1933 घोटाश्च द्वीपसम्भूता वायुवेगास्तथाऽपरे । वर्मास्त्रशस्त्रसम्भिन्ना निर्ययुश्च सहस्रशः ।। ५ ।। उस समय सैकडों, हजारों भेरियाँ बजने लगी । पताकावाले हाथियों , ध्वजायुन्नत घोडों, गम्भीर नाद करनेवाले दान्ध मदमत्त हाथियों तथा उनके बच्चीं एवं शस्त्र कवच धारण क्रिये युद्ध के अन्यान्य चिह्नों से तैयार द्वीपों में पैदा हुए वायुवेगगामी घोडों की कवत्र तथा अस्त्र-शस्त्रपूर्ण हजारों-हजारों की पंक्तियाँ निकलने लगीं । (३-५) शताश्चास्त्रिशताश्चाश्च सहस्राश्चाश्च यूथशः । सर्वायुधैश्च सम्पूर्णाः पताकालङ्कृतास्तथा ।। ६ ।। विमानानीव सिद्धानां शतशोऽथ सहस्रशः । स्यन्दनानि विचित्राणि निर्ययुर्भास्वराणि च ।। ७ ।। कोई सौ, कोई तीन सौ, कोई हजार घोडों के यूथों में, सभी आयुधों से पूर्ण तथा पताकाओं है ? अलंकृत एवं सिद्ध के विमानों के मान सैकडों और हजारों (६-७) उद्यतायुधनि उद्यतासिगदाशूलास्तथोद्यतकरायुधाः ।। ८ ।। अट्टहासान्विमुञ्चन्तो निर्ययुश्च पदातयः । खड्ग को उठाये, फरसा को खडा किये, तलवार निकाले, गदा-शूल तथा अन्यान्य हस्तायुधों को तैयार किये अट्टहास करते हुए बडी भागी पैदल सेना निकली । यात मध्ये रराज राजाऽसौ सहस्रभजमण्डित ।। ९ ।। निदाधे प्रतपन्सूर्यः सहस्रांशुरिवाबभौ । उनके मध्य यह महाराजा हजार भुजाओं से शोभित गर्मी में तपते हजार किरणवाले सूर्य के समान मालूम हुए।