पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१७१

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उद्जलि दंजलि ) ( वि० ) दोनों हाथों से "दजलि बनाये और उंगुलियों को उपर किये हुए हाथों की मुद्रा विशेष दंडपालः } ( पु०) ३ भ्रस्य । २ सर्पं विशेष । 'दण्डपाल: उदंत उदन्तः दधिः (पु०) घट घड़ा । जलपान । २ समुद्र । ३ झील | सरोबर । ४ घड़ा | कल्सा | उदन् ( न० ) जल | पानी | [ अन्य शब्दों के साथ जब इसका योग किया जाता है, तब इसके "नू” का लोप हो जाता है । [ जैसे-उदधिः, ]- कुम्भः, ( पु० ) घड़ा | कलसा । -ज, ( दि० पानी का । - धानः, ( पु० ) १ पानी का घड़ा। २ बादल । —धिकन्या, (स्त्री० ) १ लक्ष्मी । २ द्वार- कापुरी 1- पात्रं, (न०) - पात्री, (स्त्री०) जल भरने का बर्तन । – पानः, (पु०) –पानम् (न०) १ कुए के समीप की हौदी । २ कूप ।–पेषं, (न०) लेही । चिपकाने की वस्तु । -बिन्दुः, (पु०) जल की बूंद | - भारः ( पु०) जल ढोने वाला अर्थात् बादल । - मन्थः ( पु० ) यवागू या जब का विशेष रीत्या बनाया हुआ जल, जो रोगी को पथ्य में दिया जाता है। - मानः, ( पु० ) - मानम्. (न० ) आटक का पचासवाँ भाग । तौल विशेष । -मेघः, (पु० ) वृष्टि करने वाला बादल । -वजूः, (पु० )ों की वर्षा | २ फुधारा ।- वासः, ( पु० ) जल में रहना या जल में खड़ा रहना। -वाह, ( वि० ) जल लाने वाला । -वाहः, ( पु० ) मेघ i-वाहनं, ( न० ) जलपात्र । -शरावः, (पु० ) जल से भरा घड़ा। - शिवत्, (न० ) छाछ या मठा जिस में १ हिस्सा जल और २ हिस्सा माठा हो । | उदरथिः ( पु० ) १ समुद्र । २ सूर्य । - हरणाः, ( पु० ) पानी निकालने का पात्र । उदंतकः उदन्तकः उदरणी उदन्या (स्त्री० ) प्यास तृषा उदन्वत् ( पु० ) समुद्र | सागर । उतिका उदन्तिका उदन्य (वि० ) प्यासा | तृषित | उद्यः ( पु० ) १ उगना । उठना । ऊँचा होना । २ गम (जैसे धनोदयः ) उपज ( जैसे फलो- व्य)।३ सृष्टि । ४ उदयगिरि । ५ उन्नति | अभ्यु- दय । ६ पदोन्नति । ७ परिणाम |८ पूर्णता परि- पूर्णता | ६ लाभ | नफा | १० आमदनी | आय मालगुज़ारी ११ व्याज सूद १२ कान्ति । 1–प्रचलः, अद्रिः - गिरिः, पर्वतः, -शैलः, ( पु० ) उदयाचल नामक पर्वत जो पूर्व दिशा में है। प्रस्थः, ( पु० ) उदयाचल की अधित्यका । [२ परिणाम | उद्यनम् (न ) १ उगना निकलना ऊपर चढ़ना । उदयनः ( पु० ) १ अगस्थ्य जी का नाम । २ चन्द्र- चमक - वंशी एक राजा का नाम से प्रसिद्ध था और धानी थी । यह वत्सराज के नाम कौशाम्बी इसकी राज- } ( स्त्री० ) सन्तोष । तृप्ति 1 उद } ( पु० ) १ समाचार | ख़बर | वर्णन | उदरम्भरि इतिहास | २ साधु पुरुष | } (पु० ) समाचार | ख़बर । उदरं ( न० ) १ पेट । २ किसी वस्तु का भीतरी भाग खोखलापन। पोलापन | ३ जलोदर रोग के कारण पेट का फुलाव | ४ हनन । घात । हत्या आध्मानः ( पु० ) पेट का फूलना । श्रामयः, (पु० ) असीसार । संग्रहणी दस्तों की बीमारी। आवर्तः, (पु० ) नामि का -- आवेष्टः, (पु० ) फीता जैसा कीड़ा 1- त्राणं, (न०) १ कवच | बख़्तर २ पेटी पेट पर बांधने की पट्टी । - पिशाच, (वि०) बहुत खाने वाला । भोजनभट्ट |~-सर्वस्वः, ( पु० ) भोजन भट्ट या जिसे केवल पेट भरने ही की चिन्ता हो । उद्रवत् उदरिक उदरिल करने वाला | स्वार्थी । २ भोजनभट्ट। (वि०) १ अपने पेट का भरण पोषण (वि० ) बड़पिट्टू । बड़े पेट वाला। तोंदिल । मौंटा । उद्दिन् ( न० ) बड़े पेट या तोंद वाला। मौटा । उदरिणी (स्त्री० ) गर्भवती स्त्री ।