पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१५०

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आशेकुटिन् आशेकुटिन् (पु० ) पहाड़ शोषणं ( ) सुखाना | शौचं ( न० ) अपवित्रता । ( जनन मरण के समय होने वाला सूतक ।) आश्चर्य ( वि० ) अद्भुत । विस्मयकारी । असामान्य । श्राश्रयशः } (पु०) अग्नि । श्रजीव | आश्चर्यम् ( न० ) १ चमत्कार | जादू | २ विलय- णता | विचित्रता | आश्वासः आश्रयः (पु० ) आसरा | सहारा आधार विश्रामस्थल । आश्रयस्थल २ शरण | पनाह ३ भरोसा ४ घर | एक ६ सरकस | ७ सम्बन्ध सङ्गति | राजा के ६ गुणों में से अधिकार | स्त्रीकृति ।[८] आश्रयणम ( न० ) १ सहारा लेने की क्रिया | २ स्वीकृत करना पसन्द करना। ३ पनाह । आश्रय | न (वि० ) १ आश्रित । आश्रय लेनेवाला । २ सम्बन्ध युक्त | श्रव (वि० ) आज्ञाकारी । आज्ञानुवर्ती । प्रवः (पु० ) १ सरिता नदी चश्मा | सोता। २ प्रतिज्ञा | वादा ! प्रतिश्रुति । ३ दोष । अपराध | आश्रि (स्त्री० ) तलवार की धार [वाला | याश्रित (व० कृ० ) १ शरणागत | २ आसरे पर रहने | प्राश्रितः (पु० ) चाकुर नौकर। अनुयायी । आश्रुत ( व० ० ) : सुना हुआ | २ प्रतिज्ञात | स्वीकृत । मंजूर किया हुआ ( न० ) इस प्रकार पुकारना जो सुन पड़े। आश्रुतिः ( स्त्री० ) १ श्रवण | २ स्वीकृति । आश्लेषः (पु०) १ आलिङ्गन | चिपटाना । लिपटाना । गले लगाना । २ घनिष्ट सम्बन्ध सम्बन्ध आश्लेषा ( स्त्री० ) नवौँ नक्षत्र । [सम्बन्धी | श्राश्व (वि० ) [ स्त्री० आश्वी ] घोड़े का । घोड़ा श्वं ( न० ) बहुत से घोड़े। घोड़ों का समुदाय | अश्वत्थ (वि० ) [ स्त्री० -आश्वत्थी ] पीपल का बना हुआ या पीपल का या पीपल सम्बन्धी । ध्याश्वत्थम् (न० ) पीपल वृक्ष के फल । श्वयुज् (वि० ) [ स्त्री० --श्राश्वयुजी ] आश्विन मास से सम्बन्ध रखने वाला। आश्वयुजः ( पु० ) आश्विन मास महीना। (०) १ निन्दाबाद | प्रोक्षण | २ आश्च्यातनम् ) पलकों पर घी आदि लगाना । आश्म (वि० ) [ स्त्री०- आश्मी ] पत्थर का बना हुआ। पथरीला । [ का बना हुआ। आश्मन (वि०) [स्त्री० -प्राश्मनी ] पथरीला पत्थर श्मनः (पु० ) १ पत्थर की बनी कोई वस्तु । २ सूर्य के सारथी अरुण का नाम । आश्मिक (वि०) [ स्त्री० - आश्मिकी ] १ पत्थर का बना। २ पत्थर ढोनेवाला या ले जाने वाला। आश्यान ( च० कृ० ) १ कड़ा | जमा हुआ | २ कुछ कुछ सूखा हुआ । आश्रं ( न० ) आँसू । [क्रिया। पणम् (न० ) पाचन की या उबालने की आश्रमः ( पु० ) ) १ साधुओं के रहने का स्थान | (०) ) कुटी । गुफा | २ ब्राह्मण के जीवन की चार अवस्थाओं में से कोई एक । [ चार अवस्थाएँ — ब्रह्मचर्य, गाईस्थ्य, वानप्रस्थ, संन्यास । रात्रिय और वैश्य को साधरणतः उक्त प्रथम तीन आश्रमों में प्रवेश करने का अधिकार है, किन्तु किसी किसी धर्मशास्त्रकार के मतानुसार ये दोनों वर्णं चतुर्थं ग्राश्रम में भी प्रवेश कर सकते हैं] ३ विद्यालय। पाठशाला । ४ चन। उपवन। --- गुरुः, (पु० ) प्रधानाध्यापक प्रिंसपल । -धर्मः, प्रत्येक आश्रम के कर्त्तव्य कर्म । २ संन्यासाश्रम के कर्त्तव्य । पर्व, मण्डलं, (न०) तपोवन ! - भ्रष्ट, (वि०) आश्रम धर्म से पतिल । -वासिन्, आलयः- सद्, (पु० ) तपस्वी । संन्यासी आश्वयुजी (स्त्री० ) आश्विन मास की आश्रमिक ) (वि०) चार आश्रमों में से किसी एक | आश्वलक्षणिकः ( पु० ) १ घोड़ों के नाल जड़ने आश्रमिन्) आश्रम का वाला । २ अश्ववैद्य | सालहोत्री ३ साईस । आश्वासः ( पु० ) १ स्वतंत्र रीत्या सांस लेना । २ सान्त्वना । प्रसन्नता | अभयदान | ३ निवृत्ति । | कार का [ पूर्णिमा | पूर्णमासी या