पुटमेतत् सुपुष्टितम्
[१]द्रष्टव्यविशेषविषयसूचनी
विषयः | पुटसङ्ख्या | |
श्रीमद्रामायणस्य व्याख्येयत्वम् | .... 2 | |
श्रीरामस्य ब्रह्मावतारत्वम् | .... 3 | |
काव्यरूपस्यापि रामायणस्योपादेयतमत्वम् | .... 3 | |
अधिकारिनिरूपणम् | .... 5 | |
वाल्मीकिशब्दनिर्वचनम् | .... 10 | |
रामस्य ब्रह्मानन्यताज्ञानवत्त्वम् | .... 14 | |
रामस्य शोकाद्यनुभवनिर्वाहः | .... 15,19 | |
रामकृष्णावतारयोर्वैलक्षण्यम् | .... 16 | |
'धनदेन समस्त्यागे' इत्यस्य समर्थनम् | .... 20 | |
'कैकयी' शब्दविचारः | .... 22 | |
रामदत्तपादुकाविषयविमर्शः | .... 28 | |
वैष्णवधनुःकथायां विरोधपरिहारः | .... 30 | |
अनपकारिणो वालिनो वधस्य हेतु..... | .... 38 | |
रावणवधेन चराचरसन्तोषोपपादनम् | .... 42 | |
रामायणनिर्माणकालः | .... 44 | |
'नार्यश्चाविधवा नित्यं' इत्यस्य समर्थनम् | .... 45 | |
त्रेतायां कृतयुगधर्मसमर्थनम् | .... 46 | |
रामाश्वमेघसमर्थनम् | .... 46 | |
ब्रह्मलोकशब्दार्थः | .... 47 | |
'रामायण' शब्दनिर्वचनम् | .... 48 | |
रामायणपाठस्य साक्षान्मुक्तिहेतुत्वम् | .... 49 | |
निषादं प्रति वाल्मीकिशापस्यायुक्तताऽऽक्षेपः, तत्समर्थनं च | .... 55 |
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- ↑ एतत्संपुटे कतकव्याख्यायां, टिप्पण्यां च विचारिता इमे विषयाः । अधिकाः केचन विषयाः एतदनन्तरं द्रष्टव्याः ।