पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटेश्वरसुप्रभातस्तोत्रम्.pdf/२०

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19 मंजुल मंदार हितालादि तिलक मलम नारिकेल क्रौचाशोक माघूका मलक हिन्दुक नागकेतक पूर्णकुछ पूर्णमय रसकंड वन बंजसखजूर साल कोविदार हिताल पनस विकट वैकस वरुण नहणधमरणीयल काश्वत्य यशवसुष वर्माध मंत्रिकी तिषिणी बोध न्यपाथ घटबटल जंबुमतल्ली बीरचल्ली वसोल वासंती जोबनो पोषणी प्रमुल निखिल संदोह तमाल मालामहित विराजमान काक मयूर हम भारताज कोकिल चक्रवाक कपोत गरुक नारायण नानाविध पक्षिजाति समूह ब्रह्म क्षत्रिय वेश्य शब नाना जात्यदब देवरानि म माणि वसाय गोमेदिक पुष्यराग पपरागंन्द्र प्रवाल मौक्तिक स्फटिक हेमास्म खचित पगड. गापमान रथगजतुरग पदाति सेनासमूह मेरी पर्वल मुरवल्लरी शंख काहस नृत्य गोन ताल वा भवास पंचमुखवाच अहमीमागंटीबाय किरिकुतलवार सुरटीचौंडोवाच सिभिलक वितालवाय सकारापाय घंटाताडन ब्रह्मताल समताल कोट्टरीवाल करीवाल एक्कालधाराबाट पटहकांश्यबाट भरतनाट्यालंकार किन्नर किंपुरुष हावीणा मुबबीना वायुवीणा तबरुवीणा गांपवं नारखोणा सर्वमंडल रावन हस्तमीणा स्ससंकिपालं कियालंकतानेकनिष बावापोकूप टाकादि गंमा यमना रेवारणा शोजनबी शोभनदी सुवर्णखी वेगवती देववती मोरनी बाहुनकी गहइनबो कावेरी साम्रपर्षी प्रमुखाः महापुण्य नमः सकल- ती सहोभय कुसंगतसदाप्रवाह जस्सामापर्वण वेद शास्त्रेतिहास पुराण सकलविद्या घोष भानुकोति प्रकाश चंद्रकोटिममान मिस्प कल्यानपरंपरोतराभिडियादिति भवन्तो महान्तोऽनगाहन्तु. बाह्मल्यो राजा पामिकोऽस्तु, देशोऽयं निरूपद्रवोऽस्तु, सर्वे सापजनास्सुलिनो- बिलसंतु, समस्तसन्मंगलानि सन् उत्तरोतराभिवतिरस्त, सकस कल्याणसमडिरस्तु।