पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१८

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पञ्च उपासकसम्प्रदाय। वैष्णव सम्प्रदाय, सौर्य्यसम्प्रदाय, शाक्तसम्प्रदाय, गाणपत्य सम्प्रदाय और शैव सम्प्रदाय, श्री सनातन धर्म के ये प्रसिद्ध पांच उपासक सम्प्रदाय हैं। भारतवर्ष में कहीं किसी सम्प्रदाय और कहीं किसी सम्प्रदायके सिद्धान्तोंका प्रचार पाया जाता है। पांचोंही सगुण ब्रह्मोपासनामूलक सम्प्रदाय हैं । केवल साधक की प्रकृति प्रवृत्ति और अधिकार के तारतम्य के अनुसार इन पांचों उपासक सम्प्रदाय की भेदकल्पना शास्त्रोंमें की गई हैं।ये पांचों उपास्य सबहीसगुण ब्रह्म हैं इसका विस्तारित विवरण श्री विष्णुगीता श्री सूर्यगीता, श्री शक्तिगीता, श्री धीशगीता और श्री शम्भुगीता के पाठ करनेसे भलीभांति प्रकट होता है। बहुत दिनों से इन पांचों सम्प्रदायों की साधनप्रणाली के ग्रन्थसमूह लुप्तप्राय हो रहे थे। यहां तक कि इनके सहस्रनामों में से सबके परे सहस्त्र नाम यथावत् नहीं पाये जाते। अब बहुत ही अनुसन्धान के साथ इन सब सम्प्रदायों के अलग अलग पञ्चाङ्गग्रन्थ और साधनसम्बधीय अन्यान्य ग्रन्थ प्राप्त किये गये हैं। इसके अतिरिक्त इन पांचों सम्प्रदायों से सम्बन्ध रखने वाले सब प्रकार के प्रसिद्ध प्रसिद्ध यज्ञ, यथा-विष्णुयाग, विश्वम्भरयाग,सूर्ययाग,शक्तियाग, अम्बायाग,देवीयाग, गणपतियाग,शिवयाग, रुद्रयाग और विश्वधारकयाग आदि ोंयज्ञोंकी पद्धतियाँ ढूंढकर निकाली गयी हैं। कलियुगमें शुद्ध वैदिक यज्ञोंका प्रायः लोप हो गया है, बहुत से वैदिक यज्ञोंके पद्धतिग्रन्थ कहीं कहीं मिलने पर भी उनके क्रियासिद्धांशके जाननेवाले ऋत्विक अब प्रायः नहीं मिलते अतः उनकी क्रियापद्धतिकी कठिनताके कारणसे भी वैदिक यज्ञों का प्रायः लोप होने लगा है। अतः इस समय इन वेदसम्मत स्मार्त यज्ञों का जितना अधिक प्रचार होगा उतनी ही दैवी जगतकी प्रसन्नता और जगतका कल्याण होगा। ऊपर लिखित ग्रन्थसमूह के अतिरिक्त उपासक सम्प्रदायोंकी गुरुदीक्षा पदधति के अनेक रहस्य ग्रन्थ भी अनुसन्धान करके प्राप्त किये गये हैं। ये सब मल्यवान धर्मग्रन्थसमूह योग्य टिप्पणी सहित श्वी भारतधर्म महामण्डल के शास्त्र प्रकाश विभागद्वारा क्रमशः प्रकाशित होंगे। सेक्रेटरी शास्त्र प्रकाशविभाग श्री भारतधर्ममहामण्डल प्रधान कार्यालय जगत्गंज बनारस।