पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१०३

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अषप्रणम् ७ स्वभाव । प्रकृति |८ दण्ड | सज़ा | शाप | अकोसा। [ अवहेला । व्यवग्रहणम् (न०) १ रुकावट | अड़चन |२ अपमान । अवग्रहः (पु० ) १ टूटन | बिलगाव | अलगाव | २ अड़चन। रुकावट | रोक ३ शाप धकोसा। अवदः ( पु० ) १ भूमि का बिल। गुफा गुहा | २ अनाज पीसने की चक्की ३ गड्डबड्ड करने की क्रिया हिलाकर गड्बड करने की क्रिया । अवघर्षणम् ( न० ) १ रगड़न | मालिश | पीसने की क्रिया (सूखा रङ्ग आदि) मल कर काढ़ने की क्रिया । ( लगे रंग को ) मल कर छुटाना। । ३ पीसना । अवचनम् ( न० ) १ वचन या कथन का अभाव | चुप्पी । मौनत्वा । २ फटकार । डाँटडपट । दोषा- रोपण | झिड़की। अवघातः ( पु० ) १ धान आदि का साइन । २ चोट प्रहार | वध | हत्या | ३ अपमृत्यु । अवर्णनम् ( ० ) घुमरी । चक्कर । अवघोषणम् ( न० ) अवघोषणा ( श्री० ) अषत्राणम् (म०) सूघने की किया। १ डिवोरा | २ राजसूचना । अवचन (वि० ) न बोलने बाला | चुप | खामोश | | प्रवच्छेदक ( वि० ) १ भेदकारी । अलग करने वाणी रहित । वाला २ विशेषण ३ गुण रूप शब्द | ४ औरों से अलग करने वाला। अवचनीय (वि० ) जो कहा न जा सके। जो बोला न जा सके। अलील या भही ( बात या भाषा ) | २ झिड़की के अयोग्य | भर्त्सना से रहित । व्यवन्चयः ध्रुवचायः ( पु० ) सञ्चय। (जैसे फल फूल } आदि का ) अवचारणम् (न०) किसी काम में लगाने की क्रिया । आगे बढ़ने का तरीका बरताव या जुगत का लगाना। ( पु० ) रथ का उधार किसी कंड़े की सजावद के लिये लटकाये हुए चौरी- प्रवदु | कः ( पु० ) चौरी ( जिससे मक्खियां प्रवचूलकम् ( न० ) | उड़ायी जाती हैं ) । अवच्छदः (पु०) ढक्कन कोई वस्तु जिससे दूसरी अवच्छादः वस्तु ढकी जा सके। व (व० कृ० ) १ काट कर अलग किया हुआ | २ विभाजित | पृथक् किया हुआ । छुड़ाया हुआ।३ जिसका किसी अच्छेदक पदार्थ से अवच्छेद किया गया हो। ४ छेका हुआ। घेरा हुआ। सम्हाला या संशोधित किया हुआ । निश्चित किया हुआ। अवचूडः श्रवचूलः सुमागुच्छे । अवचूर्णनं ( न० ) पीसना | कूटना | पीस कर चूर्ण कर डालना । २ चूर्ण बुरकाना । विशेष कर कोई सूखी दवा किसी घाव पर बुरकाना। अवस्कुरित ( वि० ) मिश्रित । मिला हुआ अवच्छुरितम् ( न०) खिलखिलाहट | अट्टहास । रहाका । प्रवच्छेदः (पु० ) १ टुकड़ा | भाग | २ सीमा । हद्द | ३ वियोग | ४ विशेषता | २ निश्चय । निर्णय | ६ लक्षण ( जिससे कोई वस्तु निर्यान्स रूप से पहचानी जा सके । सीमावद्धकरण । परिभाषाकरण | अवजयः ( पु० ) हार। अवजितिः ( स्त्री० ) जय । विजय | व्यवज्ञानम् ( न० ) अवहेला । अपमान | व्यवट: ( पु० ) १ छेद रन्ध्र गुफा २ गढ़ा । गड़वा | ३ धूप ४ खाल खाड़ी | शरीर का कोई भी नीचा या दबा हुआ अवयव या भाग । -कच्छपः (अव्यय०) गढ़े का कछुआ । (आलं०) अनुभव शून्य । वह जिसने संसार का कुछ भी ज्ञान सम्पादन नहीं किया अवटिः ) ( स्त्री० ). 9 वेद | रन्ध | २ कूप प्रवढी ऽ कुआ। अवटी (वि० ) चपटी नाक वाला। अवटुः (पु० ) १ भूमि का बिल २ कूप । ३ गरदन के पीछे का भाग। शरीर का दबा हुआ भाग । ( स्त्री० ) गरदन का उठा हुआ भाग । व ( न० ) सुराख | छेद। स्त्रोंप दरार |