पृष्ठम्:संस्कृतनाट्यकोशः.djvu/११

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( दो ) पड़ता है। संरक्षण की व्यवस्था बन जाने के कारण आधुनिक कृतियों के विषय में ऐसी सन्देह की स्थिति नहीं के बराबर है। प्रस्तुत कृति में संस्कृत नाटकों के विषय में जो भी सामग्री सुलभ है उसका संकलन कर दिया गया है। जो रचनायें साहित्य जगत में प्रतिष्ठित हो चुकी हैं उनका कुछ अधिक विस्तृत परिचय दिया गया है और उनके प्रमुख पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं का भी यथास्थान संक्षिप्त परिचय दे दिया गया है। परिशिष्ट में रचनाओं की रचना एवं प्रस्तुतीकरण प्रक्रिया एवं भूमिका में सामान्य सर्वेक्षण प्रस्तुत किया गया है। । प्रस्तुत कृति के प्रस्तुतीकरण में लेखक को प्रशस्त सहयोगी डा. अशोक गांगुली एवं डा. पी.सी. जैन से प्रोत्साहन के साथ साहित्य सामग्री की भी सुविधा प्राप्त हुई है। डा. हरदयाल ने परामर्श से लेखक को कृतार्थ किया है। लेखक अन्तस्तल से इन अकारण बन्धुओं का अभारी है। समय समय पर प्रतिवेशी डा. विद्याभूषण भरद्वाज एवं उनकी पत्नी डा. स्वर्ण कान्ता के साथ विचार विमर्श हुआ है। पौत्री कु. ज्योति त्रिपाठी से भी यत्किञ्चित् सहायता प्राप्त हुई है। ये सभी व्यक्ति लेखक के धन्यवाद के नहीं आशीर्वाद के अधिकारी हैं। प्रकाशन की त्वरा के लिये चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान के अधिकारी श्री वल्लभ देव भी प्रशंसा और धन्यवाद के पात्र हैं। लेखक आशंसा करता है कि संस्कृत नाटक साहित्य के जिज्ञासु इससे कुछ सन्तोष लाभ अवश्य कर सकेंगे। रा.सा. त्रिपाठी