। उद्भट कंकणी, कणी (स्त्री० ) ) 1 घूँशुरू | २ बजने कंकणिका कङ्कणिका (स्त्री०) ) वाला आभूषण कंकतं, कङ्कृतम् ( न० कंकतः कङ्कतः कंकती, कङ्कृती (स्त्री० कंकतिका कतिका (को० ( १० ) फंधी | बाल कारने की कंवी या कंघा ( न० ) मठा जिसमें जल मिला हो । कंकर कङ्करम्, कंकालं, कङ्कालम् (न०) ) ढाँचा । अस्थिपञ्जर । कंकालः कङ्कालः ( पु० ) ठठरी | हड्डियों का - पालिन्. ( पु० ) शिव जी का नाम । -शेष, ( वि० ) जिसके शरीर में केवल हड्डियाँ हड्डियाँ ही रह गयी हो । कंकालयः ) | कङ्कालयः ) ( पु० ) शरीर देह | जिस्म | ●