पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१४५

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आर्जवम् ( १३८ आर्जवम् ( न० ) १ सिधाई ।२ सीधापन | स्पष्ट वादिता | ईमानदारी सचाई | कुटिलता का अभाव । आर्जुनिः (पु० ) अर्जुनपुत्र | अभिमन्यु | श्रा (वि० ) अस्वस्थ । पीड़ित | कष्ट प्राप्त । ध्यार्तव (वि० ) [ स्त्री० आर्तवा, आतषी ] १ ऋतु सम्बन्धी । २ मौसभी ऋतु में उत्पन्न । सामयिक | ३ स्त्री धर्म का। आर्तवः ( पु० ) वर्ष 1 आर्तवम् ( न० ) १ रज जो स्त्रियों की योनि से प्रति मास निकलता है। २ रजस्वला होने के पीछे कति- पय दिवस, जो गर्भाधान के लिये श्रेष्ठ होते हैं। ३ पुष्प | प्रार्तवी (स्त्री० ) घोड़ी। आार्यकः है । २ वैश्या का पुत्र, जिसे ब्राह्मण ने पाला पोसा हो । आर्य (वि०) १ श्रेष्ठ आर्य के योग्य । २ श्रेष्ठ । प्रति- छित | कुलीन | उच्च । ३ उत्तम । समीचीन | सर्वोत्कृष्ट 1- गृहा ( वि० ) १ श्रेष्ठों द्वारा सम्मानित | २ श्रेष्ठ का मित्र । श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा उपगस्य | ३ सम्मानित | ४ ऋजु । सरल - देशः ( पु० ) आर्यों के रहने का देश । -~-पुत्रः (पु०) १ प्रतिष्ठित जन का पुत्र । २ दीक्षा गुरु का पुत्र | ३ बढ़े भाई का पुत्र | ४ सम्मान जनक संज्ञा । इसी प्रकार पति के लिये पत्नी का अथवा अपने राजा के लिये उसके सेनापति की सम्मानजनक संज्ञा । ५ ससुर का पुत्र (साला) | -प्राय, (वि०) आर्यों द्वारा आवाद । श्रेष्ठ जनों से परिपूर्ण । - मिश्र, (वि०) प्रतिष्ठित । सम्मानित | विख्यात 1- मिश्रः, ( पु० ) १ श्रद्रपुरुष । २ सम्मान सम्बोधन ।—लिङ्गिन (पु० ) धर्म | -भ्रष्ट, ( पु०) । शठ धूर्त भण्ड। -वृत्त, ( वि० ) नेक। भला ।-वेन, (वि० ) भली प्रकार परिच्छद पहिने हुए।– सत्यं, (न० ) महान् सत्य । श्रेष्ठ सत्य । -हृद्य, (वि० ) श्रेष्ठों द्वारा पसंद किया हुआ । यी (स्त्री० ) रजस्वला स्त्री | आतिः (स्त्री० ) १ दुःख क्लेश पीड़ा। (शारीरिक या मानसिक ) । २ मानसिक चिन्ता । ३ बीमारी। रोग। ४ धनुष की नोंक । २ नाश । विनाश | मार्खिजीन (वि०) ऋत्विज प्राज्यिं ( न० ) ऋत्विज का पद आर्थ (वि० ) [ श्री० आर्थी] किसी वस्तु या पदार्थ से सम्बन्ध युक्त आर्थिक (वि० ) [ स्त्री० --आर्थिकी ] १ अर्थयुक्त | २ बुद्धिमान् । ३ सारवान । वास्तविक । श्राई (वि० ) १ नम | तर| भींगा हुआ। २ हरा। रसीला | ३ ताज़ा टटका नया । ४ कोमल । मुलायम /-काउं, (न०) हरी लकड़ी। —पृष्ठ, ( वि० ) सींचा हुआ | तरोताजा |–शाक, ( पु० ) अदरक । आदी । आर्द्रा (स्त्री० ) नक्षत्र विशेष | छठवाँ नक्षत्र आकं ( न० ) अदरक आदी । ) प्रार्थ: (०)हिन्दुओं और ईरानियों का नाम | २ अपने धर्म और शास्त्र को मानने वाला ३ प्रथम तीन वर्ण । [ ब्राह्मण । क्षत्रिय | वैश्य |] ४ एक प्रतिष्ठित व्यक्ति | ५ कुलीन | ६ कुलीनोचित आचरण का व्यक्ति । ७ स्वामी । मालिक गुरु | शिक्षक | ३ मित्र | १० वैश्य | ११ ससुर । १२ बुद्धदेव | आर्या (स्त्री० ) १ सास । २ श्रेष्ठ स्त्री | ३ छन्द विशेष ।- प्रावर्तः, (पु० ) श्रेष्ठ पुरुषों का आवास स्थान देश विशेष जो पूर्व और पश्चिम में समुद्रों द्वारा और उत्तर दक्षिण में हिमालय और विन्ध्यगिरि द्वारा सीमावद्ध है। यति ( क्रि० ) भिंगाना । नमकरना । प्रार्ध (वि० ) आधा धार्धिक (वि० ) [ स्त्री० - आर्धिकी ] आधे से आर्धिकः ( पु० ) संबन्ध रखने वाला आधा बँटवाने वाला। वह जोता, जो खेत की पैदावार ले लेने की शर्त पर खेत जोतता बोता | थार्यकः ( पु० ) भद्रपुरुष २ पितामह । खासमुद्रात वै पूर्वादामुद्राय पश्चिमात् । तयोरेवान्तरं गिर्योः अयायतें विदुर्बुधाः ॥ - मनुस्मृति ।