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श्रीललितासहस्रनामावलिः
करुणरससागराय | अ४ तनुमध्यायं |
कलबम | ऑ४ तमोपहायं |
कललापर्यं | चर्ये |
कान्तायै | तत्पदलक्ष्यार्थीयं |
ऑ४ कादम्बरीप्रियायें | चिदेकरसरूपिण्यै |
बों-४ वरदायै | स्वात्मानम्दलबीभूताद्यनन्दसन्तये |
वामनयनाएँ | परार्थं |
वहणोमदविह्वलाये | प्रयश्चित्तीपायं |
विश्वाधिकायं | पश्यन्त्यै |
वेदवेद्यायं | परदेवतायै |
विन्ध्याचलनिवासिन्यै | भ- मध्यमयै |
विध | अ-४ वैखरीरूपणं |
वेदजनन्यै | भक्तमानसहंसिकायं |
विष्णुमायायै | कामेश्वरप्राण नद्वयं |
ओ-४ विलासिन्ये | कृनशयं |
ऑों-४ थे शस्यपात्रं | कामपूजिताय |
क्षेत्रों | भृङ्गररससम्पूर्णायं |
क्षभने अझपालिन्यं | जयाय |
क्षयवृद्धिविनिर्मुक्तयं | जालन्धरस्थितयं |
क्षेत्रपाल समचितायै | श्नोऽयणपठनिलयाय |
विजथायें | ऑ¥ बिन्दुमण्डलवासिन्यै |
विमलायै | अं•४ रहयगक्रमाराध्यायै |
वन्द्यायै | रहस्तपंणत पितायं |
वन्दारुजनवसलयं | सद्यःप्रसादिन्यं |
बों-४ भाग्यादिन्यै | विश्वसाक्षिम्यं |
ब¥ वामकेश्यै | साक्षिजतायै |
वह्निमण्®सबसिन्यं | षडङ्गदेवतयुक्तायै |
भक्तिभकल्पलतिकर्षे | षाड्गुष्यपरिपूरितायै |
पशुपाशविमोचिन्यै | नित्यक्लिन्नी |
संहृतश षपखण्डस्य | अ-४ निरुपमायं |
सदाचारप्रवतकार्य | निर्वाणसुखदायिन्यै |
तापत्रयग्निसन्तप्तसमाह्वदनचनिकायं | ओं-४ नित्याषोडशिक(रूपापं |
ते तु ये | श्रीकण्ठार्धशरोरिष्ये |
तपसारयि य | प्रभावों |