पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/२

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श्रीआर्यमहिलाहितकारिणी महापरिषद् । कार्यसम्पादिकाः-भारतधर्मलक्ष्मी खैरीगढ़ राज्येश्वरी महाराणी सुरथ कुमारी देवी. 0. B. E. एवं हर हाइनेस धर्मसावित्री महाराणी शिवाकुमारी देवी, नरसिंह गढ़। भारतवर्षकी प्रतिष्ठित रानी-महारानियों तथा विदुषी भद्रमहिलाओके द्वारा श्रीभारतधर्ममहामण्डलकी निरीक्षकतामें, आर्यमाताओंकी उन्नतिकी सदिच्छासे यह महापरिषद श्रीकाशीपुरीमें स्थापित की गयी है। इसके निम्नलिखित उद्दश्य हैं: (क) आर्यमहिलाओंकी उन्नतिके लिये नियमित कार्यव्यवस्थाका स्थापन ( ख) श्रुतिस्मृति-प्रतिपादित पवित्र नारी धर्मका प्रचार (ग)खधर्मानुकूल स्त्रीशिक्षाका प्रचार ( घ) पारस्परिक प्रेम स्थापित कर हिन्दूसतियों में एकताकी उत्पत्ति (ङ) सामाजिक कुरीतियोका संशोधन और (च) हिन्दीकी उन्नति करना तथा (छ) इन्हीं उद्देश्योकी पूर्तिके लिये अन्यान्य आवश्यकीय कार्य करना। परिषद के विशेष नियम :-१ म-इसकी सब प्रकारको सभ्याओंको इसकी मुखपत्रिका आर्यमहिला मुफ्त मिलेगी। श्य-स्त्रियाँ ही इसकी सभ्याएँ हो सकेंगी। ३य-यदि पुरुष भी परिषदको किसी तरहकी सहायता करें तो वे पृष्ठपोषक समझ जायँगे और उनको भी पत्रिका मुफ्त मिला करेगी।४र्थ-परिषद्की चार प्रकारकी सभ्याओंके ये नियम हैं: (क) कमसे कम १५०) एकवार देने पर " आजीवन-सभ्या, (ख) १०००) एक ही वार वा प्रतिमास १०) देने पर संरक्षकसभ्या" (ग) १२) वार्षिक देने पर “सहायक-सभ्या” और (घ) ५) वार्षिक देने पर वा असमर्थ (महिलाएं )३) ही वार्षिक देने पर 'सहयोगि-सभ्या” आर्यमहिला मात्र बन सकती है । पत्रिका-सम्बन्धी तथा महापरिषत्सम्बन्धी सब तरहके पत्रव्यवहार करनेका यह पता है:महोपदेशक पण्डितरामगोविन्द त्रिवेदी वेदान्तशास्त्री कार्याध्यक्ष आर्यमहिला तथा महापरिषत्कार्यालय श्रीमहामण्डल-भवन जगत्गंज, बनारस । 26